बनने के पहले ही एनसीटीसी ने दम तोड़ा
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने आतंकियों के खिलाफ लड़ाई के लिए बनने वाले राष्ट्रीय आतंकरोधी केंद्र [एनसीटीसी] की फाइल बंद कर दी है। एनसीटीसी के कड़े प्रावधानों को पूरी तरह से हटाने के बावजूद राज्यों के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने एनसीटीसी नहीं बन पाने पर
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने आतंकियों के खिलाफ लड़ाई के लिए बनने वाले राष्ट्रीय आतंकरोधी केंद्र [एनसीटीसी] की फाइल बंद कर दी है। एनसीटीसी के कड़े प्रावधानों को पूरी तरह से हटाने के बावजूद राज्यों के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने एनसीटीसी नहीं बन पाने पर अफसोस जताते हुए कहा कि राज्यों को नाराज करके एनसीटीसी का गठन नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले महीने मुख्यमंत्रियों के सम्मलेन में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एनसीटीसी के बदले स्वरूप का भी विरोध किया था।
महाबोधि मंदिर में आतंकी हमले के बाद एनसीटीसी के गठन की किसी पहल के बारे में पूछने पर शिंदे ने कहा कि इसे पूरी तरह छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि जुलाई, 2012 में गृह मंत्रालय की कमान संभालने के बाद सभी राज्यों को एनसीटीसी पर एकजुट करने की कोशिश की। यहां तक कि राज्यों की आपत्तिको देखते हुए इसे न सिर्फ खुफिया ब्यूरो [आइबी] से बाहर कर दिया गया, बल्कि गिरफ्तारी और तलाशी का अधिकार भी खत्म कर दिया गया। इसके बावजूद 5 जून को सम्मेलन में कई मुख्यमंत्रियों ने इसका विरोध किया। लिहाजा, सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। संविधान के संघीय ढांचे का हवाला देते हुए शिंदे ने कहा कि राज्यों को नाराज करके कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है। हालांकि, शिंदे अब भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एनसीटीसी को जरूरी मानते हैं।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री के तौर पर पहले पी. चिदंबरम और फिर मैंने इसके लिए काफी प्रयास किया। गौरतलब है कि मुंबई हमले के बाद चिदंबरम ने दिसंबर 2008 में एनसीटीसी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन सबसे पहले उन्हें सरकार के भीतर ही विरोध झेलना पड़ा। एनसीटीसी के स्वरूप को लेकर रक्षा मंत्रालय और वित्ता मंत्रालय की आपत्तिायों को दूर करने में उन्हें तीन साल लग गए। आखिरकार पहली मार्च, 2012 को एनसीटीसी के गठन की अधिसूचना फरवरी में जारी कर दी गई, लेकिन गैर-कांग्रेस शासित राज्य सरकारें इसके खिलाफ उठ खड़ी हुई। प्रधानमंत्री द्वारा 5 मई 2012 को बुलाए गए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भी इस पर एक राय नहीं बन सकी।
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