केक की दुनिया में छाया छतरी गांव का स्वाद, इन युवाओं के हुनर से हर कोई हो रहा है चकित
भोपाल के समीप स्थित सीहोर जिले के एक गांव छतरी के 250 से ज्यादा युवा केक की दुनिया में अपना हुनर दर्ज कर रहे हैं जो उन्हें सिर्फ भारत में ही नहीं वरन विदेश में भी पहचान दिला रहा है।
आकाश माथुर, सीहोर (मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप स्थित सीहोर जिले में एक छोटा सा गांव है छतरी। यहां आबादी महज 1800 है मगर इस छोटे से गांव के युवाओं ने देश में धूम मचा रखी है। यह धूम स्वाद की है...जायके की है, जो विभिन्न तरह के केक के जरिए मची है। दरअसल, इस गांव के युवाओं के हाथ का बना केक पूरे देश में पसंद किया जा रहा है। यहां के युवा दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, नागपुर, इंदौर और भोपाल सहित देश के कई राज्यों के बड़े शहरों की बेकरी में नौकरी करते हैं और शानदार केक बनाते हैं। गांव के ऐसे 250 से अधिक युवा हैं, जिनके हाथों में केक बनाने और उसे सजाने का यह चकित कर देने वाला हुनर है। दिलचस्प तो यह कि इस हुनर के माध्यम से कुछ युवा तो देश के बाहर विदेश की बेकरियों में भी केक बना और खिला रहे हैं। कुछ युवाओं को अपने इस हुनर पर इतना भरोसा है कि उन्होंने खासा पैसा निवेश करके खुद की बेकरी शुरू कर ली है। एक समय था जब इस गांव के अधिकांश युवा बेरोजगार थे, लेकिन अब ये देश में अच्छी तनख्वाह और विदेश में बढिय़ा डालर कमा रहे हैं।
ऐसे जागा हुनर का जादू
करीब 18 साल पहले वर्ष 2003 में गांव के एक युवक ओमप्रकाश मेवाड़ा का रोजगार के सिलसिले में इंदौर जाना हुआ। वहां इन्होंने बेकरी में नौकरी कर ली। ओमप्रकाश ने वहां उस्ताद को केक बनाते देखा, तो मन में एक कौंध उठी कि ये कमाल की चीज मैं क्यों नहीं बना सकता! ओमप्रकाश के मन में जुनून जागा और उन्होंने उस्ताद का शिष्य बनते हुए और पूरे धैर्य के साथ केक बनाना, उसमें स्वाद का जादू जगाना और उसे सजाते हुए आकर्षक बनाना सीखा। जब ओमप्रकाश का हाथ सध गया तो उन्होंने गांव के कुछ और युवाओं को इंदौर बुला लिया। फिर तो सिलसिला चल पड़ा और एक-एक कर गांव के कई युवा केक की दुनिया के शिष्य बने और फिर सधी हुई मेहनत से उस्ताद बनते चले गए। ओमप्रकाश अब हैदराबाद की एक प्रसिद्ध बेकरी में काम कर रहे हैं, वहीं उनके सिखाए युवा देशभर के विभिन्न शहरों की बेकरी में केक का जादू जगा रहे हैं। भोपाल के बैरसिया में बेकरी शुरू करने वाले इरफान ने तो दुकान का नाम ही अपने गांव के नाम पर 'छतरी बेकरी' रखा है।
गुरु से भी आगे फ्रांस तक चले गए चेले
गांव छतरी के युवाओं की आंखों में केक के जरिए दुनिया देखने का सपना जगाने वाले ओमप्रकाश मेवाड़ा हैदराबाद की बेकरी में काम करते हैं, लेकिन उनके सिखाए शिष्य उनसे भी आगे निकल कर अब विदेश में अपना हुनर दिखा रहे हैं। प्रताप सिसौदिया फ्रांस में तो मनोज बैरागी केन्या की बेकरी में केक बनाने वाले मुख्य उस्ताद हैं। दोनों ने न तो होटल मैनेजमेंट का कोई कोर्स किया है और न ही कुकिंग से संबंधित कोई विशेष डिग्री हासिल की है। बस 'एकै साधे सब सधे...' के मूलमंत्र के साथ केक बनाना साध लिया और इनके लिए मानो दुनिया सध गई।
आखिर ऐसा क्या है खास
इंदौर की बेकरी में काम करने वाले गांव के केक-उस्ताद जावेद बताते हैं, 'केक या बेकरी के किसी भी सामान में स्वाद और फिनिशिंग ही आकर्षण का कारण होते हैं। हमारे गांव छतरी के कारीगर द्वारा बनाया गया केक मुलायम होने के साथ स्वाद में भी अलग होता है। हम अपने केक में कम से कम क्रीम का उपयोग करते हुए ग्राहक की मनचाही डिजाइन तैयार कर देते हैं। केक का मुख्य तत्व परफेक्ट बेकिंग और उसके बाद बे्रड और क्रीम का युक्तियुक्त संतुलन होता है। यदि क्रीम थोड़ी भी ज्यादा हो जाती है तो उसका सीधा असर केक के स्वाद पर पड़ता है। यह संतुलन बनाने में छतरी गांव का हर कारीगर माहिर होता है। बस इसीलिए छतरी के छोरे केक की दुनिया में छा गए हैं।