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Punjab: कलयुगी बेटे के रवैए से हाई कोर्ट हैरान, आचरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए बुजुर्ग मां के हित में दिया ये आदेश

Punjab Haryana High Court पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने बुजुर्ग के हित में फैसला सुनाते हुए कहा कि सिर्फ गुजारा भत्ता मिलने का अर्थ यह नहीं है कि बुजुर्ग माता-पिता बच्चों को संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकते। उन्हें इसका पूरा हक है। पंजाब के होशियारपुर जिले की 90 वर्षीय बुजुर्ग के हित में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एसएसपी को आदेश जारी किए।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Thu, 18 Apr 2024 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2024 08:50 AM (IST)
Punjab High Court का अहम फैसला: गुजारा भत्ता मिलने पर भी बच्चों को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं माता-पिता

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मात्र गुजारा भत्ता मिलने का अर्थ यह नहीं है कि वृद्ध माता-पिता बच्चों को संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकते। जस्टिस विकास बहल ने होशियारपुर जिले की 90 वर्षीय विधवा गुरदेव कौर की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।

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डीसी को दिए ये आदेश

इसके साथ ही डीसी को आदेश दिया कि संबंधित मकान का कब्जा लेने के लिए एसएसपी की मदद लें और कोई इसमें बाधा डाले तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

गुरदेव कौर को उसके ही बेटे ने घर से निकाल दिया था। उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और मांग की थी कि उसे डीसी होशियारपुर के 23 अगस्त 2018 को पारित अंतिम आदेश के अनुसार आवासीय मकान पर कब्जा, भरण-पोषण के बकाया के साथ सौंपने के निर्देश दिए जाएं।

2015 से ही अपना हक पाने के लिए भटक रही बुजुर्ग

याचिकाकर्ता साल 2015 से ही अपना हक पाने के लिए दर-दर भटक रही है, जबकि अगस्त 2023 में जिला मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश पारित किया था, जिसमें उसके बेटे को तीन हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण भत्ता देने और उसके स्वामित्व वाले मकान का कब्जा सौंपने का आदेश दिया गया था।

हाई कोर्ट ने बेटे का आचरण बताया दुर्भाग्यपूर्ण

डीसी के निर्णय को वृद्धा के बेटे ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे पांच अप्रैल 2022 को खारिज कर दिया गया था। इसके बावजूद वृद्धा को उस रिहायशी मकान का कब्जा नहीं दिया गया, जिस पर उसके बेटे ने कब्जा कर रखा है।

बेटे ने तर्क दिया था कि चूंकि याचिका के लंबित रहने के दौरान उसने भरण-पोषण का बकाया चुका दिया था, इसलिए उसकी मां संबंधित घर से उसे निकालने की मांग नहीं कर सकती। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने बेटे के आचरण दुर्भाग्यपूर्ण मानते हुए उसे घर खाली करने और भरण-पोषण देने को कहा है।

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