डरें नहीं, अनुमान से अधिक शक्तिशाली हैं आप! पढ़िए रोचक स्टोरी
लोग कोविड-19 से उबरने की कोशिश में हैं वर्क फ्रॉम होम और होम स्कूलिंग का दबाव है तो इस दिशा में यह हालिया अध्ययन और प्रासंगिक माना जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। जर्नल ऑफ अप्लॉयड साइकोलॉजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक, जितना हम सोच सकते हैं, मुश्किल से उबरने की इंसान की क्षमता उससे कहीं ज्यादा हो सकती है। ‘सब सामान्य हो जाएगा’, यह भाव इंसान को हर संकट से उबरने में मदद करता है। चाहे वह कितनी ही बड़ी मुश्किल में हो, मन में उससे निकल जाने की आशा बनी रहती है।
तनाव की उबरने की प्रकिया
हालांकि पूर्व में हुए अध्ययनों में माना गया था कि तनाव से उबरने की प्रक्रिया लंबी हो सकती है और यह महीनों-सालों तक भी संभव है। अभी जबकि लोग कोविड-19 से उबरने की कोशिश में हैं, वर्क फ्रॉम होम और होम स्कूलिंग का दबाव है तो इस दिशा में यह हालिया अध्ययन और प्रासंगिक माना जा रहा है।
प्रतिरोधक क्षमता बहुत प्रभावी तरीके से काम कर रही है
अध्ययन के मुताबिक, इस समय हमारी मनोवैज्ञानिक प्रतिरोधक क्षमता बहुत प्रभावी तरीके से काम कर रही है। इसका अर्थ यह है कि इस समय हम खुद को तुरंत आशा की ओर शिफ्ट करने में सक्षम हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के रॉबर्ट एच स्मिथ स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर ट्रेवर फॉक के मुताबिक, हम हमेशा यह सोचते रहे हैं कि तनाव जाने के बाद ही हम सामान्य हो सकते हैं पर हालिया अध्ययन के मुताबिक, यह पूरा सच नहीं। इसके मुताबिक, लोग इस समय की नई स्थिति के मुताबिक खुद को समायोजित कर रहे हैं और सामान्य होने का नया तरीका खोज रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि हम कितने लचीले सकते हैं और बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना भी कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि यह अध्ययन मार्च के माह में उस समय शुरू हुआ, जब कोविड संकट के कारण स्थितियां भयावह रूप ले रही थीं।
(साइकसेंट्रल डॉट कॉम से साभार)
खोए ‘देवत्व’ को प्राप्त करना संभव है
हम अपने अवांछनीय लक्षणों को दूर कर सकते हैं। मन लचीला होता है। यदि आप इसे धीरे-धीरे खींचते हैं तो
यह आपकी क्षमता तक खिंच जाएगा। तब भी आप इसका प्रयास नहीं करते। ईश्वर ने हमें अपने जीवन की समस्त
परीक्षाओं और कमियों पर विजय पाने के लिए आवश्यकता से अधिक शक्ति दे रखी है। संत फ्रांसिस खुद अस्वस्थ और नेत्रहीन थे, फिर भी रोगियों को स्वस्थ कर सकते थे। बाह्य रूप से दृष्टिहीन,लेकिन आंतरिक रूप से वे ब्रह्मांड का महान प्रकाश देखते थे। सांसारिक परिवेश इतना सीमित होता है कि अनेक लोग, जो बनना चाहते हैं उससे पहले ही मौत आ जाती है। लेकिन एक ही काल में आप ईश्वरीय गुणों का आभास कर सकते हैं। इसे अर्जित नहीं करना, बल्कि यह आपके पास पहले से है।
(परमहंस योगानंद की पुस्तक ‘मानव की निरंतर खोज’ से साभार)