World Water Day: बारिश का पानी है मेहमान, धरती पर जल बचाने के लिए कीजिए इसका सत्कार
World Water Day हम दूसरों को जागरूक करने की नसीहत देते हैं लेकिन अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। पानी बचाने के लिए हर किसी को अपना फर्ज समझना और निभाना होगा। लोगों को समझाना होगा कि आगामी पीढ़ियों के लिए ये उपक्रम अभी शुरू कर दें।
संत बलबीर सिंह सीचेवाल। World Water Day, धरती का जलस्तर तेजी से गिर रहा है। ऐसे में हमें वर्षाजल के रूप में कुदरत से जो नेमत मिली है, उसे ज्यादा से ज्यादा सहेजकर दैनिक इस्तेमाल में लाना होगा। बरसात का पानी मेहमान की तरह आता है और बह कर चला जाता है। हमें इसका सत्कार करना चाहिए। बारिश के पानी का संग्रह किया जाए और देसी तकनीक से धरती को रिचार्ज किया जाए, तो जल संकट से बचा जा सकता है। अगर शहरों में सीवरेज का गंदा पानी अधिक है, तो उन शहरों की आबादी भी उतनी बड़ी है, इसलिए संसाधन भी उतने ही बड़े होने चाहिए। शहरों में अभी बारिश के पानी को सहेजने को प्राथमिकता नहीं दी जा रही।
ऐसे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को शहरों में गंभीरता के साथ लागू किए जाने की जरूरत है। केंद्र व राज्य सरकारें नीतियों में बदलाव लाकर लोगों को बरसात के पानी के संग्रहण की योजनाएं बनाएं। यदि हम बरसात के पानी का संग्रहण कर लें तो पानी की कमी हो ही नहीं सकती।
हम उलटा कुदरती जल स्नोतों में शहरों व गांवों का गंदा पानी डाल उन्हें भी तबाह कर रहे हैं। इसलिए सरकार के साथ-साथ संस्थाओं व समाज को सच्चे मन व ईमानदारी से कदम उठाने होंगे, तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए पीने लायक पानी बचा सकते हैं।
गुरुबाणी के पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महत’ शबद के अनुसार पवन को गुरु, पानी को पिता एवं धरती को मां का रुतबा हासिल है, लेकिन हम कुदरत से खिलवाड़ कर रहे हैं। कभी कुदरती जल स्नोतों में अमृत की तरह स्वच्छ जल की धारा बहती थी, लेकिन उसे हमने अपने हाथों से दूषित कर दिया है। दरियाओं, नदियों की कभी सफाई नहीं हुई। उनमें गंदगी व गाद जमा हो जाने से धरती के नीचे का पानी रिचार्ज नहीं हो पाता। इनकी सफाई न होने की वजह से ही बाढ़ भी आती है, जिससे लाभ कम और नुकसान अधिक होता है। इसलिए ड्रेनों को साफ कर हम न केवल बाढ़ से बच सकते हैं, बल्कि भूजल स्तर भी सुधार सकते हैं। संग्रह किए गए पानी को खेती के लिए उपयोग में लाकर हम साफ पानी को बचा कर रख सकते हैं।
तमाम छोटे-बड़े शहरों में सीवरेज के पानी को देसी ढंग से ट्रीट कर खेती के उपयोग में लाकर बहुत बड़े स्तर पर पानी की बचत कर सकते हैं। सीवरेज के ट्रीट किए पानी को खेतों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने से फसलों में अतिरिक्त खाद डालने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही धरती के नीचे से ट्यूबवेल के जरिए पानी निकालने के लिए खर्च किए जाने वाली बिजली व डीजल की भी बचत होगी। ट्रीट किया पानी खेती के लिए अमृत की तरह है और कुदरती खेती होने से इंसान बीमारियों से भी बचेगा। पानी को दोबारा उपयोग किए जाने से साफ पानी का खजाना हमारे पास सुरक्षित रह सकेगा। बिजली की मोटरों के कारण भी पानी ज्यादा बर्बाद हो रहा है।
सरकार भी मदद कर दे तो नदियों को साफ करना कोई मुश्किल काम नहीं है। देश भर में कारसेवा से अभियान चलाए जा सकते हैं। नदियों के अलावा कुदरती जल स्नोतों जैसे तालाबों, छोटी झीलों का भी संरक्षण होना चाहिए। उनसे मिट्टी-गाद निकालनी होगी। इससे उनमें वर्षा का जल इकट्ठा होने लगेगा तो भूजल रिचार्ज होने लगेगा। बरसात के पानी की बर्बादी रुकेगी और बाढ़ नहीं आएगी। इस पानी को जमा कर फिर से उपयोग में लाया जा सकेगा। दरियाओं से निकलने वाली मिट्टी से अनेक विकास कार्यो को आगे चलाया जा सकता है। सड़कों के निर्माण एवं जमीन का स्तर ऊंचा करने के लिए इस मिट्टी को इस्तेमाल कर सकते हैं। हर नागरिक के दिलो-दिमाग में यह बात बैठानी होगी कि हमें पानी को सहेजना है।
(लेखक पद्मश्री सम्मानित पर्यावरण कार्यकता हैं)