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Sasaram News: जनता ने चंदे से बनवा लिया दो नदी पुल, लेकिन अब भी आ रही एक परेशानी, जन प्रतिनिधियों का ध्यान नहीं

Sasaram News सासाराम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुदरा प्रखंड को प्रकृति से जिन नदियों का उपहार मिला है उनमें दुर्गावती नदी प्रमुख है। प्रखंड क्षेत्र में इस नदी पर सरकार ने कई पुल बनवाए हैं लेकिन मुख्य बाजा में लोग अब भी ठोस नदी पुल के लिए तरस रहे हैं। लेकिन जनता ने अब चंदा इकट्ठा कर दो अस्थायी नदी पुल बनवा डाले हैं।

By Ravindra Nath Bajpai Edited By: Sanjeev Kumar Published: Fri, 29 Mar 2024 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 05:05 PM (IST)
Sasaram News: जनता ने चंदे से बनवा लिया दो नदी पुल, लेकिन अब भी आ रही एक परेशानी, जन प्रतिनिधियों का ध्यान नहीं
जनता ने चंदे से बनवा लिया दो नदी पुल (जागरण)

अशोक कुमार पांडेय, कुदरा। Sasaram News: सासाराम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कुदरा प्रखंड को प्रकृति से जिन नदियों का उपहार मिला है, उनमें दुर्गावती नदी प्रमुख है। प्रखंड क्षेत्र में इस नदी पर सरकार ने कई पुल बनवाए हैं, लेकिन यहां का जो मुख्य बाजार है वहां पर लोग आज भी नदी पुल के लिए तरस रहे हैं।

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वहां नदी पुल की इतनी अधिक जरूरत है कि जनता ने आपस में चंदा इकट्ठा कर दो नदी पुल बनवा डाले हैं, लेकिन जनता के वोट पर चुने गए प्रतिनिधियों और सरकार ने उस जगह पर नदी पुल बनवाने की जरूरत अभी तक नहीं समझी है। हम बात कर रहे हैं कुदरा बाजार की जहां नदी पुल नहीं बनने की पीड़ा लोगों को पिछले कई दशकों से सता रही है।

जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के चेहरे और दल जरूर बदल गए, लेकिन नदी पार करने में परेशानी झेल रहे लोगों की किस्मत नहीं बदली। स्थानीय लोग बताते हैं कि जनता के द्वारा अपने चंदे से बनाए गए नदी पुलों से सुविधा यह हुई है कि अब नदी पार करने के लिए नाव की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन उनके कमजोर होने के चलते उन पर बस व ट्रक नहीं चल पाते।

इसके चलते क्षेत्र का विकास बाधित है। नदी पुल के निर्माण को लेकर आंदोलन से जुड़े रहे स्थानीय संगठन भ्रष्टाचार निरोधक जन विकास अभियान समिति के संयोजक व पूर्व जिला पार्षद प्रतिनिधि धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ टुनटुन सिंह कहते हैं कि नदी पुल की मांग को लेकर जनता आंदोलनरत हुई तो प्रशासन ने जनता की मांग को पूरा करने की जगह लोगों को भरमाने का काम किया।

स्थानीय लोग बताते हैं कि कुदरा बाजार के पास दुर्गावती नदी पर पुल बनाने के लिए ग्रामीण पिछले कई दशकों से मांग करते रहे हैं। सरकार के द्वारा 4पुल नहीं बनाए जाने के चलते नदी से दक्षिण के कई दर्जन गांवों का विकास बाधित है। जिन गांवों का विकास बाधित है उनमें कुदरा प्रखंड ही नहीं, बल्कि रामपुर व भभुआ प्रखंडों के कई गांव भी शामिल हैं।

कुदरा बाजार से दक्षिण दिशा में करीब 50 ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीणों को अपनी जरूरतों का सामान खरीदने या बेचने के लिए, शिक्षा प्राप्त करने के लिए, इलाज कराने के लिए तथा बस या ट्रेन पकड़ने के लिए कुदरा आना होता है। लेकिन कुदरा बाजार के पास नदी पुल नहीं होने के चलते उन्हें आने जाने में काफी परेशानी होती है। नदी पुल के अभाव में इस रास्ते में बस या ट्रक नहीं चल पाते, इसके चलते लोगों को पैदल अथवा दोपहिया वाहनों से अपने गांव से कुदरा आना जाना होता है।

ग्रामीणों ने बताया कि पहले के समय में लोगों को नदी के पानी में उतर कर कुदरा बाजार आना होता था। बरसात के दिनों में नाव पर चढ़कर नदी पार करना होता था। परेशानी को देखते हुए ग्रामीणों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर दुर्गावती नदी पर कुदरा बाजार और रामपुर गांव के बीच बाजार के पश्चिमी छोर पर शुरुआत में नदी पुल बनाया। लेकिन उस नदी पुल की ऊंचाई कम होने के चलते बरसात के दिनों में नदी में बाढ़ आने पर वह पुल पानी में डूब जाता है।

इस परिस्थिति में ग्रामीणों ने दोबारा आपस में चंदा कर कुदरा बाजार के पूर्वी छोर पर करीब एक करोड़ रुपए की लागत से पहले वाले की तुलना में ऊंचा पुल बनाया। हालांकि उस पुल पर भी नदी में बाढ़ आने पर पानी चढ़ जाता है। साथ ही वह इतना मजबूत नहीं है कि उस पर बस और ट्रक जैसे भारी वाहन चल सकें। ऐसी स्थिति में ग्रामीणों के द्वारा अपने चंदे से दो नदी पुल बनाए जाने के बाद भी परेशानी बरकरार है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि कुदरा बाजार के पास नदी पुल नहीं होने के चलते दुर्गावती नदी से दक्षिण के जिन गांवों का विकास बाधित है उनमें रामपुर, कदई, मेउड़ा, रामडीहरा, भटौली, डेरवां, पुरुषोत्तमपुर, देवकली, चौखड़ा, गोखुलपुर, धनाढ़ी, परशुरामपुर, लीलापुर, अमढ़ा, सिसवार आदि शामिल हैं।

यदि नदी पुल होता तो इस रूट में बसें व ट्रकें चलतीं, जिससे क्षेत्र का तेजी से विकास होता और जनता की परेशानी दूर होती। दुर्गावती नदी से दक्षिण के गांवों में जाने के लिए पक्की सड़क होने के बावजूद नदी पुल के अभाव में उस मार्ग में बसें नहीं चलतीं, जिसके चलते ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी होती है।

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