बिना गोली चलाए सेना के जवान ले सकेंगे प्रशिक्षण, घायल होने की भी नहीं रहेगी आशंका
सेना के जवान बिना गोली चलाए प्रशिक्षण ले सकेंगे। घायल होने की आशंका भी नहीं रहेगी। पिछले साल 27 से 29 अक्टूबर तक दिल्ली के भारत मंडपम में हुए इंडियन मोबाइल कांग्रेस के दौरान ट्रेनिंग सिम्युलेटर सिस्टम का प्रदर्शन किया गया था। इस कार्यक्रम में सेना और एनएसजी ने डीटीयू के इस स्टार्ट-अप में अपनी रुचि दिखाई थी। सक्षम ने बताया कि एनएसजी इस प्रोजेक्ट का अध्ययन कर रहा है।
धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। अब बिना गोली चलाए सेना के जवान प्रशिक्षण ले सकेंगे। दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(डीटीयू) से जुड़े स्टार्ट-अप के तहत विद्यार्थी ऐसे अनूठे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
राइफल पर खास डिवाइस लगाने और विशेष जैकेट पहनने के बाद सैनिक बिना गोली चलाए प्रशिक्षण ले सकेंगे।इस तकनीक से असली जैसे कृत्रिम वातावरण में सैनिक प्रशिक्षण ले सकेंगे और किसी जवान के चोटिल होने की आशंका भी खत्म हो जाएगी।
डीटीयू के विद्यार्थियों ने ऐसी डिवाइस तैयार की है, जिसे किसी अत्याधुनिक राइफल पर लगाया जा सकता है। यह डिवाइस हथियार पर लगने के बाद राइफल की नाल से गोली के बजाय लेजर लाइट निकलेंगी और सीधे ''दुश्मन'' पर निशाना साधेंगी।
गोली की घातकता को भी बताएगी
जैसे ही ''दुश्मन'' के शरीर से लेजर टकराएंगी तो जैकेट पर लगी बत्ती जल जाएगी। जैकेट में ऐसी डिवाइस लगाई है, जो गोली की घातकता को भी बताएगी।
डीटीयू के इस स्टार्ट-अप के अध्ययन के बाद भारतीय वायु सेना ने इनोवेशन फार डिफेंस एक्सीलेंस (आइडीई) योजना के तहत गत नौ फरवरी को अपनी सहमति दी है।सेना आइडीई योजना के तहत चुने प्रोजेक्ट के लिए बजट भी देती है।वायु सेना के अलावा एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) भी इस प्रोजेक्ट में रूचि दिखाई है।
मेक्फी रोबोटिक्स स्टार्ट-अप के संस्थापक एवं डीटीयू के छात्र सक्षम मिश्रा ने बताया कि ''ट्रेनिंग सिम्युलेटर'' (असली जैसा कृत्रिम वातावरण) नाम के उनके इस प्रोजेक्ट को भारतीय वायु सेना की मंजूरी मिल गई और इस पर काम भी आरंभ कर दिया है। दो साल के भीतर इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है।
इस तरह काम करेगी डिवाइस व जैकेट
डीटीयू से इंजीनियरिंग फिजिक्स में बीटेक करने वाले सक्षम मिश्रा ने बताया कि इस डिवाइस को हर तरह के हथियार पर लगाया जा सकता है।इस समय जितने की भी किस्म की राइफल हैं, सभी में इस डिवाइस को लगाया जा सकता है। किसी अन्य हथियार पर इसे आसानी से लगाया जा सकता है।
राइफल पर यह डिवाइस लगाने और जैकेट पहनने के बाद आर्म्ड फोर्स का जवान वास्तविक जैसा प्रशिक्षण ले सकता है। राइफल पर डिवाइस लगने के बाद गोली की जगह लेजर लाइट निकलेंगी और दुश्मन सैनिक को टारगेट करेंगी।
निशाना सही लगा तो जलेगी जैकेट पर लगी लाल रंग की लाइट
गोली जैसे ही दुश्मन सैनिक की जैकेट को छूएगी, तुरंत उसी प्वाइंट पर लाइट जल उठेगी। लाल लाइट जलने का मतलब होगा ज्यादा घातक और पीले रंग यानि चोट तो लगी, लेकिन ज्यादा घातक नहीं है।
हरे रंग की बत्ती का भी आप्शन रखा गया है। जब एक सैनिक गलती से अपने ही खेमे के सैनिक पर फायरिंग करेगा, तभी हरे रंग की बत्ती तभी जल उठेगी। लेजर की रेंज भी आम हथियार जितनी होगी।
''ट्रेनिंग सिम्युलेटर'' तैयार करने वाली टीम
- सक्षम मिश्रा, इंजीनियरिंग फिजिक्स में बीटेक, शाहपुर पटोरी, समस्तीपुर (बिहार)
- सौरव यादव, इंजीनियरिंग फिजिक्स में बीटेक, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
- राज चौधरी, मैकेनिकल में बीटेक, मथुरा (उत्तर प्रदेश)
बिना गोली चलाए और बिना शारीरिक नुकसान उठाए सैनिक प्रशिक्षण ले सकेंगे, डीडीयू के छात्र ऐसी डिवाइस तैयार करने में जुटे हैं।इस डिवाइस के लगाने से हथियार व जैकेट के वजह पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।बिना मैदान में उतारे सैनिकों की दक्षता की परख भी की जा सकेगी। सैनिकों का प्रशिक्षण असल प्रशिक्षण जैसा ही होगा।
- डॉ. अमित सिंह राठौड़, सीओओ, आइटीबीआई डीटीयू इनोवेशन एवं इन्क्यूबेशन फाउंडेशन