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'Uniform Civil Code की जरूरत पूरा देश महसूस कर रहा है, विपक्षी त्यागें विरोध' पीएम मोदी ने सौ दिनों का एजेंडा..

कुछ दिन पहले भाजपा के घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता के लिए प्रतिबद्धता जता चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर से दोहराया है कि पूरा देश इसकी जरूरत महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यह लागू हो चुका है और पूरा देश इसे स्वीकार चुका है जिसके कारण उत्तराखंड में विरोधी भी इसका विरोध नहीं कर पा रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Published: Wed, 17 Apr 2024 09:00 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 09:00 PM (IST)
'Uniform Civil Code की जरूरत पूरा देश महसूस कर रहा है, विपक्षी त्यागें विरोध' पीएम मोदी ने सौ दिनों का एजेंडा..
हम बहुत पहले से यूसीसी के बारे में बात करते आए हैं- पीएम मोदी (फोटो, एक्स)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कुछ दिन पहले भाजपा के घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता के लिए प्रतिबद्धता जता चुके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिर से दोहराया है कि पूरा देश इसकी जरूरत महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यह लागू हो चुका है और पूरा देश इसे स्वीकार चुका है जिसके कारण उत्तराखंड में विरोधी भी इसका विरोध नहीं कर पा रहे हैं।

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उन्होंने अपील की कि राजनीतिक दल लोगों की भावना समझें और और राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका विरोध न करें। ताकि परिवार में कानून को लेकर विभेद न रहे। भाजपा के लिए लंबे समय से तीन बड़े वैचारिक मुद्दे रहे थे- अनुच्छेद 370 हटाना, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता। राम मंदिर का निर्माण हो चुका है और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द करने का काम पीएम मोदी ने 2019 में सरकार बनने के सौ दिनों के अंदर कर दिया था।

सौ दिनों का एजेंडा तैयार रखने के लिए मंत्रालयों को किया सचेत

फिर से बड़े बहुमत से सरकार बनने का दावा कर रहे पीएम मोदी ने सौ दिनों का एजेंडा तैयार रखने के लिए हर मंत्रालय को सचेत कर दिया है। ऐसे में दैनिक जागरण ने जब उनसे पूछा कि समान नागरिक संहिता का जो विषय दिल्ली में राजनीतिक दलों के बीच विवादित है उसे उत्तराखंड में विपक्ष क्यों नहीं मुद्दा बना रहा है तो उनका जवाब स्पष्ट भी था और संदेश भी दे रहा था।

हम बहुत पहले से यूसीसी के बारे में बात करते आए हैं

उन्होंने कहा, "हम बहुत पहले से समान नागरिक संहिता बारे में बात करते आए हैं। चुनाव हो या ना हो, हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट है। समान नागरिक संहिता की आवश्यकता आज पूरे देश में महसूस की जा रही है। मुझे बहुत खुशी है कि उत्तराखंड ने पहल की और यूसीसी को लागू कर दिया। इस मुद्दे पर आजादी के पहले से विचार विमर्श चल रहा है। देश की आजादी के बाद हमारे पास ये अवसर था कि हम समान नागरिक संहिता की तरफ कदम बढ़ाते, लेकिन उस वक्त की कुछ राजनीतिक ताकतों ने अपने स्वार्थ के लिए अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग कानून की पैरवी की।"

परिवार में सभी लोगों पर एक जैसा कानून लागू होना चाहिए

उन्होंने आगे कहा, "मैं पूरे देश को एक परिवार मानता हूं और मैं समझता हूं कि एक परिवार में सभी लोगों पर एक जैसा कानून लागू होना चाहिए। आप ही बताइए परिवार के अलग-अलग सदस्यों के लिए अलग-अलग कानून कहां तक उचित है? बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि हमें स्वतंत्रता इसलिए मिली है ताकि हमारी सामाजिक व्यवस्था में जहां हमारे मौलिक अधिकारों के साथ विरोध है, वहां सुधार कर सकें। आज विपक्ष के नेता भी ये जानते हैं कि उत्तराखंड समेत पूरे भारत में लोग यूसीसी का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए विपक्ष इसका विरोध नहीं कर पा रहा। मुझे आशा है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विपक्ष समान नागरिक संहिता का विरोध नहीं करेगा।"

महिला अधिकारों के लिए भी जरूरी बताया

गौरतलब है कि घोषणापत्र में भाजपा ने इसे महिला अधिकारों के लिए भी जरूरी बताया था। उसमें कहा गया था कि जब तक भारत में समान नागरिक संहिता को नहीं अपनाया जाता तब तक महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिल सकता है। अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित कर मुस्लिम महिलाओं को समानता का एक अधिकार दिया था।

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