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Pulwama Terror Attack: शहीद भागीरथ सिंह के परिवार की रगों में बहती है देशभक्ति

भागीरथ सिंह जब चार वर्ष के थे, उनकी मां का निधन हो गया था। शनिवार को जब उनके तीन साल के बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी तो वहां मौजूद पूरा जनसैलाब रो पड़ा।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 09:33 AM (IST)
Pulwama Terror Attack: शहीद भागीरथ सिंह के परिवार की रगों में बहती है देशभक्ति
Pulwama Terror Attack: शहीद भागीरथ सिंह के परिवार की रगों में बहती है देशभक्ति

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) में शहीद होने वाले 40 सीआरपीएफ जवानों में से पांच राजस्थान के हैं। इन्हीं में से एक हैं, धौलपुर स्थित जैतपुर के वीर सपूत भागीरथ सिंह। शहीद होने से दो दिन पहले ही उन्होंने फोन पर अपने पिता परसराम से बात करते हुए वादा किया था कि वह जल्द घर आने वाले हैं। इसके तीन दिन बाद ही वह घर लौटे, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

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भागीरथ के पूरे परिवार में देशभक्ति लहू बनकर रगों में दौड़ता है। भागीरथ जहां सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन में छह साल से नौकरी कर रहे थे, वहीं उनका छोटा भाई बलवीर यूपी पुलिस में तैनात है। वह भी अपने बड़े भाई की तरह सीमा पर जाकर देश की सेवा करना चाहता था। वह सेना में भर्ती होना चाहता था, लेकिन ऐसा न हो सका। इसके बाद उसने वर्दी पहनने के लिए पुलिस की नौकरी कर ली।

चार साल पहले हुई थी शादी
भागीरथ सिंह की चार साल पहले उत्तर प्रदेश के पिनाहट ब्लॉक के गांव मल्लापुरा में शादी हुई थी। उनकी पत्नी का नाम रंजना देवी है। भागीरथ सिंह के दो बच्चे हैं। उनका तीन साल का एक बेटा विनय है और डेढ़ साल की एक बेटी शिवांगी है। उनकी शहादत के बाद से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।

तीन साल के मासूम ने दी मुखाग्नि
शनिवार को धौलपुर में शहीद भागीरथ सिंह का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा। इस दौरान उनके अंतिम दर्शन और अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान लोगों ने जमकर उनके लिए नारे लगाए। लोगों ने भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के भी नारे लगाए। पूरी भीड़ उस वक्त आंसुओं के सैलाब में डूब गई, जब भागीरथ के तीन साल के बेटे विनय ने उन्हें मुखाग्नि दी।

एक महीने की छुट्टी बिता तीन दिन पहले गए थे
शहीद भागीरत सिंह 17 जनवरी से छुट्टी पर थे। 10 फरवरी को छुट्टी पूरी कर वह घर से निकले थे और 11 फरवरी को उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन की थी। घर जाने से पहले उन्होंने पत्नी और बुजुर्ग पिता से वादा किया था कि वह जल्दी ही वापस लौटेंगे। भागीरथ जब चार वर्ष के थे, तभी उनके सिर से मां का साया उठ गया था।


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