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उत्तर प्रदेश का इतिहास

1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली की गद्दी पर बैठा और उसने गुलाम वंश की स्थापना की। उसके बाद खिलजी और तुगलक शासकों ने दिल्ली सल्तनत के दायरे को बढ़ाया। वर्तमान उत्तर प्रदेश का अधिकांश हिस्सा उनके अधीन था।

By Edited By: Published: Wed, 03 Oct 2012 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2012 11:44 AM (IST)
उत्तर प्रदेश का इतिहास

लखनऊ। 1206 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली की गद्दी पर बैठा और उसने गुलाम वंश की स्थापना की। उसके बाद खिलजी और तुगलक शासकों ने दिल्ली सल्तनत के दायरे को बढ़ाया। वर्तमान उत्तर प्रदेश का अधिकांश हिस्सा उनके अधीन था। उस दौरान संभल, कड़ा और बदायूं की रियासतें क्षेत्रीय ताकत बनकर उभरीं। 1394 में राज्य के पूर्वी छोर पर जौनपुर में शर्की साम्राज्य की स्थापना हुई। तुगलक शासकों से विद्रोह कर उनके एक गवर्नर मलिक सरवर ख्वाजा जहां ने इस साम्राज्य की नींव डाली। 1506 ईस्वी में लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने दिल्ली की जगह आगरा को अपनी राजधानी बनाया। उसके वंशज इब्राहीम लोदी को 1526 में बाबर ने हराकर आगरा को कब्जे में कर लिया। इस तरह मुगल वंश सत्ता के शिखर पर काबिज हुआ। मुगल शासक औरंगजेब के समय में ही बुंदेलखंड के वीर छत्रसाल ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया। अवध में स्थानीय गवर्नर सादत अली खां ने 1732 में स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। उसी दौर में रोहिलखंड के रोहिल शासकों ने भी स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी। 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से अवध के नवाब ने रोहिल शासकों को परास्त किया।

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