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दिल की सेहत को संभालेगी मोबाइल एप की ये 'धड़कन'

आइआइटी रुड़की के कंप्यूटेशनल ग्रुप ने एक नयी मोबाइल एप बनायी है जो मरीजों के ब्लड प्रेशर, हार्ट बीट व वजन की जानकारी चंद सेकेंड में डॉक्टर तक पहुंचा देगी।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 02 May 2018 01:37 PM (IST)Updated: Wed, 02 May 2018 01:39 PM (IST)
दिल की सेहत को संभालेगी मोबाइल एप की ये 'धड़कन'
दिल की सेहत को संभालेगी मोबाइल एप की ये 'धड़कन'

दिल को खतरे की चेतावनी

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दिल के दौरे या हार्ट फेल के खतरे से जूझ रहे मरीजों के लिए एक राहत भरी खबर है। रुड़की में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के कंप्यूटेशनल ग्रुप ने एक ऐसी मोबाइल एप बनायी है, जिसमें हार्ट फेल की आशंका होने पर यह एप मरीज और उसके चिकित्सक को पहले ही सर्तक कर देगा। ऐसे में समय रहते इलाज मिलने पर मरीज का जीवन बचाया जा सकेगा। आइआइटी रुड़की के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपक शर्मा के नेतृत्व में कंप्यूटेशनल बायोलॉजी ग्रुप ने 'धड़कन' नाम से ये मोबाइल एप बनाया है। 

कैसे काम करता है ये एप

जानकारी के अनुसार इस एप के माध्यम से हार्ट फेल के खतरे से प्रभावित मरीजों का रक्तचाप, हृदय गति दर और वजन में तेजी से बदलाव होने पर यह जानकारी चंद सेकंड में उसके डॉक्टर तक पहुंचा सकती है। जिससे समय रहते जानकारी मिलने पर मरीज की जान बचाई जा सकेगी। डॉक्‍टरों के अनुसार, देश में लगभग एक करोड़ मरीज इस तरह के खतरे से जूझ रहे हैं, ऐसे में 'धड़कन' एप फायदेमंद साबित होगा। यह एप मरीज और उसका इलाज कर रहे डॉक्टर के मोबाइल पर होगा या फिर जिस अस्पताल में मरीज का इलाज चल रहा है उसके पास होगा। 

डाक्‍टर और मरीज के बीच का सेतु

चिकित्‍सकों ने बताया कि आमतौर पर हृदयगति रुकने के खतरे से जूझ रहे मरीजों के रक्तचाप एवं हृदय गति की दर में एक सप्ताह में करीब दस फीसद तक अंतर आ सकता है और वजन एक किलो तक घट या बढ़ सकता है। इन बदलावों पर मरीज तुरंत अपनी धड़कन का डाटा मोबाइल एप के जरिये डॉक्टर को उपलब्ध करा सकता है। यह बदलाव एक सप्ताह से कम समय भी दिखाई दे सकते हैं। मरीज इस प्रकार के बदलावों को महसूस करें, वह तुरंत ही रक्तचाप, हृदय गति की दर और वजन का माप कर सकता है। उन्होंने बताया कि यह चिकित्सकों और मरीजों के बीच पारस्परिक संचार की सुविधा मुहैया करवाता है। आवश्यक होने पर इसके जरिये मरीज अपने चिकित्सक को ईसीजी रिपोर्ट भी भेज सकते हैं। 

दो छात्रों का अविष्‍कार 

अनुमान है कि अस्पताल में भर्ती हार्ट फेल के खतरे वाले मरीजों में से लगभग एक तिहाई अगले तीन से छह महीनों के अंदर फिर से अस्पताल में भर्ती होते हैं या उनकी मौत होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में इस एप का महत्‍व बहुत बढ़ जाता है। इस एप का निर्माण मुख्‍य रूप से दो छात्रों कंप्यूटेशनल बायोलॉजी लेबोरेटरी के सोमेश चतुर्वेदी जो बीटेक बायोटेक्नोलॉजी चतुर्थ वर्ष छात्र हैं और, श्रेया श्रीवास्तव जो पीएचडी बायोटेक्नोलॉजी की प्रथम वर्ष की छात्रा, ने किया है। साथ ही इसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली (एम्स) के प्रो. संदीप सेठ और गोपीचंद्रन का भी सहयोग रहा। एम्स में हार्ट फेल के खतरे से जूझ रहे एक सौ मरीजों पर इस एप को लेकर ट्रॉयल शुरू कर दिया गया है। एप को गूगल प्ले स्टोर से मुफ्त डाउनलोड किया जा सकता है।


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