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प्रेम में असफल होने से आत्महत्या करने पर महिला को नहीं ठहरा सकते दोषी: दिल्ली हाईकोर्ट

प्यार में असफलता मिलने पर जीवन समाप्त करने से जुड़े मामले में दूसरे पक्ष पर आरोप लगाने से जुड़े मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि प्रेम के मामले में असफलता के कारण अगर प्रेमी आत्महत्या कर लेता है वहां महिला को पुरुष को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Published: Wed, 17 Apr 2024 05:15 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 05:15 PM (IST)
प्रेम में असफल होने से आत्महत्या करने पर महिला को नहीं ठहरा सकते दोषी: दिल्ली हाईकोर्ट

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। प्यार में असफलता मिलने पर जीवन समाप्त करने से जुड़े मामले में दूसरे पक्ष पर आरोप लगाने से जुड़े मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि प्रेम के मामले में असफलता के कारण अगर प्रेमी आत्महत्या कर लेता है, वहां महिला को पुरुष को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

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अदालत ने यह भी कहा कि कमजोर या दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत निर्णय के लिए किसी अन्य व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

महिला को दी जमानत

अदालत उक्त टिप्पणी आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़े मामले में आरोपित एक महिला और एक पुरुष को अग्रिम जमानत देते हुए की। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के पिता ने शिकायत दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि महिला उसके बेटे से प्रेम करती थी, जबकि एक अन्य आवेदनकर्ता कामन मित्र था।

शादी करने की हो रही थी बात

आरोप लगाया गया था कि आवेदकों ने मृतक को यह कहकर उकसाया कि उन्होंने एक-दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं और जल्द ही शादी करेंगे। व्यक्ति ने आत्महत्या की थी और उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था। इसमें मृतक ने दोनों आवेदकों को आत्महत्या का कारण बताया था।

युवक आत्महत्या करने की देता था धमकी

अदालत ने आवेदकों को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए वॉट्सऐप चैट से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मृतक संवेदनशील स्वभाव का था और जब भी महिला उससे बात करने से इनकार करती थी तो वह लगातार आत्महत्या करने की धमकी देता था।

पीठ ने कहा कि यह सही है कि मृतक ने सुसाइड नोट में आवेदकों का नाम लिखा था, लेकिन अदालत की राय में मृतक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट में खतरों की प्रकृति के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है।

अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया सुसाइड नोट में केवल आवेदकों के प्रति मृतक की पीड़ा व्यक्त की गई है, लेकिन यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि आवेदकों का ऐसा कोई इरादा था, जिसके कारण मृतक ने आत्महत्या की थी।


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