कोरोना की ही तरह जीका वायरस की भी नहीं बन सकी है आज तक कोई वैक्सीन
कोरोना की ही तरह जीका वायरस की भी आज तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। केवल बचाव ही इसका इलाज है।
नई दिल्ली। पूरी दुनिया आज कोरोना वायरस के शिकंजे में बुरी तरह से जकड़ी हुई है। अब तक इसकी कोई वैक्सीन भी सामने नहीं आई है। इस वजह से भी इसके मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि जैसे इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है वैसे ही एक और बीमारी है जिसका आज तक कोई इलाज नहीं तलाशा गया था। इसका नाम है जीका वायरस। ये एक विषाणु है जो दिन के समय सक्रिय होता है। यूं तो 50 के दशक में ही इस बीमारी का पता चल गया था, लेकिन इसकी वैक्सीन को आज तक दुनिया इंतजार ही कर रही है। कोरोना की ही तरह इस वायरस से बचाव के इंसान की अपनी जागरुकता पर टिका है।
शुरुआत में यह अफ्रीका से एशिया तक फैला और फिर 2014 में प्रशांत महासागर से फ्रेंच पॉलीनेशिया तक और उसके बाद 2015 में यह मेक्सिको, मध्य अमेरिका तक भी पहुंच गया। वर्ष 2007 में फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया द्वीप से इसके मरीज सामने आए थे। इसके बाद 2013 में फ्रेंच पोलिनेशिया और प्रशांत में अन्य देशों और क्षेत्रों में जीका वायरस के संक्रमण का बड़ा प्रकोप हुआ था। मार्च 2015 में, ब्राजील ने दाने की बीमारी के एक बड़े प्रकोप की सूचना दी, जिसे जल्द ही जीका वायरस संक्रमण के रूप में पहचाना गया, और जुलाई 2015 में, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से जुड़ा पाया गया। आज तक, कुल 86 देशों और क्षेत्रों में मच्छरों से फैलने वाले जीका संक्रमण के प्रमाण मिले हैं।
कोरोना वायरस की ही तरह इसका पता भी 3-14 दिनों में पता चलता है। इससे संक्रमित अधिकांश लोगों में इसके लक्षण का पता चल पाना मुश्किल होता है। इसके लक्षण के तौर पर बुखार, शरीर पर उभरे दाने, मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, सिरदर्द है जो 2-7 दिनों तक रहते हैं।
जीका वायरस मुख्य रूप से एडीज जीन से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर आम तौर पर दिन के दौरान काटते हैं। इसी मच्छर की वजह से जिसकी वजह से डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर होता है।
जीका वायरस से बचाव के लिए अपने आस पास की जगह को साफ रखना जरूरी है। कोरोना में जिस तरह से हाथों को बार-बार धोने की सलाह दी जा रही है वैसे ही यदि अपने आसपास की जगहों पर पानी नहीं भरने देंगे तो मच्छर भी वहां पैदा नहीं होंगे। गर्भवती महिलाओं को इससे अधिक सचेत रहने की जरूरत है। जीका वायरस संक्रमण की रोकथाम या उपचार के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। जीका वैक्सीन का विकास अनुसंधान का एक सक्रिय क्षेत्र बना हुआ है।
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