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Noida School: प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को लूटने में लगे, इस साल 30% तक बढ़ी शुल्क; किताबों-यूनिफॉर्म के नाम पर लगा रहे चूना

नोएडा में प्राइवेट स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को ऑनलाइन व ऑफलाइन शुल्क जमा कराने को लेकर सूचना मिलने लगी है। ज्यादातर स्कूलों ने शुल्क में बढ़ोतरी की है लेकिन कुछ स्कूलों ने उत्तर प्रदेश शुल्क नियामक अधिनियम को ताक पर रखते हुए 30 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष में 10.4 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि नहीं करने को कहा था।

By Ajay Chauhan Edited By: Sonu Suman Published: Sat, 30 Mar 2024 02:04 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2024 02:04 PM (IST)
Noida School: प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को लूटने में लगे, इस साल 30% तक बढ़ी शुल्क; किताबों-यूनिफॉर्म के नाम पर लगा रहे चूना
प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को लूटने में लगे, इस साल 30% तक बढ़ी शुल्क।

अजय चौहान, नोएडा। नए शैक्षणिक सत्र के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी भी शुरू हो गई है। स्कूल नियमों को ताक पर रख अभिभावकों को लूट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष में 10.4 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि न करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद स्कूल संचालकों ने इस वर्ष 30 प्रतिशत शुल्क बढ़ोतरी कर दी। किताबों की खरीद और यूनिफॉर्म बदलने तक के मामले सामने आने लगे हैं।

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स्कूल नियमों को ताक पर रख अपनी मनमानी कर रहे हैं। परेशानी अभिभावक बच्चों के भविष्य को देखते हुए खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहें हैं। इसी का फायदा निजी स्कूल उठा रहे हैं। अभिभावकों की परेशानी और स्कूलों की मनमानी को शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन तक पहुंचाने के लिए आपका समाचार पत्र दैनिक जागरण आज से ‘निजी स्कूलों की मनमानी’ सीरीज शुरू कर रहा है। प्रस्तुत है पहली शुल्क वृद्दि पर पहली किस्त....

एक अप्रैल से 2024-25 शैक्षणिक सत्र का आरंभ हो रहा है। इसके साथ ही स्कूलों में नई कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को ऑनलाइन व ऑफलाइन शुल्क जमा कराने को लेकर सूचना मिलने लगी है। ज्यादातर स्कूलों ने शुल्क में बढ़ोतरी की है, लेकिन कुछ स्कूलों ने उत्तर प्रदेश शुल्क नियामक अधिनियम को ताक पर रखते हुए 30 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया है।

अभिभावकों पर भारी आर्थिक मार

ग्रेटर नोएडा के ब्लूम इंटरनेशनल स्कूल के एक अभिभावक ने बताया कि बीते सत्र में 10वीं कक्षा में 54 सौ रुपये प्रति माह शुल्क था, जबकि इस सत्र में यह बढ़कर 7050 रुपये प्रति माह हो गया है। प्रत्येक माह 1650 रुपये का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। यह लगभग 30.55 प्रतिशत है। यह ट्यूशन शुल्क है। ऐसे में सामान्य अभिभावक के लिए अचानक इतना अधिक भुगतान करना भारी पड़ रहा है। ऐसे में स्कूल इस पर फिर से विचार करें।

वहीं, मामले को लेकर स्कूल के निदेशक रीतिन नागर ने बताया कि शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। वार्षिक शुल्क को तोड़कर कंपोजिट शुल्क में बांट दिया गया है। अभी तक अभिभावक जो राशि एक बार में जमा करते थे। अब वह माह वार जमा कर सकते हैं। इसके चलते मासिक शुल्क बढ़ा है।

रामाज्ञा इंटरनेशनल स्कूल की अभिभावक ने बताया कि स्कूल ने अधिकारिक तौर पर सूचना नहीं दी है, लेकिन फोन पर 10.66 प्रतिशत शुल्क बढ़ाने की बात कही है। ट्यूशन शुल्क के साथ ही स्कूलों की तरफ से प्रवेश शुल्क में भी वृद्धि की गई है।

तकनीकी रूप से बचने के लिए अलग-अलग शुल्क

शुल्क नियामक अधिनियम के उल्लंघन से बचने के लिए कई स्कूलों ने ट्यूशन शुल्क में वृद्धि तो अधिकतम सीमा के अंदर ही की है, लेकिन पंजीकरण समेत दूसरे तरीके से अभिभावकों पर खर्च बढ़ा दिया है। ट्रांसपोर्ट शुल्क में भी स्कूलों ने वृद्धि की है।

यह है शुल्क बढ़ाने का नियम

प्रदेश के स्कूलों में शुल्क वृद्धि का आधार उत्तर प्रदेश शुल्क नियामक अधिनियम 2018 है। इसके तहत स्कूल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) या शिक्षकों की वेतन वृद्धि में जो न्यूनतम होगा। उसमें पांच प्रतिशत राशि जोड़कर शुल्क में अधिकतम वृद्धि कर सकते हैं। 2023-24 के लिए सीपीआइ 5.4 प्रतिशत है। ऐसे में इसमें पांच प्रतिशत जोड़ कर स्कूल अधिकतम 10.4 प्रतिशत ही शुल्क वृद्धि कर सकते हैं।

कई स्कूलों के अभिभावकों ने शुल्क बढ़ाने की बात कही है, लेकिन अभी शुल्क जमा नहीं किया है। शुल्क रसीद मिलने के बाद जिलाधिकारी से स्कूलों की शिकायत करेंगे। साथ ही बड़े स्तर पर विरोध भी करेंगे। - सुखपाल सिंह तूर, एनसीआर पैरेंट्स एसोसिएशन

स्कूल हर साल मनमाने तरीके से शुल्क बढ़ाते हैं, लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से मामले में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है। स्कूल वार फीडबैक लेकर सर्वे की रिपोर्ट शिक्षा विभाग को देंगे। - मनोज कटारिया, गौतमबुद्धनगर पैरेंट्स वेलफेयर सोसायटी

अगर किसी स्कूल ने शुल्क नियामक अधिनियम का उल्लंघन कर शुल्क वृद्धि की है तो अभिभावक विभाग में शिकायत दें। उस पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. धर्मवीर सिंह, डीआईओएस

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