शिअद ने सीएम पर लगाए आरोप: कहा- केजरीवाल की कठपुतली की तरह काम कर रहे मान, पंजाब के खिलाफ एक भी मामला नहीं
शिरोमणि अकाली दल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ अपनी भारत यात्रा के दौरान पंजाब के खिलाफ भेदभाव का एक भी मामला नहीं उठाकर इस बात का सबूत दिया है कि केजरीवाल की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो : शिरोमणि अकाली दल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ अपनी भारत यात्रा के दौरान पंजाब के खिलाफ भेदभाव का एक भी मामला नहीं उठाकर इस बात का सबूत दिया है कि केजरीवाल की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं।
शिअद के वरिष्ठ नेता डॉ दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि मुख्यमंत्री ने विभिन्न राज्यों का दौरा कर उनके मुख्यमंत्रियों और प्रमुख राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की, ताकि केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली के उपराज्यपाल की तैनाती और तबादलों पर अंतिम अधिकार देने के लिए लाए गए अध्यादेश के खिलाफ उनका समर्थन मांगा जा सके, लेकिन वे पंजाब के साथ हुए अन्याय को उठाने में विफल रहे हैं।
दूसरे राज्य की इच्छा पूरी कर रहे भगवंत मान
चीमा ने मुख्यमंत्री से पंजाबियों को अपनी चुप्पी स्पष्ट करने के लिए कहते हुए कहा पंजाब के इतिहास में कभी भी राज्य ने ऐसा मुख्यमंत्री नहीं देखा जो दूसरे राज्यों की इच्छाओं के लिए पूरी तरह से अधीन हो गया हो। अपने राज्य के लिए न्याय की मांग करने के लिए उपलब्ध मंचों का उपयोग नहीं करता है।
उन्होंने कहा कि मान ने बार-बार चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को कमजोर करने के खिलाफ लिए एक भी शब्द नहीं बोला है, इसमें यूटी में पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों की तैनाती में क्रमश 60 : 40 का अनुपात नही रखना , यूटी कैडर का निर्माण, जिसने सिविल और पुलिस दोनों विभागों में पंजाब के अधिकारियों के पदों को छीन लिया है।
सरकारी कार्यालयों में पंजाबीयों को खत्म करने का आरोप
चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय वेतनमान का आवंटन और सभी आधिकारिक कामकाज में पंजाबी को खत्म करना शामिल हैं। अकाली नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करना शामिल है। इसके अतिरिक्त भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में इसके निर्णय लेने से पंजाब के सदस्यों को हटाकर संघीय भावना को कमजोर करने के मुद्दे को उठाने में भी विफल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सीबीएसई में पंजाबी को मामूली विषय के रूप में हटाए जाने पर मुख्यमंत्री ने विरोध तक नही किया। इससे पंजाब को भारी नुकसान हो रहा है।