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दागियों के लिए आइओए कर रहा रास्ता साफ

भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) ने केवल दो या इससे अधिक साल तक सजायाफ्ता व्यक्तियों को चुनावों से दूर रखने का फैसला करके राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्तियों के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता साफ करने की कोशिश की। हालांकि उसने ओलंपिक आंदोलन में जल्द वापसी के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आइओसी) द्वारा

By Edited By: Published: Sun, 25 Aug 2013 09:07 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2013 09:19 PM (IST)
दागियों के लिए आइओए कर रहा रास्ता साफ

नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) ने केवल दो या इससे अधिक साल तक सजायाफ्ता व्यक्तियों को चुनावों से दूर रखने का फैसला करके राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्तियों के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता साफ करने की कोशिश की। हालांकि उसने ओलंपिक आंदोलन में जल्द वापसी के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आइओसी) द्वारा प्रस्तावित अन्य सभी सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। आइओए ने रविवार को अपनी आम सभा की महत्वपूर्ण बैठक में भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों के लिए नैतिक आयोग के गठन का भी फैसला किया जिसके सभी सदस्य स्वतंत्र होंगे।

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आइओए अधिकारियों ने संशोधित मसौदा संविधान में आरोपपत्र वाले नियम का कड़ा विरोध किया और प्रस्ताव रखा कि केवल सजायाफ्ता व्यक्तिपर ही यह लागू होना चाहिए। इसका मतलब है कि जिन्हें अदालत ने दो या इससे अधिक साल की जेल की सजा सुनाई है वही चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। आइओए की कई घंटों तक चली विशेष आम सभा की बैठक के इन प्रस्तावों को यदि आइओसी स्वीकार कर लेती है तो फिर सुरेश कलमाड़ी, ललित भनोट और वीके वर्मा जैसे व्यक्तियों के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो जाएगा, जिन पर राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के मामले में आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं।

आइओसी ने 15 अगस्त को जो संशोधित मसौदा संविधान भेजा उसके बाकी सभी संशोधन स्वीकार कर लिए गए हैं। बैठक की अध्यक्षता कर रहे कैनोइंग एवं कयाकिंग संघ के अध्यक्ष एस रघुनाथन ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि बैठक में 182 में से 161 सदस्यों ने भाग लिया और सभी फैसले सर्वसम्मति से किए गए। हमने आइओसी के आरोपपत्र वाली शर्त को छोड़कर बाकी सभी शर्ते स्वीकार कर ली है। हमने इसमें कुछ बदलाव किया है अब दो साल या इससे अधिक समय तक सजायाफ्ता व्यक्तिचुनाव नहीं लड़ पाएगा। यह संसद के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुकूल है।

आइओसी के तीन पर्यवेक्षकों में से एक फ्रांसिस्को जे एलिजाल्डे ने भी बैठक में लिए गए फैसलों पर संतोष व्यक्तकिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि आइओए इन प्रयासों से ओलंपिक परिवार का हिस्सा बन सकेगा, लेकिन उसकी वापसी कब होगी इस बारे में उन्होंने कोई समयसीमा नहीं बताई। एलिजाल्डे ने कहा, 'मैंने कभी ऐसी बैठक में हिस्सा नहीं लिया जिसमें इतनी अधिक भागीदारी हो। भारत बहुत बड़ा लोकतंत्र है। यहां सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए गए। इस बैठक से मुझे सकारात्मक रुख दिख रहा है, लेकिन हम आइओसी को अपनी तरफ से सिफारिश नहीं कर सकते हैं। हम केवल रिपोर्ट सौंप सकते हैं। उम्मीद है कि भारत फिर से ओलंपिक परिवार में लौट सकेगा।'

बैठक से पहले थोड़ा हंगामा भी देखने को मिला। क्लीन स्पो‌र्ट्स इंडिया संस्था के करीब 50 प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्तियों का आइओए की बैठक में भाग लेने का विरोध कर रहे थे।

एनआरएआइ अध्यक्ष को बैठक से जाने को कहा गया

नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक के दौरान रविवार को यहां अजीब स्थिति पैदा हो गई जब भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआइ) के अध्यक्ष रनिंदर सिंह को अदालत में निशानेबाजी संस्था के खिलाफ लंबित मामले के कारण बैठक से जाने को कहा गया। एनआरएआइ पूर्व ओलंपिक रजत पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौर के साथ कानूनी पचड़े में फंसा है और संघ को उस समय करारा झटका लगा जब दिल्ली हाइकोर्ट ने छह अप्रैल को हुए निशानेबाजी संस्था के चुनाव को निरस्त कर दिया।

बैठक के दौरान रनिंदर ने मुद्दा उठाया कि क्या एनआरएआइ का प्रतिनिधि आइओए के प्रस्तावित एथलीट आयोग का हिस्सा बन सकता है। इसके जवाब में आइओए सदस्य राजा सिद्धू ने अदालत के दस्तावेज दिखाते हुए पूछा कि क्या एनआरएआइ को खुद को राष्ट्रीय निशानेबाजी संस्था कहने का अधिकार है। सिद्धू ने इसके बाद इस मामले में अध्यक्ष एस रघुनाथन को फैसला करने को कहा। रघुनाथन ने आइओए के एक अन्य सदस्य और प्रतिष्ठित वकील आरके आनंद से इस मुद्दे से निपटने को कहा, जिसके बाद रनिंदर को बैठक से जाने को कहा गया।

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