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ग्रामीण महिलाओं ने दिखाया जज्‍बा प्रशासन की लापरवाही के जवाब में 3 दिन में बना दीं 2 किमी की सड़क

हौंसला हो तो कोई मुश्‍किल बड़ी नहीं होती इसे एक बार फिर साबित किया है बिहार की कुछ ग्रामीण महिलाओं ने जिन्‍होंने प्रशासन की लापरवाही का शानदार जवाब दिया।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 12:58 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 12:59 PM (IST)
ग्रामीण महिलाओं ने दिखाया जज्‍बा प्रशासन की लापरवाही के जवाब में 3 दिन में बना दीं 2 किमी की सड़क
ग्रामीण महिलाओं ने दिखाया जज्‍बा प्रशासन की लापरवाही के जवाब में 3 दिन में बना दीं 2 किमी की सड़क

जीवन के रास्‍ते की तलाश 

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बिहार के बांका जिले के भीतरी इलाकों में नीमा जोरारपुर और दुर्गापुर जैसे कुछ गांव काफी हद तक शहरों से कटे हुए हैं और इसीलिए कुछ मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इन्‍हीं में से सबसे बड़ी दिक्‍कत है इलाज की, इन गांवों के लोगों को किसी भी नजदीकी चिकित्‍सा केंद्र तक पहुंचने के लिए काफी दुर्गम रास्‍तों से गुजरना पड़ता है और सबसे दर्दनाक बात तो ये है कि इससे पहले की लोग मंजिल तक पहुंचे अक्‍सर दम तोड़ देते हैं। ये हादसा विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के साथ होता है। जाहिर है कि महिलाओं को अपनी इस दिक्‍कत का हल चाहिए था। 

हिम्‍मत के आगे ही जीत है

द वायर और टेलिग्राफ में छपी खबरों की माने तो इस समस्‍या का पहला हट प्रशासन और सरकार से ही मांगा गया, गांवों में सड़क नहीं की बात स्‍थानीय प्रशासन के सामने रखी गई और कुछ साल पहले सड़क बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण की बात की गई, लेकिन जमीन मालिकों के भारी विरोध और दवाब के चलते सारी योजना ठंडे बस्‍ते में चली गई। इसके बाद गांव की महिलाओं ने अपने बूते पर कुछ कर दिखाने का इरादा किया और सरकार की नाकामी का जवाब दिया। इन महिलाओं ने 10 साल में सड़क बनाने में नाकाम होने वाले प्रशासन को आईना दिखाया और हाथ में औजार लेकर खुद ही 2 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली। ये सड़क बनाने में इन्‍हें तीन दिन का समय लगा।  

बिगड़ते रहे हैं हालात

गांव में रहने वाली महिलाओं के अनुसार उनके क्षेत्र से नजदीकी ब्‍लॉक जहां अस्‍पताल और चिकित्‍सा की बाकी सुविधायें हैं महज 2.5 किलोमीटर की दूरी पर ही है, लेकिन वहां सड़क की सुविधा नहीं होने के चलते पहुंच नहीं पाते थे। बारिश के मौसम में तो यह स्थिति और भी खराब हो जाती थी। कई बार गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगियों की तो मृत्‍यु तक हो जाती थी। इसी के चलते इन महिलाओं ने सड़क खुद बनाने का बीड़ा उठाया। 

रंग लाया तीन दिनों का प्रयास

इन महिलाओं ने तय किया वे सूर्योदय से सूर्यास्त तक लगातार काम करेंगे ताकि मानसून आने के सड़क तैयार हो जाए। इनका हौंसला दम लाया और इन्‍होंने तीन दिन तक काम करके दो किलोमीटर की इस सड़क को तैयार कर दिया। जिन स्थानीय जमीन मालिकों से सड़क के लिए जमीन लेने में प्रशासन कामयाब नहीं हुआ उन्‍हीं को इन महिलाओं ने विनती करके आसानी से सड़क के लिए जमीन दान करने पर राजी भी कर लिया। हालाकि महिलाओं के इस कारनामे के बाद अब खबर आई है कि बांका जिले के जिलाधिकारी ने कहा है जल्द ही इस जगह पर एक कायदे की सड़क बनवा दी जाएगी।


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