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World Elephant Day 2022: भारत में आठ वर्षों में बढ़ी हाथियों की संख्या, जानें- देश में इनकी स्थिति और क्या है खतरा

World Elephant Day 2022 भारत में प्रतिवर्ष 400-500 व्यक्तियों की मौत हाथी के हमले से होती है। वहीं प्रत्येक वर्ष करीब 100 हाथी इंसानों के साथ टकराव में जान गंवाते हैं। देश में पिछले आठ वर्षों में हाथियों की संख्या बढ़ी है लेकिन आज भी इन पर संकट बरकरार है।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 09:07 AM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2022 09:51 AM (IST)
World Elephant Day 2022: हाथियों के संरक्षण के लिए 16 राज्यों में चल रहा प्रोजेक्ट एलिफेंट।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। World Elephant Day 2022: केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क में 27 मई 2020 को 15 वर्ष की गर्भवती मादा हाथी की दर्दनाक मौत आपको याद होगी। किसी ने उसे पटाखों से भरा अनानास खिला दिया था। पटाखे मुंह में फटने से उसका जबड़ा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। इस वजह से दो सप्ताह तक वह न तो कुछ खा सकी और न पानी पी सकी। उसे इतनी जलन और दर्द हुआ कि वह कई दिन तक झील में खड़ी रही। आखिरकार कमजोरी से वह झील में गिरी और डूबने से उसकी और गर्भ में पल रहे बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई थी। इसके बाद काफी हो-हल्ला मचा, लेकिन भारत में हाथियों और मनुष्यों के बीच खूनी संघर्ष आज भी जारी है। दुनिया के कई देशों में हाथी अब भी संकट में हैं, लेकिन भारत में पिछले आठ वर्ष में हाथियों की संख्या बढ़ी है।

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छह राज्यों में 85 फीसद मौतें

वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन संस्था के अनुसार मनुष्यों और हाथियों के बीच संघर्ष की वजह से भारत में औसतन प्रतिदिन एक व्यक्ति की मौत होती है, जिसमें अधिकांश किसान होते हैं। पिछले छह वर्ष में हाथियों और मनुष्यों के बीच टकराव में जितनी मौतें हुई हैं, उनमें से 48 फीसद केवल ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में हुई हैं। अगर असम, छत्तीसगढ़ और तमिल नाडु को भी इसमें जोड़ दें, तो इन छह राज्यों में मरने वालों की संख्या 85 प्रतिशत है। इन राज्यों के किसानों की शिकायत रहती है कि जंगली हाथी उनकी फसलें बरबाद कर रहे हैं। इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। इन राज्य के लोगों का कहना है कि आबादी वाले क्षेत्रों में जंगली हाथियों की घुसपैठ लगातार बढ़ रही है। केंद्रीय वन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हाथी और इंसानों के टकराव में प्रतिवर्ष 400-500 लोगों की मौत होती है, जबकि 100 हाथियों को भी इस टकराव में जान गंवानी पड़ती है।

बाघों की तरह संरक्षित हैं हाथी

धरती के सबसे विशालकाय और आलीशान जीव हाथी को भी बाघों की तरह शेड्यूल एक के तहत संरक्षण प्राप्त है। बावजूद भारत समेत दुनिया के कई देशों में इनकी स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है। आलम ये है कि तकरीबन चार लाख आबादी वाले अफ्रीकी हाथी पर गंभीर संकट मंडरा रहा है और लगभग 40 हजार जनसंख्या वाले एशियाई हाथी विलुप्ती की कगार पर हैं। हाथियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए 12 अगस्त 2012 से वार्षिक विश्व हाथी दिवस (World Elepahnt Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हाथी के प्रति लोगों को जागरूक करना और मनुष्यों व हाथियों के बीच होने वाले संघर्ष का स्थाई समाधान तलाशना है। इस बार रक्षाबंधन के मौके पर विश्व हाथी दिवस मनाया जा रहा है। रक्षाबंधन पर बहनें, भाईयों को राखी बांध सुरक्षा का वचन लेती हैं। आज विलुप्ती की कगार पर खड़े हाथियों को भी इंसानों से ऐसे ही वचन की जरूरत है। ताकि ये आलीशान जीव न केवल एक सम्मानित व सुरक्षित जिंदगी जी सके, बल्कि इन्हें गुलामी की बेड़ियों से भी मुक्ति मिले।

प्रोजेक्ट एलिफेंट

भारत सरकार ने वर्ष 1992 में केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित हाथी परियोजना (Project Elephant) की शुरूआत की थी। इसका तीन मुख्य उद्देश्य हैं। पहला हाथियों, उनके प्राकृतिक निवास और उनके कॉरिडोर को सुरक्षित करना। दूसरा मनुष्यों व जानवरों के बीच होने वाले संघर्ष (Man Animal Conflict) का समाधान तलाशना। तीसरा बंधुआ हाथियों की स्थिति में सुधार (Welfare of captive elephants) लाना। प्रोजेक्ट एलिफेंट मुख्य तौर पर 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में लागू किया गया। इसमें आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, ओड़िशा, तमिल नाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। धीरे-धीरे ही सही इसका असर भी दिख रहा है। देश में हाथियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

भारत में एशियाई हाथियों की स्थिति

केंद्रीय वन मंत्रालय ने एलफेंट प्रोजेक्ट तहत वर्ष 2017 में देश में हाथियों की जनगणना कराई थी। इस जनगणना के मुताबिक देश में हाथियों की कुल संख्या 29,964 थी। इनसे से तकरीबन 3000 हाथी विभिन्न लोगों, संस्थाओं अथवा मंदिरों द्वारा बंधक बनाकर रखे गए हैं। एशियाई हाथियों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है, जो पूरी दुनिया में मौजूद एशियाई हाथियों की कुल संख्या का तकरीबन 60 फीसद है। मंत्रालय की रिपोर्ट में भारत में मनुष्यों व हाथियों के बीच संघर्ष को बड़ी चुनौती बताया गया है। प्रत्येक वर्ष हाथियों की वजह से एलिफेंट रेंज के करीब रहने वाले किसानों को लाखों रुपये की फसल और संपत्ति को नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसी स्थिति से निपटने और हाथियों के उचित प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य वन विभागों की है। अलग-अलग राज्यों में वन विभाग ने मनुष्य-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए अल्पकालिक और स्थाई योजनाएं तैयार की हैं। बावजूद हाथी-मनुष्य के बीच संघर्ष जारी है।

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