एक तारीख, दो साल, दो शानदार जीत और दिग्गजों के बिना ये देश फिर बना चैंपियन
पिछले साल भी जर्मन फुटबॉल टीम ने इसी तारीख को कुछ खास किया था।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। रविवार रात विश्व चैंपियन जर्मनी की टीम के पास कई ऐसे स्टार मौजूद नहीं थे जिन्होंने 2014 में उन्हें विश्व कप हासिल कराया था..लेकिन इसके बावजूद चार बार की विश्व चैंपियन इस टीम ने इतिहास रच दिया। जर्मनी ने चिली की टीम को फीफा कॉन्फडरेशन कप फाइनल में मात देकर खिताब अपने नाम किया। पिछले साल भी जर्मन फुटबॉल टीम ने इसी तारीख को कुछ खास किया था।
- ठीक एक साल पहले
खेल जगत में अगर गौर से नजर डालें तो आंकड़े और इत्तेफाक आए दिन देखने को मिल जाते हैं। रविवार रात भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब जर्मनी ने चिली को हराकर खिताब जीता। दरअसल, ठीक साल पहलेे इसी तारीख को फ्रांस के बोर्ड्यू में यूरो कप क्वार्टर फाइनल खेला गया था और उस मैच में जर्मनी ने दिग्गज इटली की टीम को एक बेहद रोमांचक मुकाबले में मात देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। वो मैच एतिहासिक पेनल्टी शूटआउट तक गया था। एतिहासिक इसलिए क्योंकि उस पेनल्टी शूटआउट में 18 शूट के बाद जाकर कोई नतीजा निकल पाया था। जर्मनी ने 6-5 से रोमांचक जीत दर्ज की थी। साल बदला लेकिन जीतने वाली टीम वही रही।
- नहीं मौजूद थे कई दिग्गज
जर्मन फुटबॉल टीम की ये सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि इस टीम में कई बड़े धुरंधर मौजूद नहीं थे। पिछले विश्व कप में चैंपियन बनने वाली जर्मन टीम में श्वाइंसटाइगर, मेसुत ओजिल, लुकास पुडोल्सकी, मिरोस्लाव क्लोसे, थॉमस म्यूलर, फिलिप लाम, टोनी क्रूस, मारियो गोत्जे, जेरोम बोटेंग, मैनुअल नुअर और सामी खेदीरा मौजूद नहीं थे। यानी 11 दिग्गज खिलाड़ियों एक पूरी फौज इस टूर्नामेंट से बाहर थी इसके बावजूद जर्मनी ने ये खिताब अपने नाम कर लिया। फुटबॉल के जानकार रवि कुमार कहते हैं, 'जर्मनी शुरुआत से उन टीमों में रही है जिसके अतिरिक्त खिलाड़ियों में अच्छी खासी पूरी टीम समाई होती है। उन्होंने एक बार फिर खुद को साबित किया है। ये बड़ी बात नहीं होगी कि अगले साल रूस में ही होने वाले फीफा विश्व कप में एक बार फिर उनका ही दबदबा नजर आए।'
- इस जीत के हैं कई मायने
जर्मन फुटबॉल टीम की इस जीत के कई मायने हैं। कोच जोशेम लो ने जिस स्टार्स से सजी टीम को 2014 फीफा विश्व कप में चैंपियन टीम बनाया था। उन स्टार्स के बिना ही इस बार उन्होंने कंफडेरेशन कप का खिताब जीत लिया। बाकी की टीमों में एक से एक दिग्गज मौजूद थे लेकिन जर्मनी ने जो किया वो काबिलेतारीफ रहा। इससे ये साबित होता है कि जर्मनी के पास इतने बेहतरीन खिलाड़ी मौजूद हैं कि वो अगर उन्हें एक ही समय में दो बड़े खिताबों की दौड़ में उतरना हो, तो वो ऐसा करने में सक्षम हैं। हां, कुछ खिलाड़ियों ने संन्यास की तरफ कदम जरूर बढ़ा दिए हैं लेकिन चार बार की विश्व चैंपियन ने एक बार फिर साबित किया है कि उनके वार से बचना पहले भी आसान नहीं था और आज भी आसान नहीं है।