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Year Ender 2019: अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने रचे कई इतिहास, दुनिया ने माना ISRO का लोहा

Year Ender 2019 इसरो ने साल 2019 में भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में कई कामयाबी दिलाई। अंतरिक्ष में सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर चंद्रयान-2 तक इसरो ने दुनियाभर में भारत का डंका बजाया।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 10:03 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 10:04 AM (IST)
Year Ender 2019: अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने रचे कई इतिहास, दुनिया ने माना ISRO का लोहा
Year Ender 2019: अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने रचे कई इतिहास, दुनिया ने माना ISRO का लोहा

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में साल 2019 में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की। इस साल पूरी दुनिया ने इसरो का लोहा माना।हालांकि यह साल अंतरिक्ष की दुनिया में भारत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण भी रहा। इस साल इसरो और भारत के बहुप्रतीक्षित मून मिशन 'चंद्रयान-2' को अपेक्षाकृत सफलता हाथ नहीं लग सकी लेकिन विश्व पटल पर भारत का डंका बजा। भारत के काबिल और होनहार अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने तिरंगे की शान को और बढ़ाने का काम किया। आइए जानते हैं 2019 में इसरो ने अंतरिक्ष की दुनिया में भारत के लिए क्या-क्या खास किया...

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PSLV-C44 ने की दो उपग्रहों की सफल लॉचिंग

इसरो ने इस साल की शुरुआत दो उपग्रहों की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग से की। इसरो द्वारा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सैटेलाइट PSLV C44 का प्रक्षेपण किया गया। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी 44 रॉकेट से दो सैटेलाइट छोड़े गए, इनमें डीआरडीओ का इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसैट आर (Microsat R) और छात्रों का सैटेलाइट कलामसैट (Kalamsat) शामिल रहा।PSLV-C44 ने अपनी 46वीं उड़ान में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर शेयर के पहले लॉन्च पैड से 24 जनवरी, 2019 को रात 11 बजकर 37 मिनट पर लॉन्च किया।

संचार उपग्रह GSAT-31 का सफल प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) ने 6 फरवरी 2019 को फ्रेच गुयाना के स्पेस सेंटर से भारत के 40वें संचार उपग्रह जीसैट-31 को सफलतापूर्वत लॉन्च किया। दो हजार पांच सौ 36 किलो वजनी जीसैट-31 उपग्रह भारत 40वां संचार उपग्रह है। जीसैट-31 की तरह 11 सैटेलाइट पहले से ही अंतरिक्ष में देश के संचार के लिए काम कर रहे हैं। यह पहले से कक्षा में स्थित कई अन्य सैटेलाइटों को अपना काम करने की सुविधा प्रदान करेगा। यह भू-स्थिर कक्षा में केयू ब्रांड ट्रांसपोंडर क्षमता को भी बढ़ाएगा।

अंतरिक्ष में सर्जिकल स्ट्राइक !

भारत ने इस साल अंतरिक्ष में सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी की ओर एक बड़ा कदम उठाया। इसके तहत 27 मार्च को मिशन शक्ति को अंजाम दिया गया। इसरो और डीआरडीओ ने मिलकर मिशन शक्ति को सफलता तक पहुंचाया। इसके तहत भारत ने एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया। तीन मिनट में भारत की मिसाइल ने अंतरिक्ष में बेकार हो चुके सैटेलाइट को मार गिराया। भारत के प्रधानमंत्री ने खुद टेलीविजन पर इसको लेकर घोषणा की थी।

एकसाथ 29 सैटेलाइटों को किया लॉन्च

इसरो ने 1 अप्रैल को अंतरिक्ष की दुनिया में एक और बड़ी कामयाबी हासिल की। इसरो ने इस दिन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 29 नैनो सैटेलाइटों को लॉन्च किया। इनमें भारत का एक सैटेलाइट एमिसैट, अमेरिका के 24 सैटेलाइट, लिथुवानिया के 2 और स्विटजरलैंज, स्पेन के एक-एक सैटेलाइट शामिल थे। लॉन्च किए गए इन सभी सैटेलाइटों में भारत के एमिसैट का इस्तेमाल दुश्मनों के रडार सिस्टम की निगरानी करने और उसका पता लगाने के लिए किया जाएगा।

जासूसी उपग्रह RISAT-2B की लॉन्चिंग

22 मई 2019 को इसरो ने एक और स्पेस मिशन में कामयाबी हासिल की। इस दिन इसरो ने पृथ्वी की निगरानी करने वाली सैटेलाइट RISAT-2बी का सफलतापूर्वक लॉन्चिंग कर इतिहास रच दिया। पीएसएलवी-सी46 ने RISAT-2B उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। RISAT-2B सैटेलाइट, खुफिया निगरानी के साथ ही कृषि, वन और आपदा प्रबंधन में काम आएगा।

चांद की कक्षा तक सफलतापूर्वक पहुंचा चंद्रयान-2

अंतरिक्ष की दुनिया में इस साल भारत की सबसे प्रमुख सफलता रही चंद्रयान-2 मिशन। इसरो का मिशन चंद्रयान-2 बड़ी सफलता से दो कदम से दूर रह गया, जब चांद की सतह से महज  2.1 किमी दूर विक्रम लैंडर का पृथ्वी से संपर्क टूट गया और वह रास्ता भटक गया।22 जुलाई 2019 को इसरो ने 3840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को जीएसएलवी MK-III M1 रॉकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था।

करीब 2 महीने तक चले इस मिशन के दौरान चंद्रयान-2 ने 14 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू की। इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग किया था।लेकिन 6-7 सितंबर की रात जब लैंडर को चांद पर लैंडिंग करनी थी, उसी दौरान इसरो से उसका संपर्क टूट गया। हालांकि यह मिशन अभी भी 95% तक सफल माना गया है। 2379 किलो वजनी ऑर्बिटर, जिसमें 8 पेलोड लगे हैं, यह एक साल तक काम करेगा। यानि मिशन सफल रहा है।

जब भावुक हुए PM मोदी

चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद जब पूरा देश गम में डूबा था।  वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो मुख्यालय पहुंचे और यहां से पूरे देश और वैज्ञानिकों को संबोधित किया। जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो मुख्यालय से बाहर निकल रहे थे। तभी ईसरो चीफ के. सिवन भावुक हो गए और पीएम मोदी के गले लगकर रोने लगे। पीएम मोदी भी इस दौरान थोड़े भावुक हुए और इसरो चीफ को गले लगाकर उनका हौसला बढ़ाया। ये तस्वीरें इसके बाद अमर हो गईं और लोगों ने इसकी काफी सराहना की।

रक्षा सैटेलाइट CARTOSAT-3 की सफलपूर्वक लॉन्चिंग

27 नवंबर को इसरो ने पीएम मोदी की अगुवाई में अंतरिक्ष की दुनिया में एक और कामयाबी हासिल की। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से रॉकेट पीएसएलवी-सी47 के जरिए कार्टोसैट-3 और अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट एकसाथ अंतिरक्ष में भेजे गए। कार्टोसैट-3 एक जासूसी सैटेलाइट है। यह सबसे ताकतवर कैमरे वाला उपग्रह है। इसका इस्तेमाल भारत की सीमाओं की पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से निगरानी के लिए किया जाएगा। यह साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में भी काम आएगा। यह खास सैटेलाइट धरती से 509 किमी 

की ऊंचाई पर काम करेगा। इससे किसी भी मौसम में धरती की साफ तस्वीरें ली जा सकती हैं।

इसरो के लिए साल 2019 कामयाब रहा।2020 में भी इसरो की कई बड़े मिशन की ओर निगाहें हैं। 2019 की तरह 2020 में भी इसरो भारत को अंतरिक्ष को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए तैयार है।

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