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दत्तात्रेय होसबाले का बयान, कहा- मजबूरी में गोमांस खा चुके लोगों के लिए नहीं बंद कर सकते घर वापसी के द्वार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जिनके पूर्वज हिंदू हैं वह सभी हिंदू हैं। अगर किसी कारण से कोई दूसरे धर्म में चला गया और मजबूरी में गोमांस खा लिया है तब भी उनके लिए घर वापसी के दरवाजे बंद नहीं कर सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaPublished: Thu, 02 Feb 2023 11:57 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2023 11:57 PM (IST)
दत्तात्रेय होसबाले का बयान, कहा- मजबूरी में गोमांस खा चुके लोगों के लिए नहीं बंद कर सकते घर वापसी के द्वार
होसबाले ने जातिवादी व्यवस्था पर कड़ा प्रहार किया।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जिनके पूर्वज हिंदू हैं, वह सभी हिंदू हैं। अगर किसी कारण से कोई दूसरे धर्म में चला गया और मजबूरी में गोमांस खा लिया है, तब भी उनके लिए घर वापसी के दरवाजे बंद नहीं कर सकते हैं। होसबाले जयपुर के बिड़ला सभागार में ''संघ : कल, आज और कल'' विषय पर व्याख्यान के दौरान आदिवासी समाज को हिंदू समाज से अलग करने तथा उन्हें बांटने के षड्यंत्र का उल्लेख कर रहे थे।

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होसबाले का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब मतांतरित लोगों की घर वापसी को लेकर संघ प्रयासरत है। उनके इस स्पष्टीकरण को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि मतांतरित ईसाई और मुस्लिम समाज की घर वापसी को लेकर हिंदू समाज व धर्माचार्यों में अब भी हिचकिचाहट देखी जा रही है।

संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि मतांतरित समाज की घर वापसी को लेकर पहले भी द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी ने हिंदू समाज के धार्मिक नेत़ृत्व व शंकराचार्य को यह बात समझाई थी। संघ के प्रयासों से यह स्थिति आई है कि आदिवासी समाज भी अब गर्व से खुद को हिंदू कहने लगा है। उन्होंने कहा कि संघ कठोर नहीं, बल्कि लचीला है।भारत के मत और संप्रदाय को एक मानता है। अपने मत-संप्रदाय की चीजों को बरकरार रखते हुए लोग संघ के लिए कार्य कर सकते हैं। संघ को लोग अपना दुश्मन मानते होंगे, लेकिन संघ का कोई दुश्मन नहीं है। उन्होंने कहा, संघ न तो दक्षिणपंथी है, न वामपंथी। यह सिर्फ राष्ट्रहित का काम करने वाला है। हम राष्ट्रवादी हैं। आज राष्ट्र जीवन के केंद्र ¨बदु पर संघ है।

जातिवादी व्यवस्था पर प्रहार

होसबाले ने जातिवादी व्यवस्था पर कड़ा प्रहार किया। बोले-वर्ण व्यवस्था उस काल की आवश्यकता रही होगी, लेकिन आज का समाज रुका हुआ पानी नहीं हो सकता है, परिवर्तन होना चाहिए। अगर अस्पृश्यता पाप नहीं, तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं है। कहा कि भारत को पितृभूमि मानने वाले सभी हिंदू हैं। पूजा पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन सभी का डीएनए एक है। यह हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि इस देश को बनाने वाले हिंदू हैं। संविधान से लेकर समाज में हिंदू हैं।

संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं, दिल चाहिए

आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि संघ को समझने के लिए दिमाग नहीं, बल्कि दिल चाहिए। केवल दिमाग से काम नहीं चलेगा, क्योंकि दिल और दिमाग बनाना ही संघ का कार्य है। संघ के एक लाख सेवा कार्य चलते हैं। संघ जनरेटर की तरह काम करता है। यह एक जीवनपद्धति, कार्यपद्धति और जीवनशैली है। हिंदुत्व के सतत विकास के आविष्कार का नाम संघ है। प्रतिवर्ष एक लाख युवा प्राथमिक शिक्षा वर्ग में संघ को जानने के लिए आते हैं।


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