Delhi Book Fair: पुस्तक मेले में इस बार विक्रेताओं के लिए ‘नो एंट्री’, 300 से अधिक प्रकाशकों की रहेगी भागीदारी
Delhi Book Fair मेले की लोकप्रियता बढ़ाने और इसमें अधिक से अधिक पाठकों को आकर्षित करने के लिए रेडियो और टीवी की मदद भी ली जाएगी। पुस्तक मेले में विभिन्न साहित्यिक गतिविधियां भी होंगी। तीन साल में फिजिकल मोड में मेले का आयोजन हो रहा है।
नई, जागरण संवाददाता। Delhi Book Fair: दिल्ली पुस्तक मेले में इस वर्ष विक्रेताओं को स्टाल नहीं दिए जाएंगे। मेले की साख बनाए रखने के लिए भारतीय प्रकाशक संघ (एफआइपी) ने किताबों की ‘सेल’ लगाने वालों के लिए ‘नो एंट्री’ का फैसला लिया है। मेले की लोकप्रियता बढ़ाने और इसमें अधिक से अधिक पाठकों को आकर्षित करने के लिए रेडियो और टीवी की मदद भी ली जाएगी। भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आइटीपीओ) और एफआइपी का संयुक्त आयोजन 26वां दिल्ली पुस्तक मेला 22 से 26 दिसंबर के दौरान प्रगति मैदान में होगा।
इस साल फिजिकल मोड में लग रहा मेला
इसी के साथ हाल नंबर चार व पांच में 22वां स्टेशनरी फेयर और छठा आफिस आटोमेशन एंड कारपोरेट गिफ्ट फेयर भी रहेगा। मेले की थीम पर आइटीपीओ व एफआइपी की संयुक्त बैठक में इसी सप्ताह तय किया जाएगा। एफआइपी पदाधिकारियों ने बताया कि इस साल फिजिकल मोड में यह मेला तीन साल में हो रहा है। मतलब 2019 के बाद यह 2022 में हो रहा है।
मेले में होंगी साहित्यिक गतिविधियां
लिहाजा, प्रकाशकों में भी उत्साह है। संभावना है कि इसमें दिल्ली-एनसीआर सहित देश के विभिन्न हिस्सों से 300 से अधिक प्रकाशकों की भागीदारी रहेगी। पुस्तक मेले में विभिन्न साहित्यिक गतिविधियां भी होंगी। आइटीपीओ अधिकारियों ने बताया कि इस बार इस मेले में युवा उद्यमियों को भी विशेष छूट पर ओपन स्पेस मुहैया कराया जाएगा। साथ ही मेले में प्रवेश नि:शुल्क रखने का निर्णय लिया गया है।
दोनों आयोजकों के बीच मेले के प्रचार-प्रसार को बेहतर बनाने के लिए भी तमाम विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। मालूम हो कि दिल्ली पुस्तक मेले के बाद प्रगति मैदान में ही 25 फरवरी से पांच मार्च के दौरान राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) द्वारा विश्व पुस्तक मेला भी आयोजित किया जा रहा है।
एफआइपी दिल्ली पुस्तक मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने बताया कि 26वें दिल्ली पुस्तक मेले के आयोजन से जुड़ी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। स्टाल बुकिंग भी चल रही है। हमारी कोशिश रहेगी कि इस बार मेले में मूलत: प्रकाशक ही भाग लें, ऐसे विक्रेता नहीं, जो वहां किताबों की भी ‘सेल’ लगाकर साहित्य सृजन को बाजारवाद का हिस्सा बना देते हैं। मेले में पाठकों की संख्या बढ़ाने के लिए भी उपाय किए जा रहे हैं।