अब लैब में होगा मालगाड़ी के डिब्बे का अल्ट्रासाउण्ड
फोटो : 14 जेएचएस 4 ::: कैप्शन ::: झाँसी : मालगाड़ी वैगन का ओवरहॉलिंग डिपो, जिसके आगे अल्ट्रास
फोटो : 14 जेएचएस 4
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झाँसी : मालगाड़ी वैगन का ओवरहॉलिंग डिपो, जिसके आगे अल्ट्रासाउण्ड लैब बनाया जा रहा है।
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लोगो : जागरण एक्सक्लूसिव
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- 4 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा आधुनिक ओवरहॉलिंग डिपो
- आरओएच डिपो में 3 की जगह 6 वैगन की होगी ओवरहॉलिंग
वसीम शेख (झाँसी) : भारतीय रेलवे में ट्रेन की रफ्तार के साथ ही विकास की रफ्तार भी ते़ज हुई है। रेलवे में किए जा रहे आधुनिकरण का सबसे सटीक उदाहरण झाँसी रेल मण्डल है, जिसने बुलेट ट्रेन की रफ्तार से पूरे रेल मण्डल का कायाकल्प कर दिया है। इसका अन्दा़जा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मण्डल ने सवारी गाड़ी के साथ ही रेलवे की रीढ़ कही जाने वाली मालगाड़ी को भी आधुनिक तकनीक से 99 प्रतिशत तक सुरक्षित बना दिया है। मण्डल में लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से मालगाड़ी के वैगन की ओवरहॉलिंग और उसकी जाँच के लिए आधुनिक लैब तैयार की जा रही है जो वैगन का अल्ट्रासाउण्ड कर उसकी समस्या बताएगी।
जिस तरह इन्सान के शरीर में समस्या या बीमारी को ढूँढ़ने के लिए एक्स-रे व अल्ट्रासाउण्ड किया जाता है, ठीक उसी तरह मशीन में आई खराबी को पकड़ने के लिए विभिन्न प्रकार की आधुनिक मशीन का प्रयोग किया जाता है। देश में आधुनिक मशीनरी को ते़जी से प्रयोग में लाने वाले सरकारी उपक्रम में सबसे पहला नाम भारतीय रेलवे का ही आता है। वह यात्री सुरक्षा के लिए हर उस तकनीक को विभाग में शामिल करता है, जिससे लोगों को सुखद और दुर्घटनारहित यात्रा मिल सके। यह तो बात हुई सवारी गाड़ी की, अब बात मालगाड़ी के डिब्बों की। मालगाड़ी में लगे लोहे के बड़े-बड़े डिब्बों को देखकर लोगों की धारणा यही रहती हैं कि रेलवे इनके रखरखाव के लिए कुछ अधिक नहीं करती। यह खबर आपकी इस गलतफहमी को दूर कर देगी। अपनी आय का लगभग 70 प्रतिशत मालगाड़ी से कमाने वाली रेलवे मालगाड़ी के रखरखाव में सबसे अधिक ध्यान देती है। यही कारण है कि अब झाँसी रेल मण्डल में ऐसी लैब तैयार की जा रही है, जिससे मालगाड़ी में सामान बुक कराने वाली फर्म इस बात को लेकर निश्चिन्त रहेंगी कि उनका माल बगैर किसी नु़कसान के मं़िजल तक पहुँच जाएगा। रेलवे मालगोदाम के पास बने वैगन ओवरहॉलिंग डिपो के साथ ही लगभग 4 करोड़ की लागत से आरओएच (रुटीन ओवरहॉलिंग डिपो) तैयार किया जा रहा है। कार्मिक विभाग के अर्न्तगत आने वाले इस डिपो में 17 ऐसी मशीन लगाई जा रही हैं जो यहाँ काम करने वाले कर्मियों का काम पेशेवर तरीके से करेंगी। इसमें ऑटोमैटिक कार टेस्टिंग रिग मशीन, डी़जल कम्प्रेशर, ओवर हैड मशीन, फोर्क लिफ्टर, पॉइण्ट प्लाण्ट, अल्ट्रासाउण्ड मशीन, ओवर हॉलिंग मशीन, हैवि वेट क्रेन मशीन सहित अन्य आधुनिक मशीन लगाई जा रही हैं। इनमें से 14 मशीन आरओएच में आ चुकी हैं। कार्मिक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अभी वैगन ओवरहॉलिंग डिपो में प्रतिदिन 3 वैगन ओवरहॉल किए जाते हैं। आरओएच के पूरा होते ही वैगन ओवरहॉलिंग की क्षमता प्रतिदिन 6 वैगन की हो जाएगी - यानी, दोगुनी।
ऐसे होगा वैगन का अल्ट्रासाउण्ड ओवरहॉलिंग डिपो में वैगन का अल्ट्रासाउण्ड करने वाली 'प्रोब' मशीन को लगाया जा रहा है। यह मशीन आकार और व़जन दोनों में ही सामान्य है। र्पोटेबल होने की वजह से इस मशीन को कहीं भी ले जाया जा सकता है। रेलवे अधिकारी ने बताया कि लैब में आने वाले वैगन के पहिये पर इस मशीन को टच करते ही पता चल जाएगा की पहिये और अन्य पार्ट में कहाँ खराबी है। इसके बाद इसे आसानी से ठीक कर लिया जाएगा। इसमें खास बात यह है कि मशीन की सहायता से 2-3 कर्मी ही इस काम को कर लेंगे।
फोटो हाफ कॉलम
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इन्होंने कहा
'रेलवे हमेशा ही अपने ग्राहकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए आधुनिक प्रणाली का उपयोग करती है। आरओएच बनने के बाद वैगन की ओवरहॉलिंग में कम समय लगेगा और क्षमता बढ़ेगी।'
मनोज कुमार सिंह
जनसम्पर्क अधिकारी झाँसी रेल मण्डल
फाइल : वसीम शेख
समय : 07 : 10
14 जनवरी 2021