महंगाई रोकने के लिए बढ़ती रहेंगी ब्याज दरें
भारतीय रिजर्व बैंक अपना कड़ा मौद्रिक नीति रुख जारी रखेगा और महंगाई पर अंकुश के लिए जनवरी, 2012 तक ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का सिलसिला कायम रहेगा।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक अपना कड़ा मौद्रिक नीति रुख जारी रखेगा और महंगाई पर अंकुश के लिए जनवरी, 2012 तक ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का सिलसिला कायम रहेगा।
रिजर्व बैंक ने गत शुक्रवार को मार्च, 2010 के बाद 12वीं बार ब्याज दरो में बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक ने लघु अवधि की ऋण दर [रेपो रेट] को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 8.25 फीसदी कर दिया था। इसके अनुरूप लघु अवधि की उधारी दर [रिवर्स रेपो] भी चौथाई फीसदी बढ़कर 7.25 प्रतिशत कर दी गई।
उद्योग विशेषज्ञो का अनुमान है कि थोक मूल्य सूचकाक आधारित मुद्रास्फीति इस साल दिसंबर तक 9 प्रतिशत के स्तर पर बनी रहेगी। फिलहाल मुद्रास्फीति 9.78 प्रतिशत पर है, जो रिजर्व बैंक के पांच से छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से कहीं ऊंची है। केंद्रीय बैंक की अगली मौद्रिक समीक्षा 25 अक्टूबर को होनी है।
वैश्विक बैंकिंग समूह स्टैंडर्ड चार्टर्ड की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक अक्टूबर की समीक्षा में भी ब्याज दरो में चौथाई फीसद का इजाफा करेगा। पिछली नीतिगत समीक्षा से यह संकेत मिलता है कि अक्टूबर में भी ब्याज दरो में इजाफे का रास्ता खुला हुआ है।
ब्रोकरेज फर्म एंजल ब्रोकिंग के रिसर्च नोट में कहा गया है कि जनवरी, 2012 तक ब्याज दरो में और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है। रेटिंग एजेंसी केयर ने भी कुछ इसी तरह की राय जाहिर की है। केयर ने कहा कि रिजर्व बैंक का मुद्रास्फीतिक निरोधक रुख इस साल के अंत तक जारी रहेगा।
ब्रोकरेज फर्म इलारा सिक्योरिटीज ने भी कहा है कि केंद्रीय बैंक अक्टूबर की नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरें चौथाई प्रतिशत और बढ़ाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि घरेलू मोर्चे पर महंगाई की स्थिति और खराब नहीं होती है और वृहद आर्थिक परिदृश्य में स्थिरता आती है, तो हमें लगता है कि रेपो दर 8.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचेगी।
रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरो में और बढ़ोत्तरी का संकेत उसके द्वारा गत शुक्रवार को पेश मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा से भी मिलता है, जिसमें चेताया गया है कि महंगाई की दर के वर्तमान स्तर को देखते हुए मुद्रास्फीतिक रोधक तथा कड़ी मौद्रिक नीति के रुख को जारी रखना होगा।
रिजर्व बैंक मार्च, 2010 के बाद से ब्याज दरो में 3.5 प्रतिशत का इजाफा कर चुका है। इसके बावजूद महंगाई की दर उूंची बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 7.7 प्रतिशत रह गई है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 8.8 फीसदी थी।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड का हालाकि मानना है कि भारत महंगाई पर अंकुश के लिए सिर्फ एक नीतिगत हथियार ब्याज दरो का इस्तेमाल कर रहा है, जबकि अन्य उपायों पर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर