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Yasin Malik in Tihar Jail: तिहाड़ जेल की उसी कोठरी में अकेले पड़ा है यासीन मलिक जिसमें सजा काट चुके हैं कई हाइ प्रोफाइल कैदी

टेरर फंडिंग और राष्ट्र के खिलाफ साजिश रचने के मामले में एनआइए कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सश्रम कारावास की सजा मिलने के बावजूद जेल में मलिक को सुरक्षा कारणों से कोई भी काम नहीं मिला है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 03:05 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 04:48 PM (IST)
तिहाड़ जेल की कोठरी में अकेले पड़ा है यासिन मलिक, नहीं मिला कोई काम

नई दिल्ली, आइएएनएस। Yasin Malik in Tihar Jail: देश से जम्मू कश्मीर को अलग रखने की चाहत करने वाला कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) की बची जिंदगी अब अकेले ही तिहाड़ जेल की कोठरी में कटेगी। सजा के बाद 56 वर्षीय यासीन को न केवल दुनिया से काट दिया गया, बल्कि उसे जेल की नंबर सात कोठरी में भी अकेले ही बंद किया गया है। बता दें कि दिल्ली की स्पेशल कोर्ट में बुधवार को सजा सुनाई गई। इस जेल में करीब 13,000 कैदी हैं लेकिन यासीन की कोठरी में दूसरा कोई नहीं। जेल के अधिकारी संदीप गोयल ने बताया, 'वह जेल नंबर सात में है और वहीं रहेगा। वह अपने सेल में अकेला है।

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जिस कोठरी में यासीन बंद है उसमें हाई प्रोफाइल शख्स ने सजा काटी है। उल्लेखनीय है कि तिहाड़ का सेल नंबर सात हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। दरअसल अब तक यहां हाई प्रोफाइल कैदियों को बंद किया गया है, जिसमें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा, सहारा प्रमुख सुब्रत राय आदि। 12 अक्टूबर को तिहाड़ जेल के 12 अधिकारियों को पूर्व यूनिटेक प्रमोटर्स के साथ मिली भगत में पकड़ा गया था। इनपर आरोप है कि चंद्रा ब्रदर्स को इन्हीं अधिकारियों का साथ मिला था, जिसके बाद अजय चंद्रा, संजय चंद्रा जेल के भीतर से ही अपना बिजनेस चला रहे थे।

टेरर फंडिंग और राष्ट्र के खिलाफ साजिश रचने के मामले में एनआइए कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सश्रम कारावास की सजा मिलने के बावजूद जेल में मलिक को सुरक्षा कारणों से कोई भी काम नहीं मिला है। यह फैसला जेल के नियमों के आधार पर लिया गया है। इसके अलावा जेल में होने के बावजूद यासीन मलिक पर सीसीटीवी के जरिए भी निगरानी की जाएगी। बता दें कि जेल में मलिक के संतोषजनक आचरण पर अदालत ने अहम टिप्पणी की।विशेष न्यायाधीश ने कहा कि अदालत की राय में मलिक में कोई सुधार नहीं हुआ था। यह सही हो सकता है कि अपराधी ने वर्ष 1994 में बंदूक छोड़ दी हो, लेकिन उसने वर्ष 1994 से पहले की गई हिंसा के लिए कभी कोई खेद व्यक्त नहीं किया था।


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