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world environment day 2019: 79 वर्ष के बुजुर्ग ने कड़ी मेहनत के बाद 400 एकड़ में तैयार किया घना जंगल

खंडवा जिले की नया हरसूद तहसील के बोरीसराय और शाहपुरा गांव से निकलने वाली रूपारेल नदी के किनारे दोनों ओर सात किमी क्षेत्र में 400 एकड़ का जंगल तैयार कर दिया है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 10:19 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 10:19 AM (IST)
world environment day 2019: 79 वर्ष के बुजुर्ग ने कड़ी मेहनत के बाद 400 एकड़ में तैयार किया घना जंगल
world environment day 2019: 79 वर्ष के बुजुर्ग ने कड़ी मेहनत के बाद 400 एकड़ में तैयार किया घना जंगल

हरदा (मप्र) अतुल तिवारी। World environment day 2019 मध्य प्रदेश के हरदा शहर के 79 साल के गौरीशंकर मुकाती ने अपने जीवन के 30 वर्ष पर्यावरण की सेवा व सुरक्षा में लगा दिए। इस दौरान उन्होंने खंडवा जिले की नया हरसूद तहसील के बोरीसराय और शाहपुरा गांव से निकलने वाली रूपारेल नदी के किनारे दोनों ओर सात किमी क्षेत्र में 400 एकड़ का जंगल तैयार कर दिया है। 

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इस तरह हुई शुरूआत 

रूपारेल नदी करीब 30 वर्ष पहले 1991 में पूरी तरह सूख चुकी थी। ग्रामीण खेती के लिए नदी पर ही निर्भर थे। जंगल कम था तो बारिश भी सामान्य ही होती थी। भू-जलस्तर काफी नीचे चला गया था। नदी के सूखने से फसलें चौपट होने लगीं। उस दौर में गौरीशंकर मुकाती ने भी रूपारेल नदी के किनारे जमीन खरीदी थी। जब पानी की कमी से सभी की फसलें सूखने लगीं, तो उन्होंने गांव के लोगों को नदी के किनारे खेती रोकने व पौधे लगाकर जंगल बढ़ाने के लिए कहा, ताकि अच्छी बारिश हो। इसके लिए उन्होंने 'जंगल-नदी बचाओ, समृद्धि लाओ" अभियान की शुरूआत की।

उस समय गांव के लोगों ने उन्हें पागल समझकर उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने अकेले ही नदी के किनारे पौधे लगाना शुरू किया। दो-तीन वर्ष में अच्छी हरियाली बढ़ गई और परिणाम लोगों को दिखने लगे, तो लोग इससे जुड़ गए। अब तक इस अभियान से धारूखेड़ी, छिपीपुरा, काशीपुरा, बोरीसराय, रामजीपुरा, सोनखेड़ी और शाहपुरा गांवों के 78 किसान जुड़ चुके हैं, जिन्होंने सागौन, बांस, महुआ, अर्जुन, पलाश, बेरी, कटबोर, सेमल आदि के हजारों पौधे रोपकर और नियमित देखभाल कर यह जंगल तैयार करने में सहयोग किया। 

आईआईएफएम के वैज्ञानिक कर रहे रिसर्च 

इस जंगल पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट (आईआईएफएम) के वैज्ञानिक और मुंबई की प्रबोधनी संस्था के सदस्य शोध कर रहे हैं। इस जंगल पर एक वृत्त चित्र भी बन चुका है, जिसे फिल्म समारोह में दिखाया जाएगा। मुकाती बताते हैं कि रिसर्च में अब तक यह निकलकर आया है कि जंगल बढ़ने से पहले की तुलना में इस इलाके में अच्छी बारिश होने लगी है और ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ी है। गांवों के लोगों को शुद्ध हवा मिलने से बीमारियां भी कम होती हैं। इस क्षेत्र का तापमान भी कम रहता है। नदी में जगह-जगह स्टॉपडेम बनाए हैं। इससे गांव के कुओं और नलकूपों में पानी बढ़ गया है। 

50 हजार पौधे लगाए जाएंगे 

मुकाती कहते हैं कि जंगल को बढ़ाने के लिए हर वर्ष पौधे रोपित किए जाते हैं। पिछले वर्ष भी 50 हजार पौधे लगाए गए थे। इस वर्ष भी जुलाई में फिर 50 हजार पौधे लगाए जाएंगे। इस अभियान से लोगों को जोड़कर जंगल बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा हूं। गांव के सैंकड़ों किसानों का सहयोग मिल रहा है। यही लोग इस जंगल की देखरेख और सुरक्षा करते हैं। वर्तमान में इस जंगल में एक अरब रुपए से ज्यादा की लकड़ी व बांस लगा है। 

दोनों टीमें कर रही हैं शोध 

संदीप झा डीएफओ खंडवा ने कहा कि आईआईएफएम और वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया दोनों की टीमें नया हरसूद (छनेरा) रेंज में शोध कर रही हैं। वहां के जागरूक ग्रामीणों ने नदी किनारे जंगल विकसित किया है। उन्होंने छोटे-छोटे रकबे में पौधे लगाकर घना जंगल तैयार किया है।

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