नारियल के पेड़ से आती थी हंसने की आवाजें
घर के आंगन में एक नारियल का पेड़ था लेकिन शाम होते ही पेड़ से बच्चे की हंसने की आवाज सुनाई देती थी। न तो उस घर में कोई छोटा बच्चा था और न ही आस-पास के किसी घर में। रोज इसी तरह की आवाज सुनकर लोगों को यकीन हो
घर के आंगन में एक नारियल का पेड़ था लेकिन शाम होते ही पेड़ से बच्चे की हंसने की आवाज सुनाई देती थी। न तो उस घर में कोई छोटा बच्चा था और न ही आस-पास के किसी घर में। रोज इसी तरह की आवाज सुनकर लोगों को यकीन हो गया कि जरूर इस पेड़ में किसी प्रेत-आत्मा का वास है।
कर्नाटक के उडुपी के कुंडापुर तालुक में गोविंदा और उसका परिवार रहता है। उनके घर में ही यह डरवाना पेड़ मौजूद है। रोज रोज की घटना से उनके अंदर डर इस कदर बैठ गया कि उन्होंने एक ज्योतिषी को बुलाया। पंडित ने पेड़ का निरीक्षण किया और कहा कि पूजा करवाने के बाद ही पेड़ से प्रेत का साया दूर होगा। पंडित ने जैसा कहा, परिवार ने वैसा ही किया। लेकिन पूजा पाठ के बाद भी बच्चे के हंसने की आवाजें आती रही। अब परिवार को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
तभी एक दिन उनके घर सीना पुजारी नाम का एक व्यक्ति आया। उसे नारियल के पेड़ पर चढऩे की कला आती थी। यह व्यक्ति पहले भी इस पेड़ पर चढ़कर नारियल तोड़ा करता था। इसी दौरान एक दिन जब वो नारियल तोड़ रहा था, तब प्लास्टिक के पैकेट में अपना मोबाइल फोन रखकर पेड़ की टहनी पर टांग दिया। काम खत्म हुआ और वो पेड़ से उतरकर चला गया।
घर पहुंचकर शाम को उसे याद आया कि वो अपना फोन कहीं भूल आया है. तभी उसने दूसरे शख्स की मोबाइल से अपने मोबाइल पर कॉल लगानी शुरू की, ये वही वक्त था जब गोविंदा के परिवार वो पहली बार बच्चे के हंसने की आवाज सुनाई देनी शुरू हुई थी।
अंत में खुलासा हुआ कि बच्चे के हंसने की आवाज असल में सीना पुजारी के मोबाइल की रिंगटोन थी। इसलिए हर शाम जब भी वो अपने फोन पर कॉल लगाता वहीं 'भूतिया' आवाज पेड़ से आती थी।