Lok Sabha Election 2024: मेरठ सीट पर तीनों प्रमुख दलों ने नए चेहरों पर लगाया दांव, जानिए क्या हैं सियासी समीकरण
मेरठ लोकसभा सीट पर इस बार तीनों प्रत्याशी बाहरी हैं। भाजपा के प्रत्याशी जहां 50 साल से मुंबई में रह रहे हैं। वहीं सपा व बसपा के प्रत्याशी बुलंदशहर के रहने वाले हैं। ऐसे में प्रत्याशियों को आमजन से संपर्क का भरपूर अवसर मिलेगा।इनके नए चेहरे मतदाताओं और पार्टी संगठन में जितनी जल्दी पैठ बना पाएंगे चुनावी राह उतनी ही असान होगी।
ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। मेरठ लोकसभा सीट पर इस बार तीनों प्रमुख दलों ने नए चेहरों को मौका दिया है। पार्टियों ने 2019 के चुनाव में जिन प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया था, अबकी बार उनका कहीं अता-पता नहीं है। भाजपा, बसपा और सपा तीनों की पार्टियों के प्रत्याशी नए तो हैं ही, साथ ही तीनों में से कोई भी मेरठ में नहीं रहता है। भाजपा के प्रत्याशी जहां 50 साल से मुंबई में रह रहे हैं।
बुलंदशहर के रहने वाले हैं सपा व बसपा के प्रत्याशी
वहीं सपा व बसपा के प्रत्याशी बुलंदशहर के रहने वाले हैं। तीनों ही पहली बार चुनाव मैदान में हैं। जिसके चलते मेरठ के मतदाता व राजनीतिक दलों के पदाधिकारी किसी से भी पहले से व्यक्तिगत रूप से परिचित नहीं हैं। हालांकि भाजपा के प्रत्याशी अरुण गोविल टीवी के सिरीयल रामायण में प्रभु श्रीराम का किरदार निभा चुके हैं। उनके प्रत्याशी बनने से हापुड़ सीट हाई-प्रोफाइल हो गई है।
दिलचस्प होने वाला है चुनाव
मेरठ लोकसभा का आगामी चुनाव दिलचस्प होने वाला है। छोटे पर्दे के राम यानि अरुण गोविल के प्रत्याशी बनाए जाने से मेरठ-हापुड़ सीट देशभर में चर्चाओं में आ गई है। अरुण गोविल भले ही पहली बार चुनाव मैदान में हैं, लेकिन उनका चेहरा किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
हालांकि उनका लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं और भाजपा संगठन के पदाधिकारियों से पहले का परिचय नहीं है।अरुण गोविल मेरठ के मूल निवासी हैं। उन्होंने कक्षा पांच तक की शिक्षा मेरठ में ही शिशु मंदिर से प्राप्त की है।
माना जा रहा है कि अपनी राम वाली छवि के चलते वह जल्द ही आमजन का प्यार पाने में कामयाब हो जाएंगे। इसका प्रभाव मतदान और जीत पर भी स्पष्ट दिखने का अनुमान भाजपा पदाधिकारियों को है।
प्रत्याशियों को जातिगत गठजोड़ पर पूरा भरोसा
वहीं बसपा और सपा के प्रत्याशी भी पहली बार चुनाव मैदान में हैं। पार्टी संगठन और मतदाताओं में उनको पहचान बनानी पड़ रही है। सपा और बसपा के प्रत्याशी बुलंदशहर के मूल निवासी हैं। पार्टी के मूल वोटबैंक के साथ ही प्रत्याशियों को जातिगत गठजोड़ पर भी पूरा भरोसा है। इसके सहारे ही जीत-हार के कयास लगाए जा रहे हैं।मेरठ सीट पर चुनाव दूसरे चरण में हैं।
ऐसे में प्रत्याशियों को आमजन से संपर्क का भरपूर अवसर मिलेगा। इनके नए चेहरे मतदाताओं और पार्टी संगठन में जितनी जल्दी पैठ बना पाएंगे, चुनावी राह उतनी ही असान होगी।
सपा गठबंधन के प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट हैं और बुलंदशहर के मूल निवासी हैं। आजकल वह गाजियाबाद के राजेंद्र नगर में रहते हैं। दलित चेहरा होने के कारण उनका परंपरागत जातिगत जनाधार माना जा रहा है।
इसी कारण अखिलेश यादव ने गठबंधन को ध्यान में रख दलित चेहरा मैदान में उतारा है। बसपा ने प्रमुख उद्योगपति देवव्रत त्यागी को प्रत्याशी बनाया है। वह बुलंदशहर के बुगरासी क्षेत्र के किसौला के मूल निवासी हैं और प्रमुख दवा कारोबारी हैं। वह बसपा के परंपरागत वोट और अपने जातिगत जनाधार के बल पर मजबूत प्रत्याशी होने को प्रयासरत हैं।