Move to Jagran APP

भारत की अजीबोगरीब धार्मिक प्रथाएं जिनके खिलाफ उठी आवाज

21वीं सदी में भारत में ऐसी कई धार्मिक प्रथाएं हैं ज‍िनसे लोग छुटकारा पाने के ल‍िए प्रयास करते हैं। आइए जानें वो अजीबोगरीब धार्मिक प्रथाएं जिनके खिलाफ देश में उठी आवाज...

By shweta.mishraEdited By: Published: Wed, 23 Aug 2017 01:04 PM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 03:47 PM (IST)
भारत की अजीबोगरीब धार्मिक प्रथाएं जिनके खिलाफ उठी आवाज

खतना: 

loksabha election banner

श‍िया मुस्‍ल‍िमों में महि‍लाओं के खतना की भी प्रथा है। ज‍िसे लेकर काफी समय से मह‍िलाएं इसका व‍िरोध कर रही हैं लेक‍िन समाज के पुरुष लगातार उनकी आवाज को दबा रहे हैं। ऐसे में अब इस प्रथा को रोकने के बोहरा समुदाय की मासूमा रानाल्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लि‍खा है। उन्‍होंने मांग की है क‍ि बच्‍च‍ियों को खतना या खफ्ज से छुटकारा द‍िलाएं। इस प्रथा के अंतर्गत 7 साल की बच्‍ची का खतना होता है। जि‍समें कोई दाई या लोकल डॉक्टर उसके प्राइवेट पार्ट कुछ ह‍िस्‍से को काट देती हैं। दर्द से तड़पती बच्‍ची को यह नहीं पता होता है क‍ि आख‍िर उसे क‍िस गुनाह की सजा म‍िल रही है। 

तीन तलाक: 

अभी तक मुस्ल‍िम समुदाय में तीन तलाक देने की प्रथा चल रही थी। 1400 वर्षों से प्रचलित इस प्रथा के अंर्तगत मह‍िलाओं को काफी परेशानी होती थी क्‍योंक‍ि उनके पत‍ि तीन बार तलाक बोलकर उन्‍हें जब चाहते थे छोड़ देते थ्‍ो। ज‍िसके खि‍लाफ मह‍िलाओं ने बड़े स्‍तर पर आवाज उठाई। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत के चलन को असंवैधानिक बताकर निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने तीन-दो के बहुमत से फैसला द‍िया है। 

हलाला: 

हालाला प्रथा और बहुवि‍वाह प्रथा को लेकर भी समाज में व‍िरोध की आवाजें उठ चुकी है। तीन तलाक वाली प्रथा के साथ ये दोनों प्रथाएं भी सु्प्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी हैं। हालांक‍ि अभी इन द‍ोनों पर कोर्ट का फैसला नहीं आया है। हलाला प्रथा के तहत तलाकशुदा मुस्लिम औरत दोबारा अपने शौहर से तब तक शादी नहीं कर सकती जब तक वह किसी अजनबी के साथ एक रात न गुजार ले। इस दौरान मह‍िलाओं को काफी परेशानी होती है। वहीं बहुव‍िवाह प्रथा में एक आदमी जीव‍ित पत्‍नी के होते हुए भी एक से ज्‍यादा शादी कर लेते हैं। 

जल्लीकट्टू: 

वहीं तमिलनाडु में भी एक धार्मि‍क प्रथा जल्लीकट्टू है। यह यहां पर एक परंपरागत खेल है। तमिल नव वर्ष पोंगल के मौके पर यह खेल बड़े स्‍तर पर आयोज‍ित होता है। इसमें एक सांड को कई लोग काबू करने की कोशिश करते हैं। इसमें ज‍ितनी तकलीफ जानवरों को होती है उतनी ही इंसानों को भी होती है। इसमें लोगों की मौत भी हुई है। ऐसे में इस खेल के ख‍िलाफ‍ लोगों ने आवाज उठाई और इसे बंद करने की मांग की। इस मामले को लेकर लोग सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं। 


सती प्रथा: 

भारत में अंग्रेजों के समय सती प्रथा का चलन था। इस प्रथा के अंतर्गत पति की मृत्यु के बाद जीव‍ित पत्नी को भी पति के शव के साथ जला द‍िया जाता था। वहीं जो मह‍िलाएं यह नहीं करती थी उन्‍हें समाज में काफी प्रताड़ना झेलनी पड़ती थी। ऐसे में इस धार्मिक प्रथा के ख‍िलाफ राजा राममोहन राय ने पहल आवाज उठाई। ज‍िसका उन्‍हें काफी वि‍रोध झेलना पड़ा। हालांक‍ि उन्‍होंने अपने कदम पीछे नहीं क‍िए। उन्‍होंने इस प्रथा को बंद कराने के ल‍िए बड़े स्‍तर पर आंदोलन आद‍ि क‍िए। बाद में उन्‍हें सफलता मि‍ली और कुरीत‍ि समाज से खत्‍म हो गई। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.