पहले भरपेट खिलाने का किया वादा, खा लिया तो भगा दिया कहा अब मत आना
एक जर्मन एथलीट को 100 प्लेट के लगभग मछली खाने के चलते वहां के एक आॅल यू कैन र्इट सूशी रेस्टोरेंट ने अपने यहां आने से मना कर दिया है। आप सोच रहे होंगे मामला क्या है तो आइये बतायें।
स्वागत नहीं है तुम्हारा
आपको फिल्म दबंग का वो डायलाॅग तो याद है ना स्वागत नहीं करोगे हमारा, इसी के ठीक उल्टा करते हुए जर्मनी के लैंडशॉट, बवेरिया स्थित आॅल यू कैन र्इट सूशी रेस्टोरेंट ने एक ट्राइथलेट यानि मल्टी स्पोर्टस खिलाड़ी को कह दिया हमारे यहां स्वागत नहीं है तुम्हारा। फाॅक्स न्यूज की एक खबर के मुताबिक ये खिलाड़ी यहां के एक मशहूर सूशी रेस्टोरेंट में खाना खाने गया था। ये रेस्टोरेंट एक निश्चित रकम में भरपेट जो चाहो सो खाना आॅफर करता है। इस व्यक्ति ने भी इस निश्चित रकम का भुगतान करके खाना खाना शुरू किया आैर पेट भरने तक खाया, पर उसकी खुराक देख कर रेस्टोरेंट ने अब उसके आने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
क्या था मामला
खबर के अनुसार जारोस्लाव बाब्रोविस्की नाम के बताये जा रहे इस एथलीट ने रेस्टोरेंट को उसकी निश्चित रकम 15.90 यूरो का भुगतान कर के अपना खाना शुरू किया। ये रकम भारतीय मुद्रा में 1,347.02 रुपये यानि 18.49 डाॅलर होती है। खाना बुफे में सजा था आैर पैसे चुकाने के बाद आप भरपेट वहां मौजूद हर चीज खा सकते थे। बहरहाल जब तक जारोस्लाव का पेट भरा वो करीब 100 प्लेट मछली खा चुका थ। खाना खाने के बाद उसने वेटर को टिप भी आॅफर की पर उसने लेने से मना कर दिया। इसके बाद रेस्टोरेंट का मालिक खुद उसके पास आया आैर बोला की भविष्य में वो वहां ना नायें क्योंकि वो उसे खाना नहीं खिला सकते, ये उन्हें बेहद मंहगा पड़ता है।
रेस्टोरेंट की समस्या
इस रवैये से जहां जारोस्लाव आहत आैर हतप्रभ हैं वहीं रेस्टोरेंट के मालिक का कहना है कि एेसा करना उनकी मजबूरी है। उनके अनुसार इस तरह से उसे खिलाना उन्हें बड़ा मंहगा पड़ रहा है। वो अकेला ही पांच लोगों के बराबर खाना खा रहा है, ये बात उनके व्यवसाय के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है।
क्यों करता है एेसा
वर्तमान दौर में पेशे से साफ्टवेयर इंजीनियर जारोस्लाव का कहना है कि वो वास्तव में एक अनोखा डाइट का तरीका इस्तेमाल करता है। वो करीब 20 घंटे तक कुछ भी ना खा कर एकदम खाली पेट रहता है। इसके बाद जब खाना शुरू करता है तो पूट पूरा भरने तक खाता चला जाता है। उसकी यही आदत रेस्टोरेंट वालों को खल गर्इ आैर उनका प्रतिबंध जारोस्लाव को बेहद बुरा लग गया क्योंकि वो वहां का नियमित ग्राहक रहा है।