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87 साल पुराने आम के पेड़ पर घर बना कर 18 साल से रह रहा है ये

एक आदमी बीते 18 सालों से आम के एक पेड़ पर चार मंजिल का घर बना कर रह रहा है। ये पेड़ 87 साल पुराना बताया जा रहा है।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 01:16 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jun 2018 01:17 PM (IST)
87 साल पुराने आम के पेड़ पर घर बना कर 18 साल से रह रहा है ये
87 साल पुराने आम के पेड़ पर घर बना कर 18 साल से रह रहा है ये

पेशे से इंजीनियर है पेड़ पर रहने वाला

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आपने ट्री हाउस के बारे में सुना होगा और ये ख्‍याल आप में से कुछ को आकर्षक भी लगता होगा। अब मिलिए एक शख्‍स से जो बीते 18 साल से एक पेड़ पर बने घर में रह रहा है। ये शख्‍स कानपुर का आईआईटी ग्रेजुएट है और फिल्‍हाल उदयपुर में सिविल इंजीनियर के तौर पर काम कर रहा है। इस शख्‍स का नाम केपी सिंह बताया जा रहा है। सिंह ने उदयपुर के एक इलाके में आम के विशाल पेड़ पर अपना चार मंजिल का मकान बनाया है। 

पेड़ को नहीं पहुंचाया नुकसान

सिंह ने साल 2000 में अपना घर पूरा कर लिया था और उसमें रहने लगे थे। खास बात ये है कि उन्‍होंने लगभग 87 साल पुराने इस आम के पेड़ को बिना कोई नुकसान पहुंचाये घर का निर्माण किया। इसके लिए कई शाखों को सीढ़ियों, मेज, और अल्‍मारी के खानों की तरह इस्‍तेमाल किया। सिंह का ये घर चार मंजिल का है और जमीन से करीब 9 फीट ऊपर है।

रिकॉर्ड बुक में दर्ज हुए

पेड़ से इतना प्‍यार करने और इतने लंबे से बिना आम के पेड़ को कोई नुकसान पहुंचाये, सुरक्षित रूप इस अनोखे घर में रहने के कमाल के चलते सिंह ने एक नया कीर्तिमान बना दिया है। इसीलिए उनका नाम लिम्‍का बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। सिंह खुद मानते हैं कि पहले उनकी कोशिश को लोग शेखचिल्‍ली का ख्‍वाब समझते थे पर अब वे उनके इस काम को इज्‍जत की नजर से देखते हैं और सराहते हैं। अब तो कई लोग उनके शानदार घर को देख कर जलन भी महसूस करते हैं। 

महल जैसा घर

जमीन से अच्‍छी खासी ऊंचाई पर किसी हवा महल जैसा ये घर वाकई में एक महल जैसा ही दिखता है। ये घर वास्‍तव में सार्थक ट्री ट्री हाउस है। इस घर में बाथरुम, किचन, डाइनिंग रूम, सोने का कमरा और दो बालकनी मौजूद हैं। पेड़ की शाखाएं और तने घर की दीवारों की तरह प्रयोग हुए हैं। वहीं पेड़ की कई शाखाओं का इस्तेमाल डाइनिंग टेबल, अल्‍मारी और टीवी स्टैंड के रूप में किया गया है। घर का डिजाइन उसके आकार को देख कर ही बनाया गया था। हालाकि पेड़ 87 साल पुराना है, पर अब भी खासा मजबूत बताया जा रहा। 


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