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स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली सबसे आगे, इसके बाद सिक्किम और गोवा; सीएसई की रिपोर्ट में खुलासा

यह जानकारी साझा की गई है सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी स्टेट आफ एनवायरमेंट (एसओई) रिपोर्ट 2023 में। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने विश्व पर्यावरण के मौके पर रविवार को इस रिपोर्ट का डिजिटल संस्करण जारी किया।

By sanjeev GuptaEdited By: Abhishek TiwariPublished: Mon, 05 Jun 2023 08:12 AM (IST)Updated: Mon, 05 Jun 2023 08:12 AM (IST)
स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली सबसे आगे, इसके बाद सिक्किम और गोवा; सीएसई की रिपोर्ट में खुलासा
स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली सबसे आगे, इसके बाद सिक्किम और गोवा; सीएसई की रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिल्ली सबसे आगे है। इस प्रदेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र पर अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा आवंटित किया है। यहां स्वास्थ्य देखभाल के लिए स्वस्थ व मजबूत नेटवर्क भी है। यह बात अलग है कि दिल्ली में टीकाकरण की दर निम्न है।

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स्वास्थ्य के क्षेत्र में कौन सा राज्य किस पायदान पर?

राजधानी के बाद सिक्किम, गोवा और मिजोरम का स्थान है। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में सबसे निचले पायदान पर रहे मध्य प्रदेश में मातृ मुत्यु अनुपात एवं शिशु मृत्यु दर अधिक है। असम, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश भी इस मामले में निचले पायदान पर ही हैं।

यह जानकारी साझा की गई है सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी स्टेट आफ एनवायरमेंट (एसओई) रिपोर्ट 2023 में। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने विश्व पर्यावरण के मौके पर रविवार को इस रिपोर्ट का डिजिटल संस्करण जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “आंकड़ों में बड़ी कहानियां छिपी होती हैं।

आंकड़े एक नजर में ही कहानी बता देते हैं और उसे प्रमाणित करते हैं। द स्टेट आफ इंडियाज एनवायरमेंट 2023 इन फिगर्स के जरिए हमने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर भारत के पर्यावरण की कहानी समझाने की कोशिश की है। यह रिपोर्ट बताती है कि पर्यावरण के क्षेत्र में कहां गड़बड़ी है और कहां यह टिकाऊ तरीके से आगे बढ़ रहा है, साथ ही कहां आंकड़ों में गैप है।”

राज्यों का हाल

  • पर्यावरण के क्षेत्र में प्रदर्शन के लिए तेलंगाना को पहली रैंकिंग दी गई है। तेलंगाना को पहला स्थान मुख्य रूप से वन आवरण में वृद्धि व नगरीय ठोस अपशिष्ट के उपचार के लिए मिला है। यूं राज्य का प्रदर्शन जलाशयों के संरक्षण, भूजल दोहन और नदी प्रदूषण के मामले में औसत से कम है।
  • तेलंगाना के बाद गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र का स्थान है। राजस्थान, नागालैंड और बिहार निचले पायदान पर हैं। निचले पायदान पर रहने वाले 10 राज्यों में से छह उत्तर पूर्व के हैं। इनमें असम भी शामिल है।
  • कृषि के क्षेत्र में मध्य प्रदेश अव्वल आया है। शुद्ध मूल्य वर्धन और खाद्यान्न उत्पादन में राज्य का प्रदर्शन सबसे अच्छा है। राज्य का करीब आधा फसल क्षेत्र बीमित नहीं है। आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। निचले पायदान पर दिल्ली, गोवा और मेघालय हैं।
  • आधारभूत संरचना और मानव विकास के मामले में गुजरात ने पहली रैंकिंग हासिल की है। गुजरात ने अपने प्रदर्शन में सुधार रोजगार प्रदान करने और नल जल कनेक्शन देकर किया है। राज्य का लिंगानुपात तुलनात्मक रूप से कम है और ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी आबादी ऐसी है जो स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल नहीं करती। इस मामले में झारखंड सबसे नीचे है। इसके बाद नागालैंड, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश का नंबर है।

कुछ अन्य क्षेत्रों पर मुख्य निष्कर्ष

प्लास्टिक का अवैध प्रयोग

जुलाई 2022 में जब भारत ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया था, तब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एसयूपी-सीपीसीबी नामक मोबाइल एप लांच किया था। इस ऐप के जरिए लोग प्लास्टिक की अवैध बिक्री और इस्तेमाल की शिकायत कर सकते हैं। एप के माध्यम से प्राप्त शिकायतों पर ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

2020-21 में भारत में प्रतिदिन 1,60,000 टन अपशिष्ट उत्पन्न हुआ। इसमें से 32 प्रतिशत अपशिष्ट का कोई हिसाब किताब नहीं है। यह अपशिष्ट मुख्य रूप से नालियों में पड़ा रहता है या उसे जला दिया जाता है। एक अच्छी बात यह है कि देश में अपशिष्ट के उपचार और निगरानी में सुधार हो रहा है।

वायु प्रदूषण व स्वास्थ्य

साल 2020 में वायु प्रदूषण के कारण एक भारतीय की औसत उम्र चार साल 11 महीने कम हो गई। ग्रामीण क्षेत्र इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं जहां जीवन प्रत्याशा में पांच साल दो महीने की कमी आई है। ग्रामीणों के मुकाबले शहरी लोगों की जीवन प्रत्याशा नौ महीने अधिक है।

जलवायु आपदा व चरम मौसम

साल 2022 के 365 दिनों में कुल 314 दिन चरम मौसम की घटनाएं घटीं। इन घटनाओं से कुल 3026 लोग मारे गए और 19.6 लाख हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई। 2022 में लू की घटनाएं, वहीं 2023 में ओलावृष्टि की घटनाएं सामान्य हो गईं।


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