क्रिकेट तो क्रिकेट, शतरंज में भी श्रीनिवासन ने किया 'खेल'
स्पॉट फिक्सिंग के तूफान में अपनी कुर्सी बचाने में लगे बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का एक और कारनामा सामने आया है। यह मामला क्रिकेट के मैदान से नहीं, बल्कि शतरंज की बिसात से जुड़ा है। ऑल इंडिया चेस एसोसिएशन (एआइसीएफ) के अध्यक्ष पद पर रहते श्रीनिवासन ने अपने रसूख से नियम-कानून ताक पर रखकर खेल मंत्रालय से करोड़ों रुपये एक ऐसी संस्था को दिलाए जो मंत्रालय से अधिकृत होने के लिए जरूरी अर्हताएं ही पूरी नहीं करती है। जन सूचना अधिकार के तहत मामला सामने आन
(राजीव बाजपेयी), लखनऊ। स्पॉट फिक्सिंग के तूफान में अपनी कुर्सी बचाने में लगे बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का एक और कारनामा सामने आया है। यह मामला क्रिकेट के मैदान से नहीं, बल्कि शतरंज की बिसात से जुड़ा है। ऑल इंडिया चेस एसोसिएशन (एआइसीएफ) के अध्यक्ष पद पर रहते श्रीनिवासन ने अपने रसूख से नियम-कानून ताक पर रखकर खेल मंत्रालय से करोड़ों रुपये एक ऐसी संस्था को दिलाए जो मंत्रालय से अधिकृत होने के लिए जरूरी अर्हताएं ही पूरी नहीं करती है। जन सूचना अधिकार के तहत मामला सामने आने के बाद एसोसिएशन से सरकारी धन की वसूली और एफआइआर दर्ज करने की मांग की गई है।
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बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन वर्ष 2005 से लेकर 2011 तक एआइसीएफ के अध्यक्ष पद पर थे। इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि चूंकि श्रीनिवासन बीसीसीआइ से भी जुड़े हैं लिहाजा उन्हें एआइसीएफ से हटाया जाए। मामला फंसता देख श्रीनिवासन को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी, लेकिन इस दौरान श्रीनिवासन ने खेल मंत्रालय से एसोसिएशन को करोड़ों रुपये की सहायता दिलाई।
उत्तर प्रदेश चेस एसोसिएशन के महासचिव एसके तिवारी ने जनसूचना अधिकार के तहत आठ मार्च, 2013 को खेल मंत्रालय से यह जानकारी मांगी थी कि जब उक्त संस्थान के पास रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी से मान्यता प्राप्त नियमावली ही नहीं है तो फिर किस आधार पर एआइसीएफ को मान्यता देकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। उक्त पत्र के जवाब में खेल मंत्रालय ने 15 मार्च को जवाब भेजा कि विभाग के पास उक्त एसोसिएशन की रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी से मान्यता प्राप्त कोई नियमावली नहीं है। इसके बाद मंत्रालय ने एआइसीएफ को जवाब देने के लिए कहा कि अगर उनके पास कोई नियमावली हो तो उसे उपलब्ध कराएं। खेल मंत्रालय से पत्र मिलने के बाद एआइसीएफ ने भी किसी तरह की नियमावली नहीं होने की बात कही।
तीन मई को खेल मंत्रालय से एसके तिवारी को जानकारी दी गई कि एआइसीएफ नामक संस्था के पास रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी से पंजीकृत कोई नियमावली अब तक नहीं है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने 16 मई को खेल मंत्रालय को पत्र लिखकर एआइसीएफ की मान्यता रद कर सरकारी धन की वसूली करने और एसोसिएशन चला रहे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। तिवारी का कहना है कि कोई भी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन बिना अधिकृत नियमावली के संचालित नहीं की जा सकती फिर एआइसीएफ पर खेल मंत्रालय की मेहरबानी काबिलेगौर है।
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