Positive India: कोरोना में फेफड़ों के जांच के लिए प्रभावशाली है एक्सरे-सेतु
कुछ शहरों में कोविड जांच में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है ऐसी स्थिति में ग्रामीण इलाकों में चुनौती बहुत कठिन है। आसान वैकल्पिक जांच की जरूरत है क्योंकि आरटी-पीसीआर जांच से भी कभी-कभी कुछ वैरियंट्स के मामले में ‘फाल्स निगेटिव’ रिपोर्ट आ जाती है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में रोजाना नए आविष्कार किए जा रहे हैं। पर सबसे प्रभावी इनोवेशन वहीं है जो कोरोना का जल्द से जल्द प्रभावशाली समाधान दें। इसी क्रम में कोविड-19 के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म एक्सरेसेतु एक कारगर और सशक्त उपाय के तौर पर सामने आया है। भारत के ग्रामीण इलाकों में कोविड ने कहर बरपा कर रखा है, जिसे मद्देनजर रखते हुए, तेज गति से जांच करना, यह जानना कि किस मरीज का किन-किन लोगों से संपर्क हुआ और कंटेनमेंट जोन बनाना बहुत जरूरी हो गया है। कुछ शहरों में कोविड जांच में एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है, ऐसी स्थिति में ग्रामीण इलाकों में चुनौती बहुत कठिन है। आसान वैकल्पिक जांच की जरूरत है, क्योंकि आरटी-पीसीआर जांच से भी कभी-कभी कुछ वैरियंट्स के मामले में ‘फाल्स निगेटिव’ रिपोर्ट आ जाती है। इसका मतलब है कि जांच में वेरिएंट विशेष का पता नहीं लग पाता।
ये है एक्सरे-सेतु
इसके तहत छाती का एक्स-रे करके उसे डॉक्टरों के पास व्हाट्सएप के जरिये भेज दिया जायेगा। डॉक्टर उसे एक्स-रे मशीन पर देख सकते हैं। इस प्रक्रिया का नाम एक्स-रे सेतु रखा गया है। इसमें कम रेजोल्यूशन वाली फोटो को मोबाइल के जरिए भेजा जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में कोविड की जांच और कार्रवाई के लिए इससे आसानी और तेजी से काम हो सकता है।
भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के नॉन फॉर प्रॉफिट फाउंडेशन आर्टपार्क को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से स्थापित किया गया है। बेंगलुरू स्थित हेल्थ-टेक स्टार्टअप निरामय और भारतीय विज्ञान संस्थान ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर एक्स-रे सेतु का विकास किया है। इसे कोविड पॉजिटिव मरीजों की पहचान करने और व्हाट्सएप के जरिए उनकी छाती के एक्स-रे को कम रेजोल्यूशन पर डॉक्टर तक भेजने की सुविधा के लिये तैयार किया गया है।
इसमें प्रभावित इलाकों का विश्लेषण और उसे रंगों के जरिए मानचित्र (हीट मैप) द्वारा समीक्षा भी की जायेगी। यह समीक्षा डॉक्टरों के लिए उपलब्ध रहेगी, ताकि वे आसानी से हालात के बारे में जान सकें।
ऐसे करेगा काम
स्वास्थ्य की जांच करने के लिये किसी भी डॉक्टर को सिर्फ www.xraysetu.com पर जाकर ‘ट्राई दी फ्री एक्स-रे सेतु बीटा’ बटन को क्लिक करना है। उसके बाद यह प्लेटफार्म उन्हें सीधे दूसरे पेज पर ले जाएगा, जहां उक्त डॉक्टर वेब या स्मार्टफोन एप्लीकेशन के जरिए व्हॉट्सएप आधारित चैट-बॉट से जुड़ जाएंगे। इसके अलावा डॉक्टर लोग एक्स-रे सेतु सेवा शुरू करने के लिये +91 8046163838 पर व्हॉट्सएप संदेश भेज सकते हैं। उन्हें बस मरीज के एक्स-रे इमेज को क्लिक करना है और चंद मिनटों में ही सम्बंधित तस्वीरें और निदान की पूरी व्याख्या वाले दो पेज निकल आएंगे। कोविड-19 का किसी विशेष स्थान पर ज्यादा प्रभाव डालने की संभावना को ध्यान में रखते हुये, रिपोर्ट में डॉक्टरों की सुविधा के लिये हीट-मैप का भी उल्लेख रहेगा।
इंग्लैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने 1,25,000 से अधिक एक्स-रे तस्वीरों को इस प्रक्रिया से जांचा है। इस प्रक्रिया के शानदार नतीजे निकले हैं। आंकड़ों की संवेदनशीलता 98.86 प्रतिशत और सटीकता 74.74 प्रतिशत है।
आर्टपार्क के संस्थापक और सीईओ श्री उमाकांत सोनी का कहना है कि हमें 1.36 अरब लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये प्रौद्योगिकी का विकास करना है। उल्लेखनीय है कि इस समय हमारे यहां एक लाख लोगों पर एक रेडियोलॉजिस्ट है। उद्योग और अकादमिक जगत के सहयोग से एक्स-रे सेतु ने कृत्रिम बौद्धिकता जैसी शानदार प्रौद्योगिकी के बल पर आगे बढ़कर बेहतरीन स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी संभव की है, जो ग्रामीण इलाकों के लिये है और बहुत सस्ती है।
फेफड़े की अन्य बीमारियों और समस्या के बारे में भी बता देगा
एक्स-रे मशीन तक पहुंच रखने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में सेवारत डॉक्टरों को कोविड की तेज जांच और उसके उपचार की सुविधा मिल सके। एक्स-रे सेतु में छाती के एक्स-रे का मूल्यांकन अपने-आप होता है और उससे पता चल जाता है कि आगे मरीज को फेफड़ों की कोई समस्या होने वाली है या नहीं। कोविड-19 प्लेटफार्म के अलावा इस प्लेटफार्म से फेफड़े सम्बंधी 14 अन्य बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है, जैसे टीबी, निमोनिया आदि। इसका इस्तेमाल एनालॉग और डिजिटल एक्स-रे, दोनों रूपों में किया जा सकता है।