भारत में बनेगा दुनिया का सबसे मजबूत डाटा प्रोटेक्शन कानून, तय होगी प्राइवेसी की परिभाषा
पिछले एक दशक के दौरान ग्राहकों से जुड़ी सूचनाओं की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने की कई बार कोशिश हुई, लेकिन कई वजहों से इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका व कई देशों में फेसबुक ग्राहकों के डाटा की चोरी की खबरों को लेकर अगर आप सतर्क हो गये हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर यह है कि भारत में डाटा प्रोटेक्शन को लेकर पहला कानून बनाने की तैयारी अंतिम चरण में है। सरकार इस वर्ष के अंत तक इस कानून को अमली जामा पहनाने की कोशिश में है। यह कानून इस तरह का होगा जो अन्य देशों के लिए भी एक मानक सिद्ध हो। डाटा प्रोटेक्शन कानून बनाने के लिए गठित न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट दो महीने में तैयार हो जाने के आसार है। इस पर ही नया कानून बनेगा।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट के आधार पर भारत में पहली बार निजता (प्राइवेसी) की परिभाषा तय की जाएगी। बदले माहौल में प्राइवेसी का वह मतलब नहीं रह गया है जैसा कि यह कुछ दशक पहले था। साथ यह तमाम सोशल साइट्स का इस्तेमाल करने वाले करोड़ों ग्राहकों को यह भरोसा देगा कि उनसे जुड़ी सूचना का कोई गलत इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस तरह से अगर आने वाले दिनों में फेसबुक व कैंब्रिज एनालिटिक ने जिस तरह से ग्राहकों के डाटा का गलत इस्तेमाल किया है वैसा भारत में नहीं हो सकेगा। सरकार के सामने चुनौती यह है कि यह कानून इस तरह का बनाया जाए, जिसे उद्योग जगत और आम जनता दोनों का समर्थन हासिल हो।
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि पिछले एक दशक के दौरान ग्राहकों से जुड़ी सूचनाओं की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने की कई बार कोशिश हुई, लेकिन कई वजहों से इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। छह वर्ष पहले निजता मामले पर ए पी शाह समिति गठित की गई थी जिसके बारे में कहा गया कि इसकी सिफारिशों के आधार पर एक विस्तृत कानून बनाया जाएगा। लेकिन उसकी रिपोर्ट भी पड़ी रह गई। बहरहाल, अब सरकार की तरफ से समिति को कहा गया है कि वह अपना काम थोड़ा तेज करे। सरकार को यह आश्वासन दिया गया है कि दो महीने के भीतर इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इस आधार पर सरकार साल के अंत तक कानून को तैयार करने की मंशा जता रही है।
सूत्रों का कहना है कि हम इस कानून को ग्राहकों के डाटा को सुरक्षित रखने के मामले में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कानून बनाना चाहते हैं। यह कानून सोशल साइट्स पर ही नहीं, बल्कि किसी भी इलेक्ट्रोनिक माध्यम में इस्तेमाल होने वाले ग्राहकों से जुड़ी जानकारी को सुरक्षित रखने का ढांचा देगा। यह कानून संचार कंपनियों पर भी लागू होगा और इससे फोन कंपनियों की तरफ से ग्राहकों से जुड़ी सूचना को किसी दूसरी एजेंसी को देने पर रोक लगेगी। जी-मेल, याहू जैसी ई-मेल कंपनियों पर भी यह लागू होगा और उनके इस्तेमाल को लेकर ग्राहक ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे। सरकार का मानना है कि भारतीय अर्थव्यस्था का जिस तरह से डिजिटलीकरण हो रहा है उसे देखते हुए एक मजबूत डाटा प्रोटेक्शन कानून बेहद जरूरी है।