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लालू के लिए जज को फोन करने वाला कलेक्‍टर अब सीएम योगी के निशाने पर

लालू यादव को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। उन्‍हें बचाने वालों के नामों का खुलासा होने का लेकर माहौल गरमाया हुआ है।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Thu, 11 Jan 2018 09:32 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jan 2018 10:49 AM (IST)
लालू के लिए जज को फोन करने वाला कलेक्‍टर अब सीएम योगी के निशाने पर
लालू के लिए जज को फोन करने वाला कलेक्‍टर अब सीएम योगी के निशाने पर

नई दिल्‍ली, जेएनएन। चारा घोटाले में फंसे लालू यादव को लेकर बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। सजा सुनाए जाने के बाद से एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। उन्‍हें बचाने के लिए कोशिश करने वालाें की लंबी लिस्‍ट है, जिसमें उत्‍तर प्रदेश के जालौन के कलेक्‍टर का नाम सामने आने के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ एक्‍शन में आ गए हैं। उन्‍होंने झांसी कमिश्‍नर को इस मामले की जांच करने के आदेश दे दिए हैं और जल्‍द से जल्‍द रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

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जालौन के कलेक्‍टर ने किया था जज को फोन

कई बड़ी हस्तियों ने लालू यादव को जेल से बरी करने करने की सिफारिश की थी। इनमें जालौन के कलेक्‍टर का नाम भी शामिल हो गया है। लालू यादव को बचाने के लिए उन्‍होंने सीबीआइ के स्‍पेशल जज शिवपाल सिंह को फोन किया था। इसका खुलासा खुद शिवपाल सिंह ने किया है। डीएम डा. मन्नान अख्तर कहा था, 'आप लालू का केस देख रहे हैं, जरा देख लीजिएगा।'



जज के मामले से भी जुड़ा है यह विवाद

लालू यादव के खिलाफ फैसला सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह उत्तर प्रदेश स्थित जालौन जिले के शेखपुर खुर्द गांव के रहने वाले हैं। गांव में कुछ लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा जमा लिया। विरोध करने पर उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। विरोधी जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं। साथ ही जबरन जमीन से चक रोड निकाल दिया है।



शिवपाल सिंह ने खुद जिला कलेक्टर से न्याय मांगा, लेकिन समस्याएं दूर नहीं हुई। छह नवंबर, 2015 को वहां के तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद बीडीओ और ग्राम प्रधान की उपस्थिति में 1700 रपए का पत्थर लगवाया गया, इसे भी विरोधियों ने उखा़़डकर फेंक दिया। एसडीएम, तहसीलदार, सीओ और कोतवाल ने कोई कार्रवाई नहीं की तो जज ने डीएम से मदद मांगी, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। 12 दिसंबर, 2017 को डीएम और एसपी से शिकायत की तो डीएम ने कहा, 'आप झारखंड में जज हैं न, आप कानून पढ़कर आएं। उन्होंने यह भी कहा कि वे एसडीएम के आदेश को नहीं मानेंगे।'

बचाव में कलेक्‍टर ने दी ये सफाई

हालांकि जालौन के डीएम डा. मन्नान अख्तर ने जज से लालू यादव के पक्ष में सिफारिश करने की बात से इंकार किया है। उन्‍होंने कहा कि मैंने कभी भी फोन पर उनसे बात नहीं की। अगर ऐसा हुआ है तो उन्‍हें जरूर एक बयान जारी करना चाहिए। रिपोर्टों में जिस तारीख का जिक्र किया गया है, मैं उस वक्‍त अपने गृह नगर में था, छुट्टी पर।
आपको बता दें कि इससे पहले मन्नान अख्तर ने यह बात कही थी कि उन्होंने न तो किसी की सिफारिश की है और न ही उनके मामले में कानून पढ़कर आएं जैसी बात कही है।

जालौन के एसडीएम ने भी किया इंकार

वहीं जालौन के एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी अपनी सफाई दी है। उन्‍होंने कहा कि न तो लालू प्रसाद के मामले में मैंने कोई फोन किया और न ही ऐसी कोई टिप्पणी ही की है। मैं किसी भी सीनियर अफसर या न्यायिक अधिकारी से इस तरह की बात कर ही नहीं सकता हूं। इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है। जज साहब, ऐसा क्यों कह रहे हैं, मैं नहीं जानता हूं।

सेवादारों के जेल पहुंचने से मचा हंगामा



आपको बता दें कि चारा घोटाले में मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई है। वह रांची स्थित बिरसा मुंडा जेल में है। मगर उनसे पहले ही उनके सेवादारों के जेल पहुंचने से भी हंगामा मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि मारपीट के फर्जी मामलों के तहत लालू यादव के दो सेवादार जेल पहुंच गए, इनमें उनका एक पुराना रसोइया भी शामिल है। इस कांड को लेकर भी लालू यादव मुश्किल में फंस सकते हैं। फिलहाल मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें: जेल से निकले लालू के सेवादार और हो गए गायब, तलाश जारी




 
 


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