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World Coconut Day: इम्युनिटी बढ़ाने के साथ हृदय रोग में मददगार नारियल, जानें इसके अन्‍य लाभ

World Coconut Day 2020 2 सितंबर पर जानिए औषधीय गुणों से भरपूर सदियों से स्वाद सेहत और संस्कृति से जुड़े इस फल के बारे में...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 11:00 AM (IST)
World Coconut Day: इम्युनिटी बढ़ाने के साथ हृदय रोग में मददगार नारियल, जानें इसके अन्‍य लाभ

नई दिल्‍ली, जेएनएन। World Coconut Day 2020 नारियल के पेड़ से लेकर इसका हर भाग बहुउपयोगी होता है। मुख्यत: इसका फल खाने और तेल खाद्य पदार्थ व औषधीय रूप में इस्तेमाल होता है। वहीं इसके रेशों, पत्तों से झाड़ू, चटाई, रस्सी, छत, सोफे, कुर्सी की गद्दी, ब्रश आदि बनाए जाते हैं।

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इसका फल हमारी संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ से लेकर, सम्मान, अभिनंदन में श्रीफल भेंट करने की परंपरा तो वैदिककाल से चली आ रही है। इसे संस्कृत में श्रीफल, गुजराती में नारियर, बांग्ला में नारिकेल, मराठी में नारल और कश्मीरी में खूपर भी कहते हैं।

पुराणों में है वर्णन

पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं से नाराज होकर राजर्षि से ब्रह्मर्षि बने विश्वामित्र ने स्वयं सृष्टि की रचना प्रारंभ कर दी थी। उनका बनाया सिर ही नारियल है। ब्रह्मा की सृष्टि में इंसानों की दो आंखें होती हैं, जबकि विश्वामित्र ने अपनी मानव रचना में तीन आंखें बनाई थीं। इसीलिए नारियल में आंखों के आकार के तीन प्रतीक देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि नारियल को त्रिनेत्र के रूप में भी देखा जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि यह बहुवर्षी और एक बीजपत्री पौधा मूलरूप से न्यूजीलैंड के समीप स्थित एक द्वीप का वृक्ष है, जो बाद में भारत सहित अन्य देशों में पहुंचा। यह ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु में आसानी से उगता है। भारत में यह केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा, बंगाल तथा अंडमान-निकोबार आदि जगहों में पाया जाता है। भारत में केरल राज्य नारियल के उत्पादन में सबसे आगे है।

पूजन से लेकर भोजन तक प्रयोग

नारियल के फल का बाहरी कवच मोटा तथा रेशेदार होता है, जो एक कठोर आवरण से ढका रहता है। नारियल के कच्चे (हरे) फल को ‘डाभ’ कहते हैं। काटने पर इससे मीठा पानी प्राप्त होता है, जो बहुत गुणकारी होता है। इसकी कच्ची गरी भी खाई जाती है। पके नारियल के अंदर मौजूद गरी को हवन-पूजन से लेकर पंच मेवों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गरी का तेल सिर को ठंडक प्रदान करता है तथा बालों को रूसी के संक्रमण से बचाता है। इसका तेल वनस्पति तेल की तरह विभिन्न खाद्य पदार्थों में प्रयोग होता है। मिठाई, चॉकलेट, पुडिंग, चटनी, केक, पेस्ट्री आदि बनाने भी यह काम आता है।

इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अर्पिता सी. राज. बताती हैं कि नारियल में रेडियम व कोबाल्ट पाया जाता है, इसीलिए कैंसर रोगियों को गरी या नारियल पानी को डाइट में शामिल करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा यह हृदय, यकृत, गुर्दे, मुंह के छाले आदि रोगों में बहुत फायदेमंद होता है। यह इम्युनिटी मजबूत करने में भी बहुत सहायक है। इसमें जल, प्रोटीन, वसा, खनिज तत्व, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है।

गुणों से भरा नारियल पानी

तटवर्ती इलाकों में लोग सालों से नारियल का इस्तेमाल खानपान और सौंदर्य निखारने के लिए करते आए हैं। नारियल का हर हिस्सा किसी न किसी तरह से फायदेमंद ही होता है, लेकिन नारियल पानी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जिनकी शरीर को सबसे ज्यादा जरूरत होती है। एक नारियल में करीब 200 मिलीलीटर पानी होता है। स्वाद में मीठे और ताजगी भरे इस पानी में बहुत कम कैलोरी होने के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट्स, अमीनो एसिड, एंजाइम्स, बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी और प्रमुख लवण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। शरीर में पानी की कमी होने या रक्त की तरलता कम होने पर तटवर्ती लोग नारियल पानी को घरेलू औषधि के तौर पर अपनाते हैं। डायरिया, उल्टी या दस्त होने पर चिकित्सक भी ओआरएस का घोल और नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं।

चमत्कारी हैं घरेलू नुस्खे

नारियल तेल में भी औषधीय गुण होते हैं। इसकी मालिश त्वचा को कांतिमान बनाती है और बालों में इसके प्रयोग से रूसी व फंगस की समस्या से निजात मिलती है। बुखार के कारण बार-बार लगने वाली प्यास में सामान्य पानी पीने के लिए मना किया जाता है। ऐसे में नारियल की जटाओं को जलाकर गर्म पानी में डालकर रख दें। जब यह पानी ठंडा हो जाए तो छानकर रोगी को पिलाएं। यह बुखार में नुकसान नहीं करता और प्यास भी बुझाता है। नुस्खे किसी चिकित्सक के परामर्श के बाद ही अपनाएं।


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