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आह्लाद के नए शिखर का स्पर्श करने को आतुर अयोध्या, राम जन्मोत्सव की प्रतीक्षा में आस्था का प्रतिमान गढ़ रही रामनगरी

नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुए अभी सौ दिन नहीं पूरे हुए हैं किंतु इस आह्लाद का उत्सव अनेक आयाम प्रशस्त कर चुका है। बुधवार को यह सिलसिला राम जन्मोत्सव के साथ नए शिखर का स्पर्श करेगा। यह संभावना पूर्व संध्या से फलीभूत हो रही है। नवरात्र की शुरुआत के साथ ही रामजन्मोत्सव का उल्लास परिलक्षित होने लगा था लेक‍िन मंगलवार की शाम तक इसमें तीव्र वृद्धि हुई।

By Raghuvar Sharan Edited By: Vinay Saxena Published: Wed, 17 Apr 2024 07:45 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 07:45 AM (IST)
आह्लाद के नए शिखर का स्पर्श करने को आतुर अयोध्या, राम जन्मोत्सव की प्रतीक्षा में आस्था का प्रतिमान गढ़ रही रामनगरी
रामजन्मोत्सव की पूर्व बेला में सज्जित राममंदिर में रामलला का दर्शन करते श्रद्धालु। सौ- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट

रघुवरशरण, अयोध्या। राम जन्मोत्सव के साथ रामनगरी आस्था का नया प्रतिमान गढ़ रही है। नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का स्वप्न सुदीर्घ कालखंड के बाद साकार हुआ है। जो श्रीराम करोड़ों राम भक्तों की अगाध आस्था के केंद्र थे, उनकी जन्मभूमि पर बना मंदिर ढहा दिया गया और शिखर को गुंबद का आकार देकर उसकी पहचान मिटा दी गई। रामलला को अपनी ही जन्मभूमि पर रहने के लाले पड़ गए। अपमान-आघात के घुटन भरे दिन महीनों-वर्षों ही नहीं सदियों तक चले।

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यह दिन जितने असह्य थे, आज भव्य मंदिर निर्माण और उसमें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद के दिन उतने ही आह्लादकारी सिद्ध हो रहे हैं। यद्यपि नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुए अभी सौ दिन नहीं पूरे हुए हैं, किंतु इस आह्लाद का उत्सव अनेक आयाम प्रशस्त कर चुका है।

बुधवार को यह सिलसिला राम जन्मोत्सव के साथ नए शिखर का स्पर्श करेगा। यह संभावना पूर्व संध्या से फलीभूत हो रही है। नौ अप्रैल को वासंतिक नवरात्र की शुरुआत के साथ ही राम जन्मोत्सव का उल्लास परिलक्षित होने लगा था, पर मंगलवार की शाम तक इसमें तीव्र वृद्धि हुई। भीड़ के दबाव एवं कठिनाइयों की चिंता किए बिना मंदिरों एवं धर्मशालाओं में डेरा जमाए श्रद्धालुओं को राम जन्म के मुहूर्त की प्रतीक्षा है।

तड़के से सरयू स्नान का क्रम शुरू होगा। मध्याह्न तक सरयू स्नान का सिलसिला थमेगा, तो मंदिरों में राम जन्मोत्सव की रौनक बिखरेगी। रामजन्मभूमि, कनकभवन, हनुमानगढ़ी जैसे प्रमुख मंदिरों सहित पुण्य सलिला सरयू से जुड़ते मार्गों पर मंगलवार की प्रथम बेला से ही उल्लास का संचार हो रहा है।

रामलला के साथ रामनगरी के प्रति आस्था का आरोह नौ नवंबर 2019 को ही प्रवर्तित हुआ, जब रामलला के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया। आस्था की उत्कर्ष यात्रा पांच अगस्त 2020 को ऐतिहासिक पड़ाव से भी होकर आगे बढ़ी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया।

राम मंदिर निर्माण के रूप में असंभव को संभव होते देख रामभक्तों का आह्लाद अवर्णनीय प्रतीत हो रहा था, लेक‍िन कोरोना संकट के चलते यह आह्लाद अभिव्यक्त नहीं हो पा रहा था। दो वर्ष पूर्व कोरोना संकट थमा, तो आह्लाद का उत्सव चरम की ओर उन्मुख हो उठा।

दीपोत्सव और ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के साथ चरम की ओर बढ़ती आस्था को राम जन्मोत्सव की बेला में इंद्रधनुषी आभा से संपन्न होते देखना रोचक होगा। यद्यपि आस्था की उत्कर्ष यात्रा इतने पर ही थमने वाली नहीं है। अभी तो राम मंदिर के दो और तलों का निर्माण होना बाकी है, रामनगरी को श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी के रूप विकसित किए जाने का भी अभियान पूर्ण होने के लिए अगले डेढ़-दो वर्षों की प्रतीक्षा करनी है।

महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी कहते हैं, ‘उत्कर्ष यात्रा में हमें पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत है और तब यह अनुभव किया जा सकता है कि अयोध्या सांस्कृतिक-आध्यात्मिक अस्मिता के साथ भौतिक दृष्टि से नए गगन की ओर है’। शायद कुछ ऐसा ही दिन और दौर देखते हुए राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने कहा था, देख लो साकेत नगरी है यही स्वर्ग से मिलने गगन को जा रही।

राम राज्य के संकल्प का पर्व: कमलनयनदास

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास इस राम जन्मोत्सव के अवसर को राम राज्य के संकल्प का पर्व करार देते हैं। उनका मानना है कि मंदिर निर्माण अपार प्रसन्नता का अवसर है, किंतु हमें इतने पर ही नहीं रुकना है। रामराज्य की स्थापना के स्वप्न को ही साकार कर राम मंदिर की भव्यता-दिव्यता को अक्षुण्ण रखा जा सकता है।

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