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Yasin Malik Case: किन किन गुनाहों को कबूल चुका है यासीन मलिक, जानें किस मामले में हुई कितनी सजा?

कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में आज दिल्ली की विशेष अदालत में सजा सुनाई जानी है। एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को दोषी पाया है। यसीन को 19 मई को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी करार दिया गया था।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 06:04 PM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 08:57 PM (IST)
Yasin Malik Case: किन किन गुनाहों को कबूल चुका है यासीन मलिक, जानें किस मामले में हुई कितनी सजा?
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन यासीन मलिक

नोएडा, आनलाइन डेस्‍क। आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन यासीन मलिक को कुछ देर में आज दिल्ली की विशेष अदालत में सजा सुनाई जानी है। एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को दोषी पाया है। यसीन को 19 मई को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी करार दिया गया था। यासीन मलिक अभी तिहाड़ जेल में बंद है।

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यासीन मलिक पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकी गतिविधि), धारा 17 (आतंकी फंडिंग), धारा 18 (आतंकी गतिविधि की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) सहित आईपीसी की धारा 120-B (आपराधिक साजिश) और 124-A (राजद्रोह) के तहत केस दर्ज किया गया था। यासीन दिल्ली की अदालत में यूएपीए के तहत दर्ज ज्यादातर मामलों में अपने पर लगे आरोपों को मंजूर कर चुका है। 2019 में केंद्र सरकार ने जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा यासीन पर 1990 में एयरफोर्स के 4 जवानों की हत्या का आरोप है, जिसे उसने स्वीकारा था।

यासीन मलिक के खिलाफ कौन-कौन से केस

  • 2017 में टेरर फंडिंग केस
  • 1990 में रावलपोरा में चार वायु सेना के अधिकारियों की हत्या
  • 1989 में देश के पूर्व गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का अपहरण
  • 1989 में कश्मीरी पंडित न्यायाधीश न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की हत्या

यसीन को यूएपीए के तहत हुई इतनी सजा 

  • धारा 3: पांच साल जेल और पांच हजार रुपये का जुर्माना या फिर तीन महीने की अतिरिक्त कैद
  • - धारा 15 : 10 साल की जेल और 10 हजार का जुर्माना
  • - धारा-17 और 18 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना और साजिश रचना) : 10 साल की जेल और 10 हजार का जुर्माना
  • -धारा-20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना): 10 साल की जेल और 10 हजार का जुर्माना
  • -धारा-38 व 39 : पांच साल की जेल व पांच हजार का जुर्माना

आइपीसी के तहत हुई इतनी सजा

  • -धारा-120 बी (आपराधिक साजिश): 10 साल कारावास और 10 हजार का जुर्माना
  • -121 (राष्ट्र के विरुद्ध युद्धोन्माद फैलाना): 10 साल की जेल व 10 हजार का जुर्माना
  • - 121 ए (धारा 121 के अपराध की साजिश) 10 साल की सजा..

कौन है यासीन मलिक

यासीन मलिक श्रीनगर का रहने वाला है। आतंकी हिंसा के साथ वह कश्मीर के युवाओं को हमेशा अलगाववाद की राह पर ले गया। वर्ष 1980 में तला पार्टी के नाम से एक अलगाववादी गुट तैयार करने वाले यासीन मलिक ने 1983 में अपने साथियों के साथ मिलकर श्रीनगर के शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में उस पिच को खोद दिया था, जहां भारत और वेस्टइंडीज के बीच मैच होने जा रहा था।

तला पार्टी 1986 में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग बनी और मलिक उसका महासचिव था। 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले अलगाववादी विचाराधारा के विभिन्न संगठनों ने जमात-ए-इस्लामी का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में मलिक व उसके साथ यूसुफ शाह पोलिंग एजेंट थे। यूसुफ शाह ही आज हिजबुल मुजाहिदीन का सुप्रीम कमांडर सैयद सलाहुद्दीन है।

यासीन मलिक कश्मीर के उन चार आतंकियों में एक है, जो तथाकथित तौर पर सबसे पहले आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था। इन चार आतंकियों को हाजी ग्रुप कहा जाता रहा है। इनमें हमीद शेख, अश्फाक मजीद वानी, यासीन मलिक और जावेद मीर शामिल थे। हमीद और अश्फाक दोनों ही मारे जा चुके हैं।

यासीन मलिक के कारनामे

  • वर्ष 1987 के बाद यासीन मलिक व उसके साथी कश्मीर की आजादी के नारे के साथ कश्मीरी मुस्लिमों को बरगलाने लगे। उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा और उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर किया।
  • यासीन मलिक ने अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद का अपहरण किया था। यह मामला भी अदालत में विचाराधीन है।
  • अगस्त 1990 में यासीन मलिक हिंसा फैलाने के विभिन्न मामलों में पकड़ा गया और 1994 में वह जेल से छूूटा। जेल से छूटते ही उसने कहा कि वह अब बंदूक नहीं उठाएगा, लेकिन कश्मीर की आजादी के लिए लड़ेगा।
  • 1994 में जेल से छूटने के बाद 1998 तक वह कई बार पकड़ा गया और कभी एक माह तो कभी तीन माह बाद जेल से छूटता रहा है।
  • अक्टूबर 1999 में यासीन मलिक को पुलिस ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया था।
  • कुछ समय बाद वह जेल से छूट गया और 26 मार्च 2002 को उसे हवाला से संबंधित एक मामले में पोटा के तहत गिरफ्तार किया गया था।
  • वर्ष 2009 में उसने पाकिस्तान की रहने वाली मुशाल मलिक से शादी की। मुशाल मलिक एक चित्रकार है। दोनों की एक बेटी रजिया सुल्तान है जो वर्ष 2012 में पैदा हुई है।
  • वर्ष 2013 में उसने पाकिस्तान में लश्कर के सरगना हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीर में सुरक्षाबलों पर आम कश्मीरियों के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था।

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