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लीवर 6 और किडनी 12 घंटे के अंदर होनी चाहिए ट्रांसप्लांट, जानें अंगदान से जुड़ी ये 10 महत्‍वपूर्ण बातें

हृदय लीवर गुर्दें और फेफड़ें जैसे अंगों का प्रत्यारोपण उन अंग प्राप्तकर्ताओं में किया जाता हैं जिनके अंग असफल हो चुकें हैं ताकि यह प्राप्तकर्ता सामान्य जीवनयापन कर सकें।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 04:24 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 09:10 AM (IST)
लीवर 6 और किडनी 12 घंटे के अंदर होनी चाहिए ट्रांसप्लांट, जानें अंगदान से जुड़ी ये 10 महत्‍वपूर्ण बातें

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। हर साल 13 अगस्त को मनाए जाने वाले विश्व अंगदान दिवस के अवसर पर जनस्वास्थ्य के हित में अंगदान की अहमियत और प्रक्रिया के बाबत लोगों को जागरूक किया जाता है। एक दाता आठ जरूरतमंदों की जान बचा सकता है। आप भी इस पुनीत कार्य से जुड़ कर जीवन सार्थक बना सकते हैं। एक जीवित व्यक्ति के लीवर का अंश दो व्यक्तियों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है। दिलचस्प यह है कि कालांतर में लीवर रीजेनरेट हो कर कमोबेश सामान्य आकार का हो जाएगा। लीवर की भांति पैंक्रियाज का आंशिक दान किया जाता है, फिर भी दाता का यह अंग बखूबी कार्य करता रहेगा। केवल भारत में ही हर साल लाखों लोगों की शरीर के अंग खराब होने के कारण मृत्यु हो जाती है। शरीर के ऐसे कई सारे अंग हैं, जिन्हें मृत्यु के बाद दान किया जा सकता है। दान किए गए अंग दुनिया भर में हजारों लोगों के जीवन बदल सकते हैं।

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आज भी जागरूकता की कमी के कारण, लोगों के मन में अंगदान के बारे में भय और मिथक हैं। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सामान्य मनुष्य को मृत्यु के बाद अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। अंगदान में अंगदाता के अंगों जैसे कि हृदय, लीवर, गुर्दे, आंत, फेफड़े, और अग्न्याशय का दान उसकी मृत्यु के पश्चात जरूरतमंद व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जाता है। जिससे एक व्यक्ति को नई जिंदगी मिल सकती है। अंग दान-दाता कोई भी हो सकता है जिसका अंग किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रत्यारोपित करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके। अगर आप अंगदान के प्रति कोई भ्रम है तो यह लेख निश्चित रूप से आपके लिए है।

अंगदान के प्रकार
यह दो प्रकार का होता है, अंगदान और टिशू यानी ऊतकों का दान। अंगदान में शरीर के अंदरूनी हिस्‍सों का दान किया जाता है। जब कि ऊतक यानी टिशू दान में आमतौर पर आंख, कान, त्‍वचा, हड्डी और ह्रदय वाल्‍व से जुड़ा है। सामान्‍यत: व्‍यक्ति की मौत के बाद ही अंगदान किया जाता है, लेकिन कुछ अंगदान और टिशू दान जीवित रहने के दौरान भी कर सकते हैं।

किन अंगों का कर सकते हैं दान
दान किए जा सकने वाले अंगों में गुर्दे, यकृत, पैनक्रियाज, फेफड़े और दिल शामिल होते हैं, जबकि ऊतक की बात करें तो आंखों, त्वचा, हड्डी, अस्थि मज्जा, नसों, मस्तिष्क, हृदय वाल्व, कान का परदा, कान की हड्डियों और रक्त का दान कर सकते हैं।

क्‍या है अंगदान की प्रक्रिया
किसी व्‍यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्‍टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल लेता हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्‍चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्‍यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। अंग निकालने की प्रक्रिया में अमूमन आधा दिन लग जाता है।

कितने समय में कर सकते हैं अंगदान
किसी भी अंग को डोनर के शरीर से निकालने के बाद 6 से 12 घंटे के अंदर को ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए। कोई भी अंग जितना जल्दी प्रत्यारोपित होगा, उस अंग के काम करने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। लीवर निकालने के 6 घंटे के अंदर और किडनी 12 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। वहीं आंखें 3 दिन के अंदर प्रत्‍यारोपण हो जाना चाहिए।

किस उम्र में अंगदान कर सकते हैं
अंगदान करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। 18 साल से कम उम्र के व्‍यक्ति को अंगदान के लिए अपने माता-पिता या संरक्षक से इजाजत लेनी जरूरी है।

क्‍यों जरूरी है अंगदान
अंगदान पूरी तरह से आपकी सोच पर निर्भर करता है। यदि आप दूसरों को जीवन दान करना चाहते हैं तो यह अंगदान एक बेहतर विकल्‍प हो सकता है, आप जीवित रहते हुए मरने के बाद दूसरों को एक स्‍वस्‍थ जीवन दे सकते हैं। अंग की जरूरत किसी को भी हो सकती है वह आपका मित्र या परिवार को कोई सदस्‍य भी हो सकता है।

कैसे करें अंगदान
अंगदान के लिए दो तरीके हो सकते हैं। कई एनजीओ और अस्पतालों में अंगदान से जुड़ा काम होता है। इनमें से कहीं भी जाकर आप एक फॉर्म भरकर दे सकते हैं कि आप मरने के बाद अपने कौन से अंग दान करना चाहते हैं। जो अंग आप चाहेंगे केवल उसी अंग को लिया जाएगा। शरीर के किसी भी अंग को दान करने वाला व्‍यक्ति शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ होना चाहिए।

अंग दान पर भारत की कानूनी स्थिति
भारतीय कानून द्वारा अंग दान कानूनी हैं। भारत सरकार ने मानव अंग अधिनियम (THOA), 1994 के प्रत्यारोपण को अधिनियमित किया, जो अंग दान की अनुमति देता है, और 'मस्तिष्क की मृत्यु' की अवधारणा को वैध बनाता है।

अंगदान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

  • अंगदान करने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है
  • कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है
  • कैंसर, एचआईवी, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी या हृदय की बीमारी जैसी गंभीर स्थितियों के होने पर अंगदान करने से बचना चाहिए
  • अंगदान करने का निर्णय उम्र के आधार पर नहीं किया जाता है, बल्कि यह निर्णय विशुद्ध चिकित्सा मनदंडों के आधार पर किया जाता है
  • अठारह वर्ष से कम आयु के अंगदानकर्ताओं के लिए अंगदान करने से पहले अपने माता-पिता या अभिभावकों की सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता हैं
  • हृदय, अग्न्याशय, लीवर (यकृत), गुर्दें और फेफड़ें जैसे अंगों का प्रत्यारोपण उन अंग प्राप्तकर्ताओं में किया जाता हैं, जिनके अंग असफल हो चुकें हैं, ताकि यह प्राप्तकर्ता सामान्य जीवनयापन कर सकें
  • प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में कॉर्निया, हृदय वाल्व, त्वचा, और हड्डी जैसे ऊतकों का दान किया जा सकता हैं, लेकिन ‘मस्तिष्क की मृत्यु' होने की स्थिति में केवल लीवर (यकृत), गुर्दे, आंत, फेफड़े, और अग्न्याशय का दान ही किया जा सकता है

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