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गंगा-यमुना के दोआव में सूखी पर्यटन की गंगा

गंगा-यमुना दोआब में ऐतिहासिक एवं पौराणिक संपन्नता की अनन्य विरासत संजोए मेरठ-सहारनपुर मंडल में अब पर्यटन की गंगा सूखने के कगार पर है। सूबे में बदली सियासत में जगी आस फिलहाल वक्त के भंवर में फंस गई। शासन द्वारा जारी विकास एजेंडे के प्रथम चरण में पर्यटन पर कोई गंभीरता नही दिखाई गयी।

By Edited By: Published: Fri, 12 Oct 2012 08:42 AM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2012 11:12 AM (IST)
गंगा-यमुना के दोआव में सूखी पर्यटन की गंगा

मेरठ। गंगा-यमुना दोआब में ऐतिहासिक एवं पौराणिक संपन्नता की अनन्य विरासत संजोए मेरठ-सहारनपुर मंडल में अब पर्यटन की गंगा सूखने के कगार पर है। सूबे में बदली सियासत में जगी आस फिलहाल वक्त के भंवर में फंस गई। शासन द्वारा जारी विकास एजेंडे के प्रथम चरण में पर्यटन पर कोई गंभीरता नही दिखाई गयी। इस क्षेत्र में महाभारत सर्किट सहित दर्जनों पौराणिक स्थलों को विकसित करने के कोई संकेत नहीं दिए गए। विश्व प्रसिद्ध महाभारत की पहचान को अपने में संजोए हस्तिनापुर, 1957 की क्रांति से अंग्रेजी साम्राज्य की जड़े हिलाने वाले इस क्षेत्र को देश के पर्यटन में जो जगह मिलनी चाहिए, नही मिल पाई है। पर्यटन के लिहाज से समृद्ध यह क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर नहीं खिंच पा रहा है। क्षेत्रीय पर्यटन की योजनाएं कागजों पर हैं लेकिन धरातल पर धीरे-धीरे रेंग रही हैं।

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मेरठ-सहारनपुर मंडल की धरा ऐतिहासिकता एवं क्रांति की अनगिनत गाथाओं को अपने अतीत में समेटे है। बागपत में पुरा महादेव, बाल्मीकि आश्रम, बागेश्वर महादेव मंदिर, शेख बहादुद्दीन की दरगाह, लाक्षागृह बरनावा की ख्याति दूर-दूर तक है। मेरठ में महाभारत कालीन ऐतिहासिक स्थल एवं तीर्थ क्षेत्र के रूप में हस्तिनापुर, सरधना में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चर्च स्थित है। इसके अलावा परीक्षितगढ़ को राजा परीक्षितगढ़ की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। मुजफ्फरनगर में महाभारत कालीन स्थल शुक्रताल धार्मिक महत्व तपोभूमि एवं तीर्थ स्थल के रूप में पहचान रखता है। मेरठ मंडल में ही गढ़मुक्तेश्वर धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्घ है।

मान्यता है कि यहा भगवान शिव के गणों की मुक्ति हुई थी। यहा गंगा मंदिर, नक्का कुंआ, जामा मस्जिद, मीरा बाई की रेती आदि स्थल हैं। तमाम खूबियों के बावजूद मेरठ-सहारनपुर मंडल व बिजनौर जनपद पर्यटन जोन के रूप में अपनी पहचान नहीं बना सका।

ऐतिहासिक धरोहरों से भरपूर होने के बावजूद इस क्षेत्र के लिए प्रदेश सरकारों की झोली खाली रही है। तकरीबन सभी ऐतिहासिक स्थल जर्जर अवस्था में है। खंडहरों व दूषित ऐतिहासिक तालाबों की काया बिगड़ती जा रही है। वर्ष 2006 में मुलायम सिंह यादव ने महाभारत सर्किट बसाने के लिए 4.16 करोड़ की एक योजना की स्वीकृति दी थी जिसका पहला चरण 2010 में पूरा कर लिया गया। इस योजना में हस्तिनापुर, बरनावा, परीक्षितगढ़, शुक्रताल व गढ़मुक्तेश्वर में काम कराए गए पर अब अखिलेश सरकार ने दूसरे चरण में इस योजना में कोई घोषणा नही की। बसपा सरकार ने पाच साल में मात्र तीन योजनाएं संचालित की, जिसमें कर्णवास में 60 मीटर, अवंतिका देवी में 70 मीटर, अनूपशहर में 60 मीटर लंबा घाट बनाया गया।

ये भी है झोल : कामनवेल्थ गेम्स दौरान होटल नीति घोषित की गयी फिर भी मेरठ व सहारनपुर मंडल में इस नीति का प्रभाव नही दिखा। 13 होटल नए जरूर खुले। ठोस पर्यटन नीति का अभाव है। सरकारी विभागों में सामंजस्य की कमी है। कानून व्यवस्था की की दृष्टि से माहौल अनुकूल नहीं है। इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है।

बंद हो रहे ठहराव स्थल

पर्यटकों को लुभाने के लिए सरकार क ओर से मुजफ्फरनगर में मिड स्ट्रीम मोटल एंड रेस्टोरेंट, शुक्त्रताल, काधला, सरधना, गाजियाबाद में हिंडन मोटल, गढ़मुक्तेश्वर और खुर्जा में ठहराव स्थल बनाए गए थे। लेकिन इनमें से अधिकाश बेहतर प्रबंधन के अभाव में बंद हो गए हैं। वर्तमान में केवल गाजियाबाद स्थित हिंडन मोटल एवं गढ़मुक्तेश्वर में पर्यटन विभाग की ओर से ठहरने एवं भोजन का इंतजाम है।

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