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राजा के लिए सपा में विद्रोह तो भाजपा गले लगाने के लिए बेताब

गोरखपुर के सांसद योगी आदित्य नाथ का मानना है कि प्रतापगढ़ के बलीपुर कांड में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को साजिशन फंसाया जा रहा है। देवीपाटन मंदिर पहुंचे भाजपा के ंसांसद योगी आदित्यनाथ ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वास्तविक हत्यारों को बचाने के लिए सरकार के कद्दावर मंत्री और एक

By Edited By: Published: Sat, 09 Mar 2013 08:55 AM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2013 09:31 AM (IST)
राजा के लिए सपा में विद्रोह तो भाजपा गले लगाने के लिए बेताब

नई दिल्ली। गोरखपुर के सांसद योगी आदित्य नाथ का मानना है कि प्रतापगढ़ के बलीपुर कांड में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को साजिशन फंसाया जा रहा है। देवीपाटन मंदिर पहुंचे भाजपा के ंसांसद योगी आदित्यनाथ ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वास्तविक हत्यारों को बचाने के लिए सरकार के कद्दावर मंत्री और एक कांग्रेसी नेता द्वारा यह साजिश रची जा रही है। भीड़ ने सीओ पर हमला किया जिससे उनकी मौत हुई। यह एक हादसा था और हादसे के लिए राजा भैया को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं।

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उन्होंने सीबीआइ से मामले की जांच को भी उचित नहीं ठहराया। योगी ने कहा कि कुंडा के बलीपुर कांड की न्यायिक जांच कराने की जरूरत थी। सीबीआइ से सही जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि सपा एवं कांग्रेस का गठजोड़ जगजाहिर है। इस कांड के वास्तविक हत्यारों को बचाने के लिए सपा के एक मंत्री षड्यंत्र कर रहे हैं। तुष्टिकरण में अंधी हो चुकी प्रदेश सरकार एक वर्ग के न्यायसंगत मांग को भी मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सीओ की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन सीओ की पत्नी की हर नाजायज मांग को भी मान लेना यूपी सरकार की तुष्टिकरण को प्रदर्शित करता है। योगी के इस समर्थन से राजनीतिक गलियारों में अफवाहों का बाजार गर्म है। कहीं भाजपा राजा से अपनी नजदीकी तो नहीं बढ़ाने लगी है।

इतिहास पर गौर करें तो 1997 में निर्दलीय विधायकों की अगुवाई करने वाले राजा भैया कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में युवा कार्य एवं खेल मंत्री बने थे। वर्ष 99 के लोकसभा चुनाव में राजा भैया भाजपा के साथ थे। 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राजा भैया के कोटे में कुंडा के साथ बिहार विधानसभा सीट को छोड़ दिया था। भाजपा से राजा भैया की दूरी वर्ष 2002 में तब बनी, जब उन्हें भाजपा बसपा गठबंधन की सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया। इसी पर राजा भैया ने कुछ भाजपा विधायकों को साथ लेकर मायावती सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकते हुए 25 अक्तूबर 2002 को समर्थन वापस ले लिया था।

अब एक बार फिर उसी अंदाज में कहीं सपा सरकार के साथ राजा भैया पेश ना आएं ऐसी आशंकाएं जन्म ले रही हैं। सपा के कई विधायक और निर्दलीय विधायक राजा भैया के समर्थन में शुक्रवार को बिगुल बजाए हैं। विधायक अखिलेश सिंह ने कहा था कि राजा भैया को फंसाया गया है। कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी और सपा विधायक वसीम अहमद भी राजा भैया को अपना समर्थन दे चुके हैं। इतना ही नहीं इनके समर्थन में मीटिंग करके सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को वास्तविक घटना बताएंगे। राजा भैया को निर्दोष बताते हुए जनता को हकीकत बताने की राजा भैया समर्थित विधायकों ने बात कही।

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