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कोरोना का खौफ, स्कूलों में पढ़ने नहीं आ रहे बच्चे

खगड़िया। कोरोना वायरस का खौफ अब भी लोगों के मन से नहीं उतर पाया है। 22 मार्च से तीन जनवर

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 12:06 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 12:06 AM (IST)
कोरोना का खौफ, स्कूलों में पढ़ने नहीं आ रहे बच्चे

खगड़िया। कोरोना वायरस का खौफ अब भी लोगों के मन से नहीं उतर पाया है। 22 मार्च

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से तीन जनवरी तक लोगों को इस वायरस से बचाव व परहेज को लेकर सरकार के आदेश पर स्कूलों के कामकाज को बंद कर दिया गया था। सरकार द्वारा लंबे अर्से के बाद चार जनवरी से माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक स्कूल खोलने का निर्देश दिया गया। कोरोना वायरस से बचाव के अधिनियमों का पालन करते हुए स्कूलों को खोला गया पर बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो स्कूल खुले दस दिन हो गए मगर बच्चों की उपस्थिति अभी काफी कम है। विभागीय स्तर पर सामान्य दिनों की तरह स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर रोज फीडबैक लिए जा रहे हैं। मगर किसी दिन 18 तो किसी दिन 16 प्रतिशत ही स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति दर्ज हो पा रही हैं। उसमें भी कई बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल आते हैं, हाजिरी बनवाते हैं और चले जाते हैं। जबकि वर्ग एक से आठवीं क्लास के स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई अब भी बंद हैं और सिर्फ शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर घर जा रहे हैं। विभागीय अधिकारी की चिता बढ़ी हुई है कि बच्चों की उपस्थिति स्कूलों में कैसे बढ़ाई जाए। जानकारी के अनुसार स्कूलों में बच्चों को मास्क के अलावा शारीरिक दूरी बनाए रखने को लेकर भी व्यवस्था की गई है। समस्या यह भी है कि एक साथ यदि नामांकित सभी बच्चे स्कूल आ जाए तो शारीरिक दूरी का कैसे पालन हो सकेगा। अधिकांश स्कूलों में बच्चों की क्षमता के अनुसार ही बैठने व कमरे की व्यवस्था है। क्या है हालात

जिले के सात प्रखंडों में माध्यमिक, उत्क्रमित, उच्च माध्यमिक व अनुदानित स्कूलों की संख्या 157 है। जिसमें वर्ग नौ में 19,837,वर्ग 10 में 21,157, वर्ग 11 में 12,730 व वर्ग 12 में 11,822 छात्र छात्राएं नामांकित है। सभी वर्गो को मिलाकर कुल 65,546 बच्चे नामांकित है। इसकी जब समीक्षा हुई तो सामने आया कि वर्ग नौ में नामांकित बच्चों के विरूद्व 4,996, वर्ग 10 में 1,281, वर्ग 11 में 97 व वर्ग 12 में 5,001 बच्चे ही उपस्थित हो पा रहे हैं। कुल वर्गो को मिलाकर 11,375 बच्चे उपस्थित हुए है। सामने आया कि नामांकित छात्र-छात्राओं की तुलना में उपस्थिति महज करीब 17.50 प्रतिशत ही है। ''कई स्कूलों में प्रायोगिक परीक्षा चल रही है तो कई स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है। कई बच्चों को कोरोना वायरस को लेकर अभिभावक स्कूल आने नहीं दे रहे हैं। इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

कुणाल गौरव, डीपीओ, माध्यमिक शिक्षा अभियान, खगड़िया।


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