Move to Jagran APP

जिंदगी पर भारी पड़ रही हाई एल्टीट्यूट मानकों की अनदेखी, अब तक चारों धाम में 62 लोगों की हो चुकी मौत; इन बातों का रखें ध्यान

तीर्थयात्री यमुनोत्री धाम से चारधाम यात्रा की शुरुआत करते हैं। लेकिन यात्रा के दौरान हाई एल्टीट्यूड के मानकों की अनदेखी उन पर भारी पड़ जाती है क्योंकि ऊंचाई वाले स्थान पर एक्लाइमेटाइज होने में हर व्यक्ति को अलग-अलग समय लगता है। एक शोधपत्र के अनुसार एक्यूट माउंटेन सिकनेस (एएमएस) की दर ऊंचाई के साथ बढ़ती चली जाती है। इससे बचने का सीधा उपाय यह है कि...

By Jagran News Edited By: Riya Pandey Sun, 26 May 2024 08:50 PM (IST)
जिंदगी पर भारी पड़ रही हाई एल्टीट्यूट मानकों की अनदेखी, अब तक चारों धाम में 62 लोगों की हो चुकी मौत; इन बातों का रखें ध्यान
अनियोजित चारधाम यात्रा तीर्थ यात्रियों की जिंदगी की पर पड़ रही भारी

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। अनियोजित चारधाम यात्रा तीर्थ यात्रियों की जिंदगी की पर भारी पड़ रही है। कपाट खुलने से लेकर अब तक हेमकुंड साहिब समेत चारों धाम में हृदयगति रुकने से 62 तीर्थ यात्रियों की मौत हुई है। इनमें यमुनोत्री में मरने वालों की संख्या 12 है।

परंपरा के अनुसार, तीर्थयात्री यमुनोत्री धाम से चारधाम यात्रा की शुरुआत करते हैं। लेकिन, यात्रा के दौरान हाई एल्टीट्यूड के मानकों की अनदेखी उन पर भारी पड़ जाती है, क्योंकि ऊंचाई वाले स्थान पर एक्लाइमेटाइज होने में हर व्यक्ति को अलग-अलग समय लगता है।

ऊंचाई के साथ बढ़ती चली जाती है एएमएस दर

यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल लाइब्रेरी आफ मेडिसिन (एनएलएम) की वेबसाइट पर उपलब्ध प्रो. टिमोथी, जैफ व केर्मिट के जुलाई 2023 में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार, एक्यूट माउंटेन सिकनेस (एएमएस) की दर ऊंचाई के साथ बढ़ती चली जाती है।

यह पाया गया कि बिना एक्लाइमेटाइज हुए समुद्रतल से 3,000 मीटर की ऊंचाई तक जाने वालों में 75 प्रतिशत एएमएस से प्रभावित हुए। इससे बचने का सीधा उपाय यह है कि अपेक्षाकृत धीमी गति से ऊंचाई की दिशा में बढ़ा जाए। लक्षण उभरने पर समाधान यही है कि शीघ्रता से कम ऊंचाई की दिशा में प्रस्थान किया जाए।

एएमएस में हृदय के साथ इन पर पड़ता है असर

एएमएस में हृदय, स्नायु, श्वास रोग, रक्तहीनता से पीड़ित व नशे के आदी व्यक्तियों पर अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। उत्तरकाशी स्थित नंदा देवी एडवेंचर इंस्टीट्यूट ने भी अपनी वेबसाइट में माउंटेन मैनर्स को विस्तार से समझाया है।

बताया गया है कि चारधाम की यात्रा में पहले महीनों लगा करते थे, लेकिन अब वह आठ से दस दिन में ही हो जा रही है। अब ट्रेवल इंडस्ट्री में कम से कम समय में यात्रा करवाने की होड़ मची है और इसका खामियाजा पहले से ही व्याधिग्रस्त तीर्थ यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। बड़े समूह में एक साथ तेज चलने की प्रवृत्ति कुछ सदस्यों के लिए हानिकारक भी हो सकती है।

10,804 फीट की ऊंचाई पर है यमुनोत्री धाम

जिला अस्पताल उत्तरकाशी के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. विकास सेमवाल के अनुसार, समुद्रतल से 6,560 फीट से अधिक ऊंचाई वाला क्षेत्र हाई एल्टीट्यूड माना जाता है। इससे ऊपर की यात्रा मध्यम ऊंचाई और उच्च ऊंचाई वाली मानी जाती है।

यमुनोत्री मार्ग पर बड़कोट समुद्रतल से 4,003 फीट, जानकी चट्टी 8,700 फीट और यमुनोत्री धाम की ऊंचाई 10,804 फीट है। इसके अलावा उत्तरकाशी 3,800 फीट और गंगोत्री धाम की ऊंचाई 10,300 फीट है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • यात्रा पर जाने से पहले स्वास्थ्य की जांच करवाएं, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, श्वास संबंधी समस्याओं वाले लोग विशेष ध्यान रखें।
  • मौसम के अनुरूप पर्याप्त गर्म कपड़े, रेनकोट और मजबूत जूते साथ रखें। ऊंचाई वाले स्थानों पर तापमान तेजी से बदलता है।
  • ऊंचाई वाले क्षेत्र में जाने से पहले कुछ दिन के लिए कम ऊंचाई पर रुकें। एक्लाइमेटाइज होने पर धीरे-धीरे ऊंचाई बढ़ाएं।
  • यात्रा के दौरान खुद को हाइड्रेटेड रखें। नियमित रूप से पानी पिएं। 
  • पोर्टेबल ऑक्सीजन केन साथ ले जाएं। 

यह भी पढ़ें- Chardham Yatra 2024 की ऐतिहासिक शुरुआत, पहले 15 दिन में ही टूट गया गंगोत्री-यमुनोत्री धाम यात्रा का रिकॉर्ड