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राजा भैया के बचाव में उतरे योगी आदित्य नाथ

बलरामपुर। गोरखपुर के सांसद योगी आदित्य नाथ का मानना है कि प्रतापगढ़ के बलीपुर कांड में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को साजिशन फंसाया जा रहा है। देवीपाटन मंदिर पहुंचे भाजपा के ंसांसद योगी आदित्यनाथ ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वास्तविक हत्यारों को बचाने के लिए सरकार के कद्दावर मंत्री और ए

By Edited By: Published: Fri, 08 Mar 2013 08:32 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2013 09:53 PM (IST)

बलरामपुर। गोरखपुर के सांसद योगी आदित्य नाथ का मानना है कि प्रतापगढ़ के बलीपुर कांड में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को साजिशन फंसाया जा रहा है। देवीपाटन मंदिर पहुंचे भाजपा के ंसांसद योगी आदित्यनाथ ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वास्तविक हत्यारों को बचाने के लिए सरकार के कद्दावर मंत्री और एक कांग्रेसी नेता यह साजिश रची जा रही है। भीड़ ने सीओ पर हमला किया जिससे उनकी मौत हुई। यह एक हादसा था और हादसे के लिए राजा भैया को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं।

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उन्होंने सीबीआइ से मामले की जांच को भी उचित नहीं ठहराया। योगी ने कहा कि कुंडा के बलीपुर कांड की न्यायिक जांच कराने की जरूरत थी। सीबीआइ से सही जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि सपा एवं कांग्रेस का गठजोड़ जगजाहिर है। इस कांड के वास्तविक हत्यारों को बचाने के लिए सपा के एक मंत्री षड्यंत्र कर रहे हैं। तुष्टिकरण में अंधी हो चुकी प्रदेश सरकार एक वर्ग के न्यायसंगत मांग को भी मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सीओ की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन सीओ की पत्‍‌नी की हर नाजायज मांग को भी मान लेना यूपी सरकार की तुष्टिकरण को प्रदर्शित करता है।

सांसद ने टांडा कांड पर कहा कि हिंदू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष रामबाबू गुप्ता हत्याकांड की एफआइआर तक नहीं दर्ज की गई है। उल्टे उनके परिवार को खिलाफ ही केस दर्ज किया गया है। टांडा कांड में रामबाबू के परिवारीजनों को न्याय नहीं मिलता तो संसद से लेकर सड़क तक आंदोलन किया जाएगा तथा हाई कोर्ट की शरण ली जायेगी। योगी ने टांडा कांड की न्यायिक जांच या सीबीआइ जांच कराए जाने की मांग की। इसके पहले शुक्रवार को सुबह योगी आदित्यनाथ के पहुंचने से सरगर्मी बढ़ गई। इस दौरान प्रशासन की ओर से विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

इससे पहले सांसद को गोंडा से टांडा जाने से रोका गया। सुबह वह वैशाली एक्सप्रेस से जैसे ही गोंडा जंक्शन पहुंचे, अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया। योगी यहां से टांडा जाना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने नहीं जाने दिया। उनको बस्ती के बजाए तुलसीपुर के रास्ते देवीपाटन रवाना किया गया। गोंडा में आक्रोशित कार्यकर्ताओं को योगी आदित्यनाथ ने शांत कराया और कहा कि किसी भी हिंदू पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

राजा भैया से बढ़ सकती है भाजपा की करीबी!

प्रतापगढ़ [जागरण संवाददाता]। सीओ हत्याकांड में सपा की चुप्पी देख राजा भैया से भाजपा की करीबी बढ़ने की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है। इसी में शुक्रवार को राजा भैया के पक्ष में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ के आए बयान के भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। वैसे भी भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से राजा भैया की करीबी जग जाहिर है।

हथिगवां क्षेत्र के बलीपुर में सीओ की हत्या की साजिश रचने में राजा भैया पर दर्ज मुकदमे से सूबे में सियासी भूचाल सा आ गया है। मुस्लिम वोट बैंक सहेजने को लेकर सपा ने मामला सीबीआइ पर छोड़कर चुप्पी साध रखी है। हालांकि इस बात को राजा भैया समर्थक पचा नहीं पा रहे हैं। समर्थक तो उसी समय से सपा हाईकमान से नाराज हैं जिस दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजा भैया से कारागार मंत्रालय लेकर राजेंद्र चौधरी को सौंप दिया था।

सूत्रों की मानें तो इस नाराजगी को भांप भाजपा के दिग्गज नेता राजा भैया को अपने पाले में करने की जुगत ढूंढ़ने लगे हैं। इसकी वजह है कि कुंडा के निर्दल विधायक राजा भैया भले ही सपा की सरकार में दूसरी बार मंत्री बने है लेकिन उनकी छवि आम जनता में 'हिंदूवादी नेता' की है। यही वजह रही कि दिलेरगंज कांड, अस्थान कांड के दौरान कहीं न कहीं राजा भैया का नाम विरोधियों की जुबां पर आ ही गया।

भाजपा से राजा भैया की करीबी बढ़ने की सुगबुगाहट को शुक्रवार को तब और बल मिल गया, जब भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने राजा भैया के समर्थन में बयान जारी कर दिया। योगी ने तो यहां तक कह दिया कि सीबीआइ से उन्हें निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है।

1997 में निर्दलीय विधायकों की अगुवाई करने वाले राजा भैया कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में युवा कार्य एवं खेल मंत्री बने थे। वर्ष 99 के लोकसभा चुनाव में राजा भैया भाजपा के साथ थे। 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राजा भैया के कोटे में कुंडा के साथ बिहार विधानसभा सीट को छोड़ दिया था। भाजपा से राजा भैया की दूरी वर्ष 2002 में तब बनी, जब उन्हें भाजपा बसपा गठबंधन की सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया। इसी पर राजा भैया ने कुछ भाजपा विधायकों को साथ लेकर मायावती सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकते हुए 25 अक्तूबर 2002 को समर्थन वापस ले लिया था।

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