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गया: धान का सरकारी बीज किसानों के लिए "कोढ़ में खाज", 80 प्रतिशत बीज का नहीं हुआ अंकुरण, किसानों के साथ हुई ठगी

बिहार राज्य बीज निगम पटना द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने वाले किसानों को अनुदानित दर 25 रुपये प्रति किग्रा एमटीयू 7029 (मंसूरी) प्रभेद का धान का बीज उपलब्ध कराया गया था। लेकिन निगम के बीज ने किसानों को धोखा दे दिया।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 08:29 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 08:29 AM (IST)
गया: धान का सरकारी बीज किसानों के लिए "कोढ़ में खाज", 80 प्रतिशत बीज का नहीं हुआ अंकुरण, किसानों के साथ हुई ठगी
बीज को लेकर किसानों के साथ धोखा

 संवाद सहयोगी, टिकारी: अनावृष्टि से जूझ रहे जिले के किसानों के लिए धान का सरकारी बीज "कोढ़ में खाज" साबित होकर रह गयी। जिन किसानों ने उक्त योजना के तहत धान का बीज लिया उसमें 70 प्रतिशत अंकुरित नहीं हुआ। नतीजतन किसानों को दुबारा उन खेतों में बिचड़ा डालना पड़ा। बिहार राज्य बीज निगम, पटना द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने वाले किसानों को अनुदानित दर 25 रुपये प्रति किग्रा एमटीयू 7029 (मंसूरी) प्रभेद का धान का बीज उपलब्ध कराया गया था। लेकिन निगम के बीज ने किसानों को धोखा दे दिया। 

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योजना का लाभ लेने वाले अधिकांश किसानों की शिकायत है कि मात्र 20-30 प्रतिशत बीज में अंकुरण हुआ, बाकी 70-80 प्रतिशत बीज नहीं जन्मा। ऐसे प्रभावित किसानों को दुबारा बीज खरीदना और बुनना पड़ा। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार टिकारी प्रखंड के लगभग 500 किसानों द्वारा योजना के तहत 116 क्विंटल 40 किग्रा धान क्रय किया गया था। 

योजना का लाभ लेने वाले चिरैली के ब्रजेन्द्र कुमार ने बताया कि 70 किग्रा धान का बीज खेत में डाले थे। इसी गांव के अनिल कुमार 12 किग्रा, सिकरिया के राम रूप शर्मा 12 किग्रा, जयनंदन विगहा के अमन सिंह 36 किग्रा सहित अन्य सभी किसानों ने आवश्यकता अनुसार उक्त प्रभेद का बीज लिया था। सभी ने बताया कि बीज में अंकुरण नहीं होने के कारण दुबारा बाजार से बीज लेकर बोना पड़ा। जिससे आर्थिक क्षति के समय की बर्बादी हो गयी। प्रखंड कृषि कार्यालय में अबतक दर्जनों किसान उक्त आशय की शिकायत कर चुके हैं।


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