साठ वर्षो में भी गरीबों तक नहीं पहुंचा लोकतंत्र
लोकसभा की पहली बैठक के 60 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित विशेष चर्चा मे सदस्यो ने कहा कि देश मे लोकतत्र की शक्ति देश के लिए गर्व की बात है। लेकिन आज भी आर्थिक-सामाजिक विषमता को दूर करने का महापुरुषो का सकल्प पूरा नही हुआ है।
नई दिल्ली। लोकसभा की पहली बैठक के 60 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित विशेष चर्चा में सदस्यों ने कहा कि देश में लोकतंत्र की शक्ति देश के लिए गर्व की बात है। लेकिन आज भी आर्थिक-सामाजिक विषमता को दूर करने का महापुरुषों का संकल्प पूरा नहीं हुआ है।
सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने जहां कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सफल बनाने में देश की गरीब जनता के प्रयास सराहनीय हैं और हमें एकजुट होकर गरीबों, बेसहारा लोगों को आगे लाने का संकल्प लेना चाहिए। वहीं जदयू के शरद यादव ने कहा कि लोकतंत्र संसद तक तो पहुंच गया है लेकिन गरीबों तक नहीं पहुंचा है।
मुलायम ने कहा कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया जैसे महापुरुषों के संघर्ष के कारण आज हम 60 साल पूरे होने की खुशियां मना रहे हैं। हम सभी को सांप्रदायिकता को खत्म कर समानता की दिशा में काम करना चाहिए।
मुलायम ने कहा कि 60 साल के मौके पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों के संकल्प को पूरा करेंगे। हम संकल्प लें कि गरीब, किसान, मजदूरों को जो हक नहीं मिला है, उसे दिलाने की दिशा में काम करेंगे।
उन्होंने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के बयान को दोहराते हुए कहा कि सकारात्मक बहस से ही लोकतंत्र चलता है और हमें एकता के साथ लोकतंत्र को और कामयाब बनाना चाहिए।
शरद ने कहा कि किसी देश के लिए 60 साल का सफर बहुत लंबा होता है लेकिन आज भी सामाजिक तथा आर्थिक विषमता का प्रश्न हमारे सामने खड़ा है। शरद यादव ने कहा कि आज खुशी के मौके पर सभी सदस्य उजाले पक्ष की बात करेंगे लेकिन कुछ अंधेरे पक्षों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि दिवंगत लोगों का यशगानच्तो अच्छी परंपरा है लेकिन भारत में जीवित महान लोगों की चर्चा नहीं होती। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी देश के सबसे महान पुरुष रहे। लेकिन उनके विचार कोई नहीं मानता। यह देश उन्हें भगवान की तरह पूजता है लेकिन विचारों को नहीं मानते।
उन्होंने कहा कि देश में गरीबों की गणना के लिए जितने सक्षम लोग इस संसद में हैं उतने कहीं नहीं। लेकिन आज भी सही से गरीबी का आकलन नहीं हो पा रहा है।
बसपा के दारासिंह चौहान ने कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने खराब सेहत के बावजूद समयबद्ध तरीके से देश को संविधान बनाकर सौंपा, जिसका मकसद था सामाजिक-आर्थिक विषमता को दूर करना। उन्होंने कहा कि संविधान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए पूरे सदन को मिलकर काम करना होगा।
चौहान ने कहा कि देश की संच्द और उच्चतम न्यायालय में कभी कभी गतिरोध की स्थिति सामने आती है जिसे दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन को चुनाव सुधार तथा अन्य विषयों पर संकल्प भी लेने चाहिए और उन्हें पूरा करना चाहिए।
राजद के लालू प्रसाद ने कहा कि संविधान में धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समानता की बात की गई है लेकिन हम इस उद्देश्य को पूरा करने में आज कहां तक पहुंचे, ये सोचना होगा। देश का गरीब आदमी और अल्पसंख्यक आज सडक पर है, उसके हितों के लिए हमें और लड़ाई लड़नी होगी।
लालू ने कहा कि आज की तारीख में क्षेत्रीय दल बडी राजनीतिक ताकत बनकर उभरे हैं। दिल्ली से लेकर कोलकाता तक देखें तो पाएंगे कि क्षेत्रीय दलों का बर्चस्व है। उन्होंने कहा कि लोकपाल के नाम पर संसद को खत्म करने की साजिश रची जा रही है, जिसे हमें सफल नहीं होने देना चाहिए।
तेदेपा के नामा नागेश्वर राव ने कहा कि हमें इस बात पर गर्व है कि हम धर्म निरपेक्ष लोकतंत्र हैं। देश में कृषि उत्पादन बढा है लेकिन अभी भी कई लोग भूखे पेट हैं और किसानों की आत्महत्या का सिलसिला रुक नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है।
राव ने कहा कि देश का युवा बेरोजगारी का सामना कर रहा है। उन्हें अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए मंच नहीं उपलब्ध है। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के छात्र विदेश जाकर नौकरी कर रहे हैं। हमें इसे रोकना होगा।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि लोकसभा को पांच वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करना चाहिए और यह सुनिश्चित होना चाहिए कि यह तेरह दिन या तेरह महीनों में भंग न हो जैसा अतीत में हो चुका है।
द्रमुक के टी के एस इलानगोवन ने कहा कि पहले सदन में प्रधानमंत्री का आश्वासन कानून होता था। उन्होंने कहा कि संसद के साठ वर्ष के मौके पर हमें इस बारे में संकल्प लेना चाहिए कि यह सभा सुचारू रूप चले।
शिवसेना के अनंत गीते ने कहा कि देश ने जो भी सफलता पाई है उसमें अहम भूमिका इस सदन ने निभाई है। यह सदन नीतियां और कानून बनाता है जिसके आधार पर देश आगे बढ रहा है।
माकपा के बासुदेव आचार्य ने कहा कि जब तक समाज में गरीबी, भुखमरी और निरक्षरता है, संसदीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां बरकरार रहेंगी। उन्होंने कहा कि हमें देखना होगा कि गरीबी, असमानता और भेदभाव दूर करने की नीतियाें ने तीव्रता से काम किया या नहीं।
चुनाव सुधारों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमें निर्वाचन प्रणाली में सुधार लाना होगा और चुनाव प्रक्रिया से धन बल के इस्तेमाल को अलग करना होगा।
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