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चाहिए टैक्स फ्री जोन

पूर्वाचल को औद्योगिक स्तर पर विकसित करना है तो इसे टैक्स फ्री जोन बनाया जाए। उत्तर प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र यानि कुटीर उद्योगों की खान। यहा भारी संख्या में निर्यातपरक उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इन्हें 42 लाख हाथ आकार देते हैं। यह उनकी रोटी का जरिया है।

By Edited By: Published: Mon, 01 Oct 2012 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2012 03:11 PM (IST)
चाहिए टैक्स फ्री जोन

वाराणसी। पूर्वाचल को औद्योगिक स्तर पर विकसित करना है तो इसे टैक्स फ्री जोन बनाया जाए। उत्तर प्रदेश का पूर्वी क्षेत्र यानि कुटीर उद्योगों की खान। यहा भारी संख्या में निर्यातपरक उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इन्हें 42 लाख हाथ आकार देते हैं। यह उनकी रोटी का जरिया है। यह देश के खजाने में लगभग 2000 करोड़ रुपये से अधिक विदेशी मुद्रा का आधार है। इसके बाद भी असमान कर का रोड़ा उद्योगों की रफ्तार में बाधा खड़ी कर रहा है।

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उत्तर प्रदेश में उद्योग के क्षेत्र में पिछले दो दशकों से विकास नहीं हो रहा है। वजह है आवश्यक सुविधाओं की कमी व विकसित राज्यों के बराबर कराधान का न होना, व उद्योगों में एक्साइज ड्यूटी, वैट का अधिक होना। पूर्वाचल के विकास के लिए विशेष छूट के अंतर्गत उद्योगों को कर से राहत मिलने पर ही उद्योग लगाने की ओर विचार बनेंगे।

5 करोड़ तक छोटे लघु उद्योगों को एक्साइज से छूट है लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार के कारण परेशानी अधिक है। केंद्रीय रेशम बोर्ड के पूर्व सदस्य रेशम कारोबारी मोहनलाल सरावगी ने बताया उत्तराखंड प्रदेश में उद्योगों को एक्साइज तथा वैट से छूट मिली हुई है। यही वजह है कि वहा तेजी से उद्योग लग रहे है। अन्य राज्यों में कई छोट-बड़े ंउद्योग टैक्स की छूट के कारण तेजी से लग रहे है। उत्तर प्रदेश में वैट के अलावा कई उद्योगों में प्रवेश कर भी लागू है। वैट एक्ट कीं कई विसंगतियों से भी उद्योग पर बुरा असर पड़ रहा है।

दूसरे टेक्सटाइल उद्योग के सारे रॉ- मैटेरियल काटन यार्न, सिल्क यार्न, प्लास्टिक यार्न सभी बाहर से ही आयात करने पड़ते है। आज प्रदेश में गन्ना उद्योग, टैक्सटाइल उद्योग ही प्रमुख है। पूर्वाचल में गन्ना उद्योग तथा हैंडलूम पावरलूम में टेक्सटाइल उद्योग भर है। बड़े उद्योग अथवा मिलें नहीं हैं जो भी हैं वह मरणासन्न है। पूर्वाचल का भला तभी होगा जब यहा जो भी उद्योग है या फिर लगना चाहते है उन्हें रॉ-मेटेरियल पर टैक्स की पूरी छूट मिले।

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