शीतलहर का कहर, दिनभर छाया रहा कोहरा
- नहीं हुए सूर्यदेव के दर्शन न्यूनतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस - बाजारों और सड़कों पर रहा सन्नाटा अलाव बना सहारा
सुलतानपुर : सर्दी का सितम कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बीते दो दिनों से शीतलहर के चलते आम जनजीवन ठंड से बेहाल हो गया है। गुरुवार को तो दिनभर कोहरा छाया रहा और सूर्यदेव बादलों के पीछे ही छिपे रहे। वहीं, सर्द हवाएं चलने से लोग ठिठुरते नजर आए।
सप्ताह की शुरुआत से ही मौसम में बदलाव शुरू हो गया था। सोमवार व मंगलवार को जहां पछुआ हवाओं ने गलन को बढ़ाते हुए तापमान को नीचे गिरा दिया था। वहीं, बुधवार से कोहरे का प्रकोप भी शुरू हो गया, जिससे ठंड में और इजाफा हुआ है। गुरुवार को सुबह घना कोहरा छाया रहा तो दिन चढ़ने के बाद भी उसका प्रकोप कम नहीं हुआ। पूरे दिन बदली और धुंध छाए रहने से सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए और ठंड कहर बरपाती रही। बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर भी सन्नाटा रहा। प्रमुख मार्गों पर आवागमन भी कम ही रहा। लोग अलाव के सामने बैठकर ठंड से निजात पाने का उपाय करते रहे।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या के मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार आगामी कुछ दिनों तक शीतलहर और ठंड से लोगों को निजात नहीं मिलेगी। गुरुवार को अधिकतम तापमान 13 व न्यूनतम छह डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। नहीं बढ़ाई गई अलाव की संख्या :
भीषण शीतलहर के बावजूद शहर में अलाव की संख्या में इजाफा नहीं किया गया है। नगर पालिका क्षेत्र में सिर्फ छह स्थानों पर ही अलाव के इंतजाम हैं। सुबह दिहाड़ी की खोज में निकले मजदूरों की मंडी करौदिया ओवरब्रिज के नीचे और शाहगंज चौराहा पर अलाव न होने से कामगारों को परेशानी उठानी पड़ती है। कूरेभार प्रतिनिधि के अनुसार कस्बे में ज्यादातर स्थानों पर अलाव के इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिन स्थानों पर अलाव जलाए गए वह भी दो घंटे बाद ठंडे पड़ जाते है। बस व टैक्सी के इंतजार में चौराहे पर खड़े लोग ठिठुरने को विवश है। क्षेत्र के फुलौने चौराहा, इरुल, संजय नगर, कौरव,एनपुर आदि चौराहे पर अलाव नहीं जलता है। रोगग्रस्त हो सकती हैं फसलें :
मौसम के लगातार ऐसे बने रहने से फसलों पर खास तौर से सरसों में माहू लगने की आशंका है। यह कीट झुंड के रूप में पौधों की पत्तियों, फूलों, डंठलों, फलियों में रहते हैं। कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने किसानों को सलाह दी है कि वह रोकथाम के लिए कीट ग्रस्त पत्तियों को प्रकोप के शुरुआती दौर में ही तोड़ कर नष्ट कर दें। इसके साथ कीटनाशक का उपयोग करें।