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Delhi-NCR Transport: परिवहन सेवा सुधरे, तो दौड़ेगा एनसीआर; ट्रांसपोर्ट सर्विस में मजबूती की है दरकार

दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 500 बसें सड़क पर खराब हो जाती हैं और यात्रियों को परेशानी झेलनी होती है। इसका कारण 80 प्रतिशत से अधिक बसों का पुराना होना है। लोगों की आकांक्षा है कि हालात बदलें और राजधानी ही नहीं बल्कि एनसीआर के सभी शहरों में सार्वजनिक परिवहन को मजबूत किया जाए ताकि लोग अपने वाहनों का मोह छोड़ सकें। पेश है वीके शुक्ला की रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Published: Thu, 28 Mar 2024 01:39 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2024 01:39 PM (IST)
Delhi-NCR Transport: परिवहन सेवा सुधरे, तो दौड़ेगा एनसीआर; ट्रांसपोर्ट सर्विस में मजबूती की है दरकार
दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 500 बसें सड़क पर खराब हो जाती हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एनसीआर के लोग सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन सेवा की आकांक्षा रखते हैं। वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आने वाले वर्षों में सार्वजनिक परिवहन सेवा बेहतर बने। बसों में सफर आरामदायक हो और समय से गंतव्य तक पहुंचें। यूं तो बसों की अनुपलब्धता की समस्या पूरे एनसीआर की है, लेकिन दिल्ली में कुछ ज्यादा है, क्योंकि यहां बसों की संख्या कम है। इसकी वजह से एनसीआर के विभिन्न रूटों पर बसों की संख्या बेहद कम है। 

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वहीं, एक समस्या यात्रियों के भरोसे की भी है, उन्हें विश्वास नहीं है कि बस से गंतव्य तक समय पर पहुंच सकेंगे या रास्ते में खराब नहीं होंगी। दिल्ली की स्थिति कुछ ऐसी है। प्रतिदिन औसतन 500 बसें सड़क पर खराब हो जाती हैं और यात्रियों को परेशानी झेलनी होती है। इसका कारण 80 प्रतिशत से अधिक बसों का पुराना होना है। लोगों की आकांक्षा है कि हालात बदलें और राजधानी ही नहीं, बल्कि एनसीआर के सभी शहरों में सार्वजनिक परिवहन को मजबूत किया जाए, ताकि लोग अपने वाहनों का मोह छोड़ सकें। पेश है वीके शुक्ला की रिपोर्ट -

दिल्ली परिवहन निगम और डिम्ट्स पर है निर्भर

दिल्ली में 11 हजार बसों की जरूरत है, मगर 7582 बसें ही हैं। यहां परिवहन व्यवस्था दिल्ली परिवहन (डीटीसी) और डिम्ट्स पर निर्भर है। डीटीसी की अधिकतर लो-फ्लोर सीएनजी बसों ने तकनीकी परिचालन सीमा को पार कर लिया है। आठ साल से अधिक चलने वाली बसें ओवरएज घोषित हो जाती हैं। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत चल रहीं लो-फ्लोर सीएनजी बस का अधिकतम परिचालन जीवन 12 वर्ष या 7.5 लाख किमी है, लेकिन कमी के चलते अनुमति लेकर पुरानी बसें ही चलाई जा रही हैं। 

वर्तमान में दिल्ली के बस बेड़े में 3,141 बसें डिम्ट्स और 4,441 बसें डीटीसी की हैं। 2025 तक 10,480 बसें करने का लक्ष्य है। इसमें से 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें होंगी। अभी दिल्ली की सड़कों पर डीटीसी की 1650 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। पिछले साल से नई बसें बढ़ी हैं, लेकिन इसमें और तेजी की जरूरत है।

चार साल से सेक्टरों तक राह आसान होने का इंतजार

औद्योगिक नगरी में मेट्रो स्टेशनों से नोएडा और ग्रेटर नोएडा के सेक्टरों की राह आसान होने का चार वर्ष से इंतजार हैं। नोएडा प्राधिकरण की ओर से पूर्व में शहर के रूटों पर एसी बसें चलाई गईं, लेकिन मार्च 2020 में बंद हो गईं। नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ एनएमआरसी ने 12 रूटों पर 25 एसी बसें चलाने की योजना बनाई थी। एक्वा और ब्लू लाइन मेट्रो स्टेशन इससे जोड़ने थे। ये सेक्टर-51 से डीएलएफ मॉल, सेक्टर-51 से ओखला पक्षी विहार,सेक्टर-142 से सेक्टर-15ए, सेक्टर-51 से एक मूर्ति चौराह, सेक्टर-150 से परी चौक ग्रेटर नोएडा, सेक्टर-63 से सेक्टर-104 जेपी अंडरपास के बीच चलनी थीं, योजना ठंडे बस्ते में है।

गाजियाबाद में भी और बसों की जरूरत

गाजियाबाद में 10 रूट पर 80 सिटी बसें चलती हैं। कुछ रूट पर बसों की संख्या यात्रियों की संख्या के हिसाब से कम हैं। कुछ रूट पर यात्री न मिलने से बसों का संचालन बंद कर दिया। गोशाला फाटक से नोएडा के अट्टा तक एक बस चलती है। इस रूट पर संख्या बढ़ाने की जरूरत है। यूपी बार्डर से दादरी रूट पर 12 बस, मोदीनगर से कालिंदी कुंज रूट पर 15 बस, नया बस अड्डा से कोट का पुल रूट पर तीन बस, न्यू सब्जी मंडी से पिलखुवा तक 22 बस, कर्पूरीपुरम से महाराजपुर बार्डर रूट पर 25 बस, गोविंदपुरम से राजेंद्र नगर यूपी बार्डर रूट पर दो बस चल रही हैं। मोहर नगर से मोदीनगर व गाजियाबाद से कुलेसरा रूट पर एक-एक बस हैं। इनकी संख्या में बढ़नी चाहिए।

हरियाणा के शहरों में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था

गुरुग्राम: गुरुग्राम मेट्रोपालिटन सिटी बस लिमिटेड की 150 सिटी बसें चल रही हैं। इनमें रोज 50 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। लो फ्लोर सीएनजी की बसें चल रही है। इनकी 50 बसें फरीदाबाद में भी चलती हैं। गुरुग्राम शहर के साथ सिटी बसें सोहना और मानेसर सहित आसपास के कस्बों तक चल रही हैं। साइबर सिटी में 100 इलेक्ट्रिक बसें 32 रूटों पर चलाने की योजना है। इस साल के अंत तक इलेक्ट्रिक बसें मिलने की उम्मीद है।

फरीदाबाद: जिले की आबादी 26 लाख है, लेकिन रोडवेज के बेडे में 180 बस हैं। इनमें से 30 से 35 बसें वर्कशाप में खड़ी रहती हैं। अन्य बसों में ज्यादातर दूसरे प्रदेशों के रूटों पर चलती हैं। सिटी बस सेवा शुभगमन की 50 बस हैं। ये बस शहर में बल्लभगढ़ से बदरपुर बार्डर, गुरग्राम, मंझावली व मोहना रूट पर चलती हैं। 100 इलेक्ट्रिक बसें आने की उम्मीद है।

रेवाड़ी: यहां सिटी बस सेवा नहीं हैं। रोडवेज डिपो में 177 की बजाय 142 बसें ही मौजूद हैं। बसों की कमी से कई रूटों पर बसों के फेरे कम हैं। फिलहाल शहर में सिटी बस सेवा नहीं चल रही है। रेवाड़ी डिपो को इसी साल जून तक 50 इलेक्ट्रिक बसें मिलने वाली हैं। इलेक्ट्रिक बसें मिलने के बाद शहर में सिटी सेवा आरंभ होने की उम्मीद जताई जा रही है।

नारनौल: नारनौल रोडवेज डिपो में 165 बसों की बजाय 147 बसें ही मौजूद हैं। बसों की कमी से कई मार्गों पर नहीं चल पा रही हैं। डिपो में चालक और परिचालकों की कमी भी है। शहर में सिटी बस सेवा नहीं चल रही है। हाल में 10 एसी बसें बेड़े में शामिल हुईं और 10 इलेक्ट्रिक बसें मिलने की उम्मीद है।

पलवल: पलवल जिले में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बेहद खराब है। हरियाणा रोडवेज के बेडे में मौजूद समय में 111 बसें हैं, जबकि आवश्यकता 160 बसों की है। एक बड़ी समस्या स्टाफ की कमी भी है। विभाग में मौजूदा समय में 132 परिचालक व 143 चालक हैं, जो काफी कम हैं।

परिवहन व्यवस्था पर आंकड़ें

  • 500 बसें दिल्ली की सड़कों पर प्रतिदिन खराब होती हैं
  • 11,000 बसों की दिल्ली में है जरूरत, इस समय 7582 बसें ही उपलब्ध
  • 80 प्रतिशत से अधिक बसें दिल्ली में पुरानी हो चुकी हैं
  • 2020 के मार्च में नोएडा प्राधिकरण की ओर से चलाई गईं एसी बसों का संचालन बंद हो गया
  • 1650 इलेक्ट्रिक बसें डीटीसी की वर्तमान में दिल्ली में चल रही हैं
  • 8 वर्ष से अधिक समय तक चलने वाली बसें घोषित होती हैं ओवरएज
  • 2025 तक दिल्ली में 10,480 बसें लाने का लक्ष्य, 80 प्रतिशत होंगी इलेक्ट्रिक
  • 10 रूटों पर फिलहाल इस समय 80 सिटी बसें गाजियाबाद में सार्वजनिक परिवहन सेवा के तहत चलाई जा रही हैं

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